नई दिल्ली / गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा ने किसान आंदोलन की जड़े कमजोर कर दी है। हिंसा के बाद कई संगठनों ने आंदोलन से दूरियां बना ली है। उधर हिंसक झड़पों में किसान नेताओं को नामजत किये जाने के बाद से आंदोलन ख़त्म होने की कगार पर आ गया है। किसान नेता राकेश टिकैत के भरोसे ही अब यह आंदोलन अपनी अंतिम सांसे गिन रहा है। दरअसल हिंसा के बाद कई संगठनों के पीछे हट जाने से किसान आंदोलन पर सरकार का दबाव बढ़ गया है। इसी बहाने वो आंदोलन को खत्म कराने का बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है। आंदोलन के प्रति आम लोगों की सहानुभूति कम होने के बावजूद सरकार बहुत संभल कर आगे बढ़ रही है। सरकार की योजना चरणबद्ध तरीके से आंदोलन को खत्म कराने की है। इस रणनीति के तहत सरकार पहले उत्तर प्रदेश और इसके बाद हरियाणा में आंदोलनकारी किसानों को घर वापस भेजने की तैयारी में लगी है, जबकि किसान संगठन नए सिरे से लोगों की सहानुभूति हासिल करने में जुटे हैं।
गुरुवार रात लगने लगा था कि आंदोलनकारियों को मौके से खदेड़ दिया जायेगा। लेकिन किसान नेता राकेश टिकैत की एक रणनीति ने प्रशासन को अपने कदम पीछे खींचने पर विवश कर दिया। राकेश टिकैत ने मीडिया के सामने दहाड़ मार कर रोया | उनका ये वीडियो सोशल मीडिया में खूब वायरल हुआ। नतीजतन उनके आंसुओं ने धरना स्थल का माहौल ही बदल दिया। इसके बाद केंद्र और यूपी सरकार बैकफुट पर आ गई। हालाँकि आज भी राकेश टिकैत के रुख पर यह आंदोलन टिका हुआ है। प्रशासन उनके हर एक कदम पर निगाह गढ़ाए बैठा है।
टिकैत ने साफ कर दिया है कि वे किसी भी सूरत में आंदोलन ख़त्म नहीं करेंगे और ना ही मौके से हटेंगे। इस बीच गाजीपुर से लेकर नोएडा तक बड़ी तादाद में पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स के जवान तैनात है। यहां धारा 144 और 133 लगा दी गई है।फ़िलहाल आंदोलनरत किसान संगठनों का राष्ट्रीय किसान मोर्चा खोई हुई सहानुभूति को फिर से हासिल करने में जुटा है। सरकार के रुख को देखते हुए किसान संगठनों ने धरना स्थल पर उपवास करने का ऐलान किया है। जबकि एक फरवरी को प्रस्तावित संसद मार्च को वापस लेने की घोषणा की है। आज केंद्र और यूपी सरकार इन किसान संगठनों के साथ किस तरह से पेश आयेगी, इस ओर सबकी निगाहे है।