छत्तीसगढ़ में पोर्न फिल्म का निर्माता-निर्देशक कौन ? पूर्वमंत्री की सेक्स सीडी कांड की मत्वपूर्ण सुनवाई 11 फरवरी को , सुप्रीम कोर्ट का फैसला रायपुर से लेकर दिल्ली तक मचा सकता है हड़कंप , तय होगा कि राज्य के मुख्यमंत्री अब बतौर मुलजिम अदालत के कठघरे में खड़े होंगे या मिलेगी राहत ? अनुभवहीन सलाहकारों ने दाऊजी को डाला मुसीबत में ?

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रायपुर/दिल्ली – छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अब अपने कार्यकाल के सबसे कठिन दौर पर है | विधानसभा चुनाव के पूर्व तत्कालीन बीजेपी सरकार के PWD मंत्री राजेश मूणत की फर्जी सेक्स सीडी बनाने को लेकर उनके खिलाफ FIR दर्ज की गई थी | पिछले लगभग ढाई साल से यह मामला अदालत में है | क़ानूनी दांवपेचों के चलते मामले की सुनवाई लगातार खिसकते जा रही है | लेकिन सीबीआई और मामले के प्रमुख गवाहों की गुहार के बाद सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन एक याचिका ने अब अपनी अंतिम सुनवाई और फैसले का कदम तय कर लिया है | 11 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में सेक्स सीडी कांड की महत्वपूर्ण सुनवाई होगी | इसमें तय होगा कि रायपुर की सीबीआई अदालत में ही भूपेश बघेल एवं अन्य के खिलाफ विचाराधीन मामले की सुनवाई होगी या फिर सीबीआई की मांग पर अदालत की मुहर लगेगी |

दरअसल सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है कि इस मामले की शेष सुनवाई छत्तीसगढ़ प्रदेश के बाहर की किसी भी अदालत में हो | सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से यह भी कहा है कि छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में सेक्स सीडी कांड के महत्वपूर्ण गवाहों को प्रभावित किया जा रहा है | उन्हें मामले से मुकरने और मूल FIR को विवादित बनाने के लिए झूठी गवाही देने के लिए राज्य सरकार बाध्य कर रही है | इसके लिए उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है और उनके ऊपर फर्जी FIR दर्ज की गई है | 

सीबीआई की गुहार के साथ ही सेक्स सीडी कांड के महत्वपूर्ण 3 गवाहों  प्रकाश बजाज , मानस साहू और रसजीत खनूजा की ओर से उनके पिता निरंजन सिंह खनूजा ने भी सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई है कि छत्तीसगढ़ पुलिस ने उनके खिलाफ फर्जी FIR दर्ज कर प्रताड़ित किया है | उन्हें अपना बयान बदलने और नए सिरे से सीआरपीसी की धारा 164 के तहत आरोपियों के पक्ष में बयान देने के लिए दबाव डाला जा रहा है | बताया जाता है कि रायपुर के सिविल लाइन थाने में प्रकाश बजाज के खिलाफ 386/19 और तेलीबांधा थाने में मानस साहू एवं रसजीत  खनूजा पिता निरंजन सिंह खनूजा के खिलाफ क्रमशः अपराध क्रमांक 347/19 और 326/19 के तहत जमीन विवाद को लेकर प्रकरण दर्ज किया गया था | गवाहों की दलील है कि ये फर्जी FIR उन्हें अदालत में हॉस्टाइल होने के लिए दबाव बनाने की रणनीति के तहत दर्ज की गई है | सीबीआई के महत्वपूर्ण गवाहों में से एक मानस साहू के मुताबिक छत्तीसगढ़ पुलिस ने उसे उड़ीसा के कटक से गैर क़ानूनी रूप से गिरफ्तार किया था | फिर रायपुर और मुंबई उसे ले जाकर उसे प्रताड़ित किया गया | सुप्रीम कोर्ट में दिए अपने आवेदन में उसने पुलिस पर उगाही करने का भी आरोप लगाया है |          

सेक्स सीडी कांड की जांच कर रही सीबीआई ने मामले की चार्जशीट को पहले ही दाखिल कर दिया है | सीबीआई ने अपनी इस चार्जशीट में चौंकाने वाला खुलासा किया  है | सीबीआई ने चार्जशीट में दावा किया कि पीडब्ल्यूडी मंत्री राजेश मूणत की सेक्स सीडी फ़र्ज़ी थी, जो उनकी ही पार्टी के बीजेपी नेता कैलाश मुरारका ने तैयार करवाई थी | सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में कहा कि कथित सेक्स वीडियो मुंबई में तैयार कराया गया था | उसने आरोप लगाया कि बीजेपी नेता कैलाश मुरारका ने इस फर्जी सेक्स वीडियो बनाने के लिए अन्य आरोपी विनय पांड्या और रिंकू खानुजा को 75 लाख रुपये का भुगतान किया था | दोनों ने मंत्री राजेश का एक मोर्फ (नकली) वीडियो तैयार करने के लिए मानस साहू को 98 हजार रुपये का भुगतान किया था | 

