प्रयागराज के संगम तट पर माघ मेले की धूम, दूर दूर से आ रहे साधु-संत, सन्यासियों पर भी छाया हिटलर और ट्रंप का रंग, हर हर गंगे के जाप के बीच साधु-संतो के इस नाम को सुनकर भक्त भी हैरत में, पढ़े दिलचस्प खबर

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प्रयागराज / मोक्ष नगरी प्रयागराज में इन दिनों माघ मेले की धूम है | इस मेले में हिस्सा लेने के लिए बड़ी दूर दूर से साधु संत आ रहे है | हालांकि कोरोना संक्रमण के चलते पहले जैसी रौनक नहीं है | बावजूद इसके लोगों के उत्साह में कोई कमी नहीं है | भक्तों ने भी यहां डेरा डाला हुआ है | लेकिन संगम तट पर चल रहे विशाल माघ मेला मैदान में उन साधु संतो और बाबाओं के नाम को सुनकर लोग हैरत में है , हालांकि बाबाजी अपने पुराने रूप में ही नजर आ रहे है |

प्रयागराज में चर्चा हिटलर बाबा और ट्रंप बाबा की खूब हो रही है | भले ही दोनों शख्सियतों के पीछे बाबा नाम सुनाई देकर आप आश्चर्यचकित हो जाए | लेकिन ऐसा नाम बाबाजी के लिए बिल्कुल सामान्य है | वे अपने रूप में भले ही दिखाई दे रहा हो , उनकी भक्ति का अंदाज वही पुराना है , लेकिन नाम पर लगा विशेषण गौरतलब है | हर हर गंगे का जाप कर बाबाजी गंगा नहा रहे है | दिलचस्प बात यह है कि माघ मेले में शामिल भक्त इन बाबाओं का नया नामकरण सुनकर खूब सेल्फी ले रहे है |

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इनमे से एक है , महामंडलेश्वर माधव दास दिगंबर | अनी अखाड़ा के महत्वपूर्ण साधु संतो में से वे एक है | इस बार उनका अलग ही नाम सुनाई पड़ रहा है | दरअसल उनके सख्त स्वभाव के कारण शिष्य उन्हें हिटलर के नाम से पुकारने लगे है | बताया गया कि प्रयागराज स्थित सैदाबाद के मूल निवासी माधव दास के हठी स्वभाव के कारण उनके गुरु रघुवर दास ने उन्हें हिटलर नाम दिया था । हालांकि माधव दास ने कहा कि मैंने हमेशा वहीं किया जो मुझे सही लगता है और यह बाद में सही साबित भी हुआ। संन्यास लेने का मेरा निर्णय था और जब मैं इसके लिए अडिग था तो मेरे गुरु ने मुझे हिटलर बाबा नाम दे दिया।

उन्होंने कहा कि ‘अगर मेरा गुरु मेरे साथ है तो सब कुछ शुभ है’ अपने नाम लेकर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए महामंडलेश्वर ने कहा, ‘कई बार, जब मेरे गुरु ने मुझे बताया कि यात्रा शुरू करने के लिए अशुभ माने जाने वाले दिशा शूल के कारण मेरी यात्रा शुरू नहीं होती है, तब भी मैं कहूंगा कि अगर मेरा गुरु मेरे साथ है तो सब कुछ शुभ है।’ वह मानते हैं कि उनके असामान्य उपनाम के कारण कुछ लोग उनसे अनिच्छापूर्वक मिलते हैं, लेकिन वे अपनी तपस्या और रहन-सहन की अपनी शैली जारी रखते हैं।

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उधर ट्रम्प का युग अमेरिका में भले ही खत्म हो गया हो लेकिन प्रयागराज में ट्रम्प बाबा के ही चर्चे हैं | ट्रम्प बाबा अपने आश्रम की पूरी जिम्मेदारी उठाते हैं और अभी वहां भण्डारे का काम देख रहे हैं | वो मल्टीटास्किंग में निपुण हैं | हालांकि ये नाम उनके गुरु ने उनकी पर्सनैलिटी के आधार पर दिया | लेकिन ट्रम्प हैं कौन? इससे वो ही अनभिज्ञ हैं | इनके अलावा वहां साइलेंट बाबा, मारुति बाबा, गूगल बाबा, कंप्यूटर बाबा, पायलट बाबा भी खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं और अपने नामों से बेहद खुश भी हैं