कोच्चि / आपकी यात्रा मंगलमय हो , रेलवे का यह नारा उस वक़्त अदालत के कठघरे में खड़ा नजर आया जब एक यात्री ने सुविधा को लेकर अपनी आपबीती अदालत को सुनाई। उसने दलील दी कि रेलवे की जिम्मेदारी यात्रियों को उनके गंतव्य तक समय पर पहुंचाने के साथ ही ट्रेनों को भी दुरुस्त रखना है। अगर इस व्यवस्था में गड़बड़ी की वजह से किसी यात्री को नुकसान होता है तो रेलवे को हर्जाना देना होगा। इन दलीलों के साथ इस यात्री ने अपनी आवाज़ उपभोक्ता फोरम में उठाई थी। इस मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने इस यात्री को हुई परेशानी के चलते रेलवे को आठ हजार रुपये का हर्जाना अदा करने का आदेश दिया है।
आदेश में कहा गया है कि पांच हजार रुपये मानसिक पीड़ा के लिए देने होंगे। दरअसल, ट्रेन में सफर के दौरान खराब खिड़की के चलते इस यात्री को परेशानी हुई थी। कुल मुआवज़े में से पांच हजार रुपये यात्री को हुए मानसिक पीड़ा के लिए और बाकी रकम मुकदमेबाजी की लागत के तहत देने के आदेश मिले हैं। बताया जाता है कि मामला सात साल पुराना है। पुथुर के रहने वाले पीओ सेबेस्टियन ने 29 जून, 2013 को जन शताब्दी एक्सप्रेस में त्रिशूर से तिरुवनंतपुरम की यात्रा की थी। यात्रा के दौरान भारी बारिश हो रही थी लेकिन उनके कोच की स्लाइडिंग खिड़की खराब थी, जिसकी वजह से उनके कपड़े और सामान भीग गया था।
पीड़ित ने टीटीई से मदद की गुहार लगाई। लेकिन कोई सहायता नहीं मिली। सेबेस्टियन के मुताबिक उन्होंने ट्रेन में मौजूद टीटीई से खिड़की की मरम्मत करवाने या उसे सुविधाजनक सीट पर शिफ्ट करने का अनुरोध भी किया था, जिसके जवाब में टीटीई ने मदद करने का वादा तो कर दिया, लेकिन इसके बाद कुछ नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि यात्रा के दौरान अपनी कठिनाई के बारे में उन्होंने तिरुवनंतपुरम में स्टेशन मास्टर को भी सूचित किया था, लेकिन उनकी तरफ से भी कोई अनुकूल प्रतिक्रिया नहीं मिली थी।
आखिरकार पीड़ित ने उपभोक्ता फोरम में वाद दायर कर 50 हजार रुपये के मुआवजे की मांग की। रेलवे के इस व्यवहार से तंग आकर उन्होंने एडवोकेट वी. एम. विनोष के जरिये रेलवे को कानूनी नोटिस भेजा था, जिसमें 50 हजार रुपये के मुआवजे की मांग की गई थी। इसके अलावा उन्होंने उपभोक्ता अदालत में भी एक याचिका दायर की थी। इस याचिका में उन्होंने बताया कि रेलेवे की वजह से यात्रा के दौरान उनका स्वास्थ्य खराब हो गया था। उन्होंने अदालत को एक चिकित्सा प्रमाण पत्र भी दिखाया था, जिसमें उन्होंने बीमार होने और तनाव झेलने का दावा किया था। इस याचिका पर ही अदालत ने रेलवे को उन्हें 8,000 रुपये हर्जाना देने का आदेश दिया है।