बड़ी खबर : कातिल है छत्तीसगढ़ का कुख्यात निलंबित ADG मुकेश गुप्ता, डॉ. मिक्की मेहता को उतारा गया मौत के घाट, कातिल ADG की खुली पोल, DG स्तर की जाँच कमेटी की रिपोर्ट गंभीर, साजिश के खुलासे के बावजूद छत्तीसगढ़ पुलिस के कुछ प्रभावशील अफसरों ने ठप्प की हत्याकांड की जाँच, गुप्ता के अलावा थाने के पुलिस कर्मी और डॉक्टर भी हत्या की साजिश में शामिल, तत्काल मांगे गए जाँच प्रतिवेदन पर डेढ़ साल से डाले रखा पर्दा, देखे जाँच रिपोर्ट पर गृह मंत्रालय का प्रतिवेदन

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रायपुर / 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी और रायपुर के तत्कालीन SP मुकेश गुप्ता ने अपनी पत्नी डॉ. मिक्की मेहता को मौत के घाट उतारा था। डॉ. मिक्की मेहता की मौत पर से रहस्यों का पर्दा उठ चूका है। तत्कालीन DG जेल गिरधारी नायक कमेटी की जाँच रिपोर्ट काफी गंभीर है। इसमें मुकेश गुप्ता की पत्नी डॉ. मिक्की मेहता की उनके सरकारी बंगले में हुई मौत की गुत्थी को सुलझा दिया गया है। जाँच रिपोर्ट में उस साजिश का पर्दाफाश किया गया है, जिसके जरिये मुकेश गुप्ता ने क़त्ल की वारदात को अंजाम दिया था। छत्तीसगढ़ के DG जेल गिरधारी नायक ने काफी गहराई से मामले की तफ्तीश कर साजिश के तार जोड़े है। उनकी रिपोर्ट में डॉ. मिक्की मेहता को मौत के घाट उतारे जाने की साजिश का ना केवल खुलासा हुआ है बल्कि गुनहगारों की तमाम कड़ियाँ भी सामने आ गई है। हत्या की इस साजिश में मुकेश गुप्ता के अलावा स्थानीय थाने के पुलिस कर्मी और डॉक्टरों के भी शामिल होने की पुष्टि हो रही है।

गंभीर तथ्य यह है कि मौजूदा कांग्रेस सरकार में कुख्यात और निलंबित ADG मुकेश गुप्ता को संरक्षण देने वाले राजनेताओं और पुलिस कर्मियों की कोई कमी नहीं है। नतीजतन इस कातिल के गुनाहों पर पर्दा डालने का काम आज भी पूरी सक्रियता के साथ हो रहा है। मामले की पड़ताल से साफ़ हो रहा है कि डॉ. मिक्की मेहता हत्याकांड की जाँच रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपे जाने के कई महीनों बाद भी जिम्मेदार अफसरों ने कोई वैधानिक कार्रवाई को अंजाम नहीं दिया।

दस्तावेज बताते है कि तत्कालीन DG जेल गिरधारी नायक जाँच कमेटी की रिपोर्ट के अध्ययन के बाद 5 अगस्त 2019 को छत्तीसगढ़ शासन के गृह विभाग की ओर से जिम्मेदार अफसरों को इस जाँच रिपोर्ट के तथ्यों से अवगत कराते हुए साजिश के बिंदुओं पर वैधानिक कदम उठाने के लिए निर्देशित किया गया था। लेकिन कातिल के वर्दीधारी सहयोगियों ने जाँच ही ठप्प कर दी।

न्यूज़ टुडे को मिली पुख्ता जानकारी के मुताबिक, एक मंत्री और कुछ चुंनिदा अफसरों ने इस जाँच रिपोर्ट को फाइलों में ही कैद रखने के लिए दबाव बनाया हुआ है। बताया जाता है कि मौजूदा मंत्री और पार्टी के संगठन के पूर्व पदाधिकारी और उसके ठेकेदार भाई के साथ मुकेश गुप्ता का करीबी नाता रहा है। यही नहीं पुलिस महकमे के कुछ प्रभावशील अफसरों से भी मुकेश गुप्ता के करीबी संपर्क होने के चलते इस जाँच रिपोर्ट के डेढ़ साल बीत जाने के बावजूद कोई मुकम्बल कार्रवाई नहीं की गई है। जबकि गृह मंत्रलय की ओर से जाँच प्रतिवेदन तत्काल माँगा गया था। जानकारी के मुताबिक रायपुर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक मुकेश गुप्ता की पत्नी डॉ. मिक्की मेहता 7 सितंबर 2001 को सरकारी आवास में संदेहास्पद परिस्तिथियों में मृत पायी गयी थी।   

