रायपुर / छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड भ्रष्ट्राचार के कारनामों से इस तर घिर चूका है कि अनियमितता और धांधली की जांच कराने के लिए विभागीय मंत्री मोहम्मद अकबर के हाथ-पैर कांपते नजर आ रहे है | आखिर क्या कारण है कि आवास एवं पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर पूर्ववर्ती सरकार के काले कारनामे हो या फिर मौजूदा कांग्रेस के दो साल के कार्यकाल में हुई अनियमितता की जांच को लेकर अपने कदम पीछे खींच रहे है ? लोगों के बीच उनकी कार्यप्रणाली को लेकर सवालियां निशान लग रहा है | आमतौर पर मोहम्मद अकबर की छवि ईमानदार मंत्री के रूप में देखी जाती थी | लेकिन छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड में अरबों के घोटाले सामने आने के बाद उनका रुख बता रहा है कि हाथी के दांत खाने के कुछ और दिखाने के कुछ और होते है | भ्रष्टाचार की जांच को लेकर चुप्पी साध लेने मे ही अपनी भलाई समझ रहे आवास एवं पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर को इस तथ्य से बिल्कुल वाकिफ होना चाहिए कि जनता की कमाई और सरकारी तिजोरी में सेंधमारी को लेकर उनके रुख का हिसाब-किताब अब अदालत में ही होगा |
जानकारी के मुताबिक भ्रष्टाचार की पहली खेप में तालपुरी प्रोजेक्ट में बड़े पैमाने पर हुए भ्रष्टाचार की जांच को लेकर छत्तीसगढ़ लोक आयोग ने तमाम शिकायतों को संज्ञान में लिया है | वर्ष 2013 से पूर्व और इसके उपरांत के वर्षों 2013 से लेकर 2020 में विभिन्न प्रोजेक्ट में हुई भ्रष्टाचार की शिकायतों की प्रारंभिक सुनवाई के बाद लोक आयोग ने छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड को तलब कर लिया है | इन शिकायतों की जांच को लेकर लोक आयोग के नोटिस जारी होने की खबर है | बताया जा रहा है कि अरबों के भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे अपर कमिश्नर हेमंत कुमार वर्मा , हर्ष कुमार जोशी और एमडी पनारियां को उनके काले कारनामों को लेकर नोटिस जारी हुआ है |
उधर नया रायपुर सेक्टर 17 में जीएडी क्वाटर्स में बड़े पैमाने पर गुणवत्ता विहीन निर्माण कार्यों और घटिया सामग्री के उपयोग की शिकायतों को लेकर मामलों का निपटारा नहीं करने और विभागीय जांच में भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गए अफसरों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई नहीं होने के मामले को भी लोक आयोग और अदालत में चुनौती दी गई है | इस मामले में आईएएस अधिकारियों की शिकायतों पर भी कोई कार्रवाई नहीं होने का मामला सुर्खियों में है | बताया जा रहा है कि आधा दर्जन से ज्यादा आईएएस अधिकारियों ने उनके मकानों में घटियां निर्माण कार्य और गुणवत्ताविहीन सामग्री का उपयोग किये जाने को लेकर छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड के कमिश्नर और आवास और पर्यावरण विभाग को शिकायत की थी | इस शिकायतों को कई महीने बीत चुके है | लेकिन किसी भी अफसर के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई किये जाने को लेकर हाऊसिंग बोर्ड ने कोई रूचि नहीं दिखाई |
पीड़ित आईएएस अधिकारियों में रीता शांडिल्य , ईमिल लकड़ा , धनंजय देवांगन , नीलकंठ समेत अन्य अफसर शामिल है | बताया जाता है कि इन अफसरों की शिकायतों को रद्दी की टोकरी में फेंक दिया गया है | बताया जाता है कि नया रायपुर में सरकारी कर्मचारियों के लिए 420 आवासीय भवन 150 करोड़ की लागत से बनाए गए थे | निर्माण के पहले ही साल बारिश के मौसम में इन भवनों में बड़ी बड़ी दरारे आ गई | इन घरों की छतों से पानी का रिसाव होने लगा | यही नहीं घरों की दीवारों का प्लास्टर भी उखड़ गया | उधर हाऊसिंग बोर्ड से पीड़ितों में आईएएस अधिकारियों के अलावा हजारों की संख्या में वो नागरिक शामिल है , जिन्होंने अपनी गाढ़ी कमाई से एक अदद घर खरीदने का सपना संजोया था | लेकिन घटिया निर्माण कार्यों के चलते घर खरीदना उन पर भारी पड़ रहा है |