एक सेक्स वीडियो पर मंत्री राजेश का चेहरा लगाकर इस वीडियो को तैयार कराया गया था. इसके बाद वरिष्ठ पत्रकार विनोद वर्मा, जो आरोपी के संपर्क में थे, दिल्ली में एक दुकान में गए और कथित तौर पर सेक्स वीडियो की 500 सीडी तैयार करवाई | सीबीआई ने मामले में कांग्रेस नेता भूपेश बाघेल, बीजेपी नेता कैलाश मुरारका, विजय पांड्य, पत्रकार विनोद वर्मा, विजय भाटिया और रिंकू खानुजा को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 469 (प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य के लिए फर्जीवाडा), 471 (जाली दस्तावेज उपयोग करना), 120B (आपराधिक षड्यंत्र) और आईटी एक्ट की धारा 67A के तहत आरोपी बनाया है |  

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इस मामले में छत्तीसगढ़ पुलिस ने वरिष्ठ पत्रकार विनोद वर्मा को गाजियाबाद से गिरफ्तार किया था | हालांकि वे अभी जमानत पर रिहा है |  छत्तीसगढ़ के PWD मंत्री राजेश मूणत के कथित सेक्स सीडी मामले में दो एफआईआर दर्ज कराई थी | इस FIR दर्ज होने के चंद घंटों बाद ही गाजियाबाद से पत्रकार विनोद वर्मा को पुलिस ने हिरासत में लिया था |इस मामले की पहली FIR रायपुर के पंडरी थाने में प्रकाश बजाज ने दर्ज कराई थी | जबकि दूसरी स्वयं पीड़ित राजेश मूणत ने सिविल लाइन थाने पहुंचकर दर्ज करवाया था |  इसके बाद तत्कालीन PWD मंत्री राजेश मूणत खुद सामने आए थे | उन्होंने कहा था कि सीडी में वो नहीं हैं , यह सीडी फर्जी बनाई गई है | इसके बाद मचे राजनैतिक तूफान से राज्य सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी |  

रायपुर की सीबीआई अदालत में इस मामले की सुनवाई होगी या नहीं , इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों की निगाहें लगी हुई है | लेकिन अदालत के गलियारे में छत्तीसगढ़ सरकार के पक्ष को लेकर माथापच्ची हो रही है | दरअसल सीबीआई ने अपनी याचिका में छत्तीसगढ़ शासन को पार्टी नहीं बनाया है | बावजूद इसके राज्य सरकार की ओर से दलील दी गई थी कि छत्तीसगढ़ शासन को भी इस मामले में पार्टी बनाया जाए | ताकि मामले को लंबा खींचा जा सके | कानून के जानकारों का कहना है कि पिछली सुनवाई में यही दलील मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर भारी पड़ गई है |

उनके मुताबिक वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी इस दलील को अदालत में रखे जाने के पक्ष में नहीं थे | लेकिन वकीलों की भारी भरकम फ़ौज ने इस तथ्य को अदालत के समक्ष रखा था | बस यही से मामले ने अलग रुख ले लिया | वरिष्ठ वकील तुषार मेहता ने फौरन नहले पर देहला मारा था , और अदालत के समक्ष साबित कर दिया कि इस मामले में छत्तीसगढ़ शासन की रूचि साफ़ झलक रही है | जबकि वो पार्टी नहीं है | अदालत के गलियारे में कानून के जानकारों के बीच अब  छत्तीसगढ़ सरकार के क़ानूनी सलाहकारों  की कार्यक्षमता और सूझबूझ पर भी सवालियां निशान लगाया जा रहा है | कहा जा रहा है कि अनावश्यक कानूनी दांवपेचों के चलते मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को कठघरे में खड़ा कर दिया गया है | पूछा तो यह भी जा रहा है कि मुख्यमंत्री को ऐसी नेक सलाह देने वाले उनके शुभचिंतक है या दुश्मन ?   

दरअसल वर्ष 2003-04 में मध्यप्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री उमा भारती को ऐसे ही हालात के चलते अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था | कर्नाटक के हुबली में राष्ट्रध्वज के अपमान को लेकर उनके खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया था | हुगली की अदालत में एक निर्वाचित मुख्यमंत्री को बतौर आरोपी-मुलजिम अदालत में पेश होने से पूर्व अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था | एक बार फिर इसी तर्ज पर सेक्स सीडी कांड को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अदालत की दहलीज पर है | गंभीर श्रेणी के आपराधिक प्रकरण में उनका बतौर मुलजिम एक मुख्यमंत्री रूप में , अदालत के कठघरे में खड़ा होना कांग्रेस ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ प्रदेश के लिए शर्मनाक साबित होगा |