जाँच प्रतिवेदन पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए पीड़ित परिजन मानिक मेहता ने कहा कि वे पहले दिन से ही कह रहे थे कि डॉ. मिक्की मेहता का क़त्ल हुआ है। उनके मुताबिक जाँच रिपोर्ट और प्रतिवेदन से उनके आरोप प्रमाणित भी हो रहे है। उन्होंने कहा कि जब तक न्याय नहीं मिल जाता उनका संघर्ष जारी रहेगा। DG जेल गिरधारी नायक की जाँच रिपोर्ट के अध्ययन के बाद गृह मंत्रालय की ओर से जारी प्रतिवेदन में साफतौर पर लिखा गया है कि मुकेश गुप्ता द्वारा अपने पद का दुरूपयोग करते हुए डॉ. मिक्की मेहता की मौत से सम्बंधित साक्ष्य को छुपाने एवं जाँच को प्रभावित करने का कार्य किया गया। प्रतिवेदन के अनुसार प्रकरण में पूर्व में हुई जाँच नियमानुसार ना होकर जाँच में भारी त्रुटि बरती गई। इसके तहत डॉ. मिक्की मेहता की मौत के प्रकरण का कार्यपालिक दंडाधिकारी से अन्वेषण नहीं करवाया गया।

रायपुर पुलिस की जगह दुर्ग पुलिस द्वारा प्रकरण की जाँच की गई जो उसके क्षेत्राधिकार में नहीं आती थी। डॉ. मिक्की मेहता द्वारा किस दुकान व किस मार्केट से जहर ख़रीदा गया यह उनके ड्राइवर द्वारा ना बता पाना। रायपुर शासकीय मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में जहाँ 04 वेंटिलेटर उपलब्ध थे , जो की डॉ. सलीम आईसीयू एंड क्रिटिकल केयर नर्सिंग होम, बैजनाथपारा रायपुर से मात्र 5 किलों मीटर दूरी पर है। डॉ. मिक्की मेहता को यहाँ ना ले जाकर 40 किलों मीटर दूर सेक्टर 9 बीएसपी हॉस्पिटल ले जाया गया।

सबसे गंभीर तथ्य यह है कि 40 किलों मीटर की दूरी को एक एम्बुलेंस द्वारा 2 घंटा 10 मिनट में तय करना पाया गया। जाँच में एम्बुलेंस के ड्राइवर का नाम पता ज्ञात नहीं होना पाया गया। घटना स्थल का कोई नजरी नक्शा ना होना पाया गया। यह भी गंभीर तथ्य सामने आया कि विवेचना को लगभग 5 माह के लिए रोका गया। डॉ. सलीम केसर के अनुसार उन्होंने सिविल लाइन थाना रायपुर में लिखित सूचना दी थी। लेकिन थाने के रिकॉर्ड में यह सूचना उपलब्ध ना होना पाया गया।

प्रतिवेदन में यह भी कहा गया है कि उपरोक्त त्रुटियों को ध्यान में रखते हुए निर्देशानुसार डॉ. मिक्की मेहता की मृत्यु की पुनः विस्तार से जाँच करा कर अभिमत सहित जाँच प्रतिवेदन तत्काल उपलब्ध कराया जाये। गौरतलब है कि डॉ. मिक्की मेहता की रहस्यमय मौत के बाद परिस्थितिजन्य साक्ष्यों से रूबरू होने पर उनके परिवार ने मुकेश गुप्ता पर हत्या का आरोप लगाया था। पुलिस थानों से लेकर अदालत तक पीड़ित परिवार ने साजिश का ताना बाना जनता के सामने लाया था। लेकिन सत्ताधारी दलों से करीबी नाता और राजनेताओं से सांठगांठ होने के चलते पीड़ित परिवार को अभी तक इंसाफ नहीं मिल पाया है। डॉ. मिक्की मेहता के परिजन आज भी इंसाफ के लिए भटक रहे है। मामले की जाँच पर जाँच हो चुकी है।

लेकिन सिस्टम की खामियों और कातिल के प्रभाव के चलते शासन प्रशासन मौन है। मौजूदा कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही ADG मुकेश गुप्ता को निलंबित कर दिया था। कांग्रेस सरकार ने उसके खिलाफ कड़े क़ानूनी कदम उठाने का दावा करते हुए ‘अब होगा न्याय’ का शंखनाद किया था। लेकिन दो साल बाद भी यह अंजाम तक नहीं पहुंच पाया। वर्दी की आढ़ में गंभीर आपराधिक वारदातों को अंजाम देने वाले निलंबित ADG मुकेश गुप्ता अब अपनी बहाली का रास्ता खोज रहे है। वही राजनीति में अपराधीकरण की वकालत करने वाले सत्ता के कर्णधार उसके खिलाफ क़ानूनी कार्रवाई पर ब्रेक लगा रहे है।

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