छत्तीसगढ़ में प्राइवेट स्कूलों की फीस के नाम पर अवैध वसूली पर सरकार सख्त , रायपुर में 240 प्राइवेट स्कूलों की मान्यता रद्द करने का नोटिस जारी , अभी तक फीस कमेटी का गठन नहीं किया कई स्कूलों ने , अभिभावकों से अवैध वसूली में जुटे स्कूलों को जिला शिक्षा अधिकारी की नसीहत , कहा  – स्कूलों की मनमानी नहीं चलेगी, सकते में स्कूल संचालक , देखे पूरी सूची  

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रायपुर / छत्तीसगढ़ में अनुचित लाभ का धंधा बन चुके सैकड़ों निजी स्कूलों की अवैध वसूली पर सरकार का डंडा चलने वाला है | रायपुर के जिला शिक्षा अधिकारी ने 240 स्कूलों की मान्यता रद्द करने का नोटिस जारी कर दिया है । इन प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ जारी किए गए इस आदेश के बाद से हड़कंप मचा हैं। दरअसल ज्यादातर स्कूल अभी भी अवैध वसूली में जुटे है | अदालत के निर्देश के बावजूद वे कई तरह की फीस की वसूली कर पालकों पर आर्थिक दबाव बनाए हुए है | ऑनलाइन स्टडी का भारी भरकम बिल इन स्कूलों द्वारा पालकों पर थोप दिया गया है | अब निजी स्कूलों की अवैध वसूली पर सरकार की निगाह पैनी होती नजर आ रही है | उसने ऐसे स्कूलों की मान्यता ही रद्द करने का बीड़ा उठाया है | 

दरअसल मनमानी फीस के चलते पालक परेशान हