अब तो गौर करो सरकार , नया रायपुर के सिर्फ दो प्रोजेक्ट में भ्रष्ट अफसरों ने 100 करोड़ से ज्यादा की रकम खाने के बावजूद डकार तक नहीं ली , छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड में अजगर समेत सांप सपोलों का आतंक , भ्रष्टाचार की दस्तावेजी दास्तान देखकर आप भी पड़ जाएंगे हैरत में , जनता को घटिया मकान देकर अफसरों ने अपने  आलिशान निजी महल खड़ा किए

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रायपुर / रायपुर शहर से मात्र 15 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ की नई राजधानी नया रायपुर बसाई गई है | पहले यह इलाका नया रायपुर के नाम से जाना जाता था | बाद में इसका नामकरण अटल नगर के नाम से हुआ | अपने निर्माण के करीब 15 साल बाद भी इस इलाके से वीरानी खत्म नहीं हुई है | दिन में मंत्रालय में आवाजाही का नजारा दिखाई देता है | शाम ढलते ही फिर इस इलाके में सुनसान रास्ते और घोर अँधेरे में डूबी बस्तियां दिखाई देने लगती है | मंत्रालय के इर्द-गिर्द सैकड़ों भवन बनाए गए है | इसी के बीच सेक्टर – 27 और 29 की बसाहट भी है | ये दोनों ही इलाके छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड के निर्माण कार्यों से पटे पड़े है | यहां आम जनता और कर्मचारियों के लिए लगभग 2 हजार भवन और मकान बनाए गए है | इनमे हर आय वर्ग के लोगों के लिए उनकी सुविधा अनुसार मकान और ड्यूप्लेक्स निर्मित किये गए | 

छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड की विभिन्न योजनाओं के तहत आम जनता और  कर्मचारियों ने इसे खरीदा और अपने घर का सपना पूरा किया | लेकिन अब ये मकान उनके गले की फांस बन गए है | ज्यादातर लोगों इन मकानों की गुणवत्ता और घटिया निर्माण कार्यों को लेकर दो चार हो रहे है | बारिश आते ही कई मकानों में पानी भर जाता है | सैकड़ों मकानों में बड़ी बड़ी दरारे नजर आने लगी है | सीपेज आने के कारण ज्यादातर मकानों की हालत दिनों दिन जर्जर होती जा रही है | यही नहीं इन मकानों में निर्माण के दौरान बरती गई धांधली और भ्रष्टाचार की परत ने इसके खरीददारों की हालत पस्त कर दी है | उन्हें लगने लगा है कि इन मकानों को या तो फौरन बेच दिया जाये या फिर इस स्थान पर नव निर्माण किया जाए | 

दरअसल हाऊसिंग बोर्ड के इन नए नवेले मकानों की गुणवत्ता घटिया होने के चलते मकान मालिकों को लगने लगा है कि छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड ने धोखा देकर उनके सपनो के साथ खिलवाड़ किया है | इन इलाकों में रहने वाले लोगों ने जब मकानों की गुणवत्ता से न्यूज़ टुडे को रूबरू कराया , तब हाऊसिंग बोर्ड की हकीकत सामने आई | भ्रष्टाचार के एक से बढ़कर एक मामले सामने आने के बावजूद आवास और पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर , हाऊसिंग बोर्ड के चेयरमेन कुलदीप जुनेजा और कमिश्नर डॉ. अयाज तंबोली चुप्पी साधे हुए है | यही नहीं भ्रष्टाचार के इस बड़े मामले के खुलासे के बाद सरकार का मौन भी गौरतलब है |   

मामले की पड़ताल के दौरान न्यूज़ टुडे ने निर्माण कार्यों का पूरा ब्यौरा इक्क्ठा किया | इस दौरान प्राप्त दस्तावेज़ों को देखकर आप भी हैरत में पड़ जाएंगे | अटल नगर के सेक्टर – 27 और सेक्टर 29 में बसी क्रांकीट की नगरी की दास्तान खुद हाऊसिंग बोर्ड के ये दस्तावेज प्रमाणित कर रहे है | दस्तावेजों में दर्शाया गया है कि दोनों ही सेक्टर में छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड ने करीब दो हजार मकान बनाने के लिए लगभग 600 करोड़ की राशि व्यय की | इस प्रोजेक्ट को चंद अफसरों ने अपनी काली कमाई का ऐसा जरिया बनाया कि हजारों हितग्राही आज इन मकानों को खरीदकर हाथ मल रहे है | दोनों ही प्रोजेक्ट में भ्रष्ट अफसरों ने 200 करोड़ से ज्यादा  की रकम की अफरा-तफरी की | विभागीय लेखाधिकारी ने दोनों ही प्रोजेक्ट का जायजा लेने के बाद नान एग्रीमेंट आइटम पर 46 करोड़ से ज्यादा का अतिरिक्त व्यय पाया | जबकि बिना स्वीकृति के अनुबंध पर सरकारी तिजोरी में 48 करोड़ से ज्यादा राशि का गबन पाया | बताया गया कि 100 करोड़ से ज्यादा की यह रकम हाऊसिंग बोर्ड के अफसर और ठेकेदारों ने सीधे तौर पर अपनी तिजोरी में डाल ली | 

बताया गया कि छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड के अफसरों ने अनुबंध आइटम अर्थात , मकानों में उपयोग आने वाले नल , खिड़की-दरवाजे , पेंट,पुट्ठी , टाइल्स समेत गुणवत्ता वाली निर्माण सामग्री का अनुबंध किया गया था | लेकिन अनुबंधित सामग्री के बजाए ठेकेदार और अफसरों ने घटिया सामग्री का उपयोग किया | नतीजतन हितग्राही और उपभोक्ताओं को मोटी रकम चुकाने के बावजूद छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड से गुणवत्ता वाली सामग्री नहीं उपलब्ध पाई | इस तरह की गड़बड़ी कर अफसरों ने 46  करोड़ से ज्यादा की रकम पर हाथ साफ़ किया | अफसरों और ठेकेदारों ने उपभोक्ताओं के साथ साथ सरकारी तिजोरी पर भी डकैती डाली | यही हाल हुआ , दूसरी मद का | अनुबंध राशि के बजाए अफसरों ने ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए 48 करोड़ रूपये का अतिरिक्त भुगतान किया | बताया जाता है कि चालाक अफसरों ने साजिश के तहत अनुबंधित रकम से कही ज्यादा रकम ठेकेदारों के खाते में डाल दी | यह रकम ठेकेदारों के जरिये अफसरों की तिजोरी में आ गई | 

हैरान करने वाला तथ्य यह है कि इस मामले की फाइल छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड से गायब करा दी गई है | फाइल गायब कराने के मामले में तत्कालीन लेखाधिकारी एमएस शेख और तत्कालीन कार्यपालन अभियंता हेमंत कुमार वर्मा का नाम लिया जा रहा है | बताया जा रहा है कि जेल जाने से बचने के लिए दोनों ही अफसरों ने कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों को गायब करना शुरू कर दिया है | इस कार्य में मौजूदा कमिश्नर डॉ. अयाज तंबोली का संरक्षण भी चर्चा में है | हालांकि पूर्व में घपलों से जुड़े कई दस्तावेज सूचना के अधिकार के तहत आरटीआई कार्यकर्ताओं को सौंपे गए थे | लेकिन अब इन मामलों की फाइल ही गायब होने की सूचना है | बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड की तमाम योजनाओं में भारी भरकम भ्रष्टाचार सामने आने के बाद जद में आ रहे अफसरों ने अपने बचाव के लिए तमाम दस्तावेज ही गायब करने का बीड़ा उठाया है |