रायपुर / कांग्रेस के पूर्व विधायक और जनता कांग्रेस के नेता अमित जोगी ने मुख्यमंत्री भूपेश सरकार पर तीखा हमला किया है। अपनी फेसबुक वॉल में अमित जोगी ने जो लिखा वो जश का तश प्रकाशित किया जा रहा है। हालाँकि उनके इस आरोपों पर सरकार और प्रदेश कांग्रेस इकाई की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है। हालाँकि फेसबुक में उनके आरोपों को लेकर मिली जुली प्रतिक्रिया मिल रही है।
आप भी पढ़े अमित जोगी ने क्या कहा –
https://www.facebook.com/533560906781120/posts/2075558355914693/
देश में कांग्रेस के पास तीन बड़े राज्य हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरंदिर सिंह, दोनों बड़े-बड़े उद्योगपतियों से स्वेच्छा से आर्थिक सहयोग लेने में विश्वास करते हैं; इसलिए कांग्रेस की डूबती नैया को चलाने का भार छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल पर आ बैठा है। अगर उनको ये लगता है कि छत्तीसगढ़ को बर्बाद- और कांग्रेस को आबाद- करके वे अपनी पार्टी के सर्वोच्च राष्ट्रीय नेता बन जाएँगे, तो ये मुंगेरिलाल के हसीन सपने के अलावा कुछ भी नहीं। उनके बनाए सलाहकार मंडल कुछ भी कर ले, खोटे सिक्के को इस से ज़्यादा चलाना असम्भव है।
छत्तीसगढ़ से दिल्ली तक धन की निकासी के दो साल के बेहद संगठित प्रणाली ने हमारे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का #Mr_ATM की उपाधि दिला दी है किंतु उनके अन्य प्रांतों के कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के बीच स्वीकार्यता न के बराबर है। जहां-जहां वे अपनी पार्टी का प्रचार करने गए हैं, वहाँ-वहाँ उनको विफलता ही मिली है। इसके सबसे स्पष्ट उदाहरण उनकी पार्टी द्वारा नियुक्त छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रभारी महासचिव और सचिव हैं- जो UP और बिहार में छत्तीसगढ़ से लूटे सैकड़ों करोड़ खर्च करने के बावजूद अपनी ज़मानत नहीं बचा पाए! चुनाव UP में हो या बिहार में, पश्चिम बेंगॉल में या आसाम में, केरल, तमिलनाडु या पुदुच्चेरी में, उसका पुरा खर्चा छत्तीसगढ़ की गरीब जनता का दोहन करके लूटा जाता है।
मेरे विश्लेषण में छत्तीसगढ़ की सम्पदा की निकासी के 6 प्रमुख स्रोत हैं:
(1) ₹1500 की जगह ₹350 पेन्शन, एकमुश्त ₹2500 धान का समर्थन मूल की जगह 4 किश्तों में देना, ₹2500 बेरोज़गारी भत्ता को पूरी तरह शून्य करना, और न नौकरी देना और न नियमितिकरण करना, इन सबका कारण छत्तीसगढ़ियों का पेट काटकर दिल्ली की कांग्रेस का पेट भरना है।
(2) 50% शराब बिक्री कच्चे में होती है जिसका आबकारी विभाग गिन के रोज़ ₹2.5 करोड़ केश CM हाउस हर रात बोरों में पहुँच जाता है (मासिक लूट- ₹70 करोड़)। इसके अलावा शराब उत्पादकों से उनके निर्धारित दाम से 40% अतिरिक्त वसूला जाता है (सालाना- ₹1800 करोड़)
(3) 70% रेट और पत्थर ठेके ब्लैक में चलते हैं जिसकी पूरी काली कमाई मुख्यमंत्री को जाति है। ये गिरी सी गिरी हालत में ₹1200 करोड़ प्रति माह है।
(4) कोयला,लोहा, क्लिंकर (सिमेंट) और बॉक्सायट के परिवहन में अलग से कलेक्टर और SP के माध्यम से ₹30 प्रति टन की वसूली होती है जो सीधे CM हाउस हर रात महफ़ूज़ पहुँच जाति है। हर महीने इस हिसाब से क़रीब ₹800 करोड़ अलग से वसूला जाता है।
(5) ट्रान्स्फ़र उद्योग का मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा केंद्रीकरण का एकमात्र मक़सद अधिकारियों और कर्मचारियों के ट्रान्स्फ़र- और उसे कैन्सल- करने में कई हज़ार करोड़ कमाना है। मुख्यमंत्री के पिता जी ने कभी मुझसे कहा था कि बिना ट्रान्स्फ़र उद्योग के पिछड़ों का आंदोलन चल ही नहीं सकता!
(6) जितनी खदानों का आबँटन डॉक्टर रमन सिंह के 15 सालों में नहीं हुआ, उस से दो गुना अधिक MDO के बैक-डोर एंट्री के माध्यम से श्री भूपेश बघेल से पहले दो सालों में हो चुका है।अगर इन खदानों से वे केवल 4% भी वसूलते हैं, तो हर साल ₹10-20,000 करोड़ उनके पास केश जमा होता है।
आने वाले दिनों में मैं इन सबका दस्तावेज़ों के साथ सिलसिलेवार पर्दाफ़ाश करूँगा। ये किसी समांतर ग़ैर-सरकारी अवैध-टैक्स प्रणाली से कम नहीं है जिसका एक पैसा भी छत्तीसगढ़ की राजकीय कोश में नहीं बल्कि कांग्रेस की डूबती नैया की कोश में हर महीने स्टेट-प्लेन के माध्यम से नई दिल्ली की 24 अकबर रोड की तिजोरियों में सीधा-सीधा जमा होता है (हालाँकि इसका मात्र 5% हिस्सा छत्तीसगढ़ियों के स्वाभिमान की रक्षा करने वाले स्वयंभू कुर्मी क्रांतिकारी संगठनों का मुँह बंद करने में भी खर्च होता है)।
बड़े दुर्भाग्य की बात है कि आधुनिक भारत की सबसे तेज़ी से विलुप्त होती जा रही राष्ट्रीय पार्टी का पूरा वित्तीय भार छत्तीसगढ़ के अमीर धरती के गरीब लोगों के कंधे पर आ चुका है। इसका सीधा-सीधा फ़ायदा कांग्रेस को और सीधा-सीधा नुक़सान छत्तीसगढ़ को हो रहा है। छत्तीसगढ़ की अपार सम्पदा की इस निकासी को रोकना राज्य में स्वराज स्थापित करने के लिए पहला कदम होगा। अभी भी वक्त है। हम अपनी छत्तीसगढ़ महतारी का दिल्ली द्वारा दोहन को रोक सकते हैं बशर्ते कि हम अपनी तक़दीर की बागडोर अपने हाथों में लें और ये संकल्प लें कि छत्तीसगढ़ के सभी फ़ैसले अब छत्तीसगढ़िया स्वतंत्र रूप से करेंगे।
दोस्तों, दिल्ली की इस आर्थिक ग़ुलामी के ख़िलाफ़ शंखनाद करने का समय आ गया है। उसके बाद ही छत्तीसगढ़ में स्वराज स्थापित होगा और वो दिन दूर नहीं जब पूरे भारत के छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया होगा! यही मेरे स्वर्गीय पिता श्री अजीत जोगी जी का अधूरा सपना था और उसे कठिन से कठिन परिस्थितियों में साकार करना मेरे जीवन का एकमात्र मक़सद है! इसको पूरा करने के लिए मुझे आपका आशीर्वाद और साथ चाहिए।