नई दिल्ली / सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर विधानसभा का कोई सदस्य दल-बदल कानून के तहत अयोग्य पाया गया तो उसे विधानसभा के बाकी बचे कार्यकाल तक मंत्री नहीं बनाया जा सकता है। भले ही वह विधान परिषद के सदस्य के तौर पर नामित किया गया हो। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा जिसमें दलबदल विरोधी कानून के तहत भाजपा विधायक एएच विश्वनाथ की अयोग्यता मई 2021 तक जारी रहने की बात कही गई है।
इसी के साथ मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने हाईकोर्ट के पिछले साल के आदेश के खिलाफ की याचिका खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के साथ ही राज्य की बीएस येदियुरप्पा सरकार में मंत्री बनने की उनकी उम्मीदें खत्म हो गईं है। उधर इस फैसले का मध्यप्रदेश की राजनीति पर कितना असर पड़ेगा, इसका आंकलन भी शुरू हो गया है।बताया जाता है कि मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह मंत्री मंडल में शामिल लगभग दर्जन भर मंत्री दल बदल कानून के दायरे में है। ये सभी पुरवर्ती कांग्रेस के कार्यकाल में तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ के मंत्री मंडल में शामिल थे।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के पाला बदल कर कांग्रेस से बीजेपी में जाने के बाद इन मंत्रियों ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। फिर वे बीजेपी में शामिल हो गए। इन्हे दोबारा उपचुनाव का सामना करना पड़ा। हालाँकि उपचुनाव में ज्यादातर मंत्रियों ने बाजी मारी और वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के मंत्री मंडल में शामिल हो गए। शपथग्रहण समारोह के बाद कांग्रेस की ओर से इन सभी मंत्रियों पर दल बदल कानून के तहत कार्रवाई की मांग को लेकर एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है। फ़िलहाल मामले की सुनवाई जारी है। लेकिन इस बीच सुप्रीम कोर्ट के इस ताजा फैसले से मध्यप्रदेश की राजनीति को लेकर क़ानूनी दांवपेच तेज हो गए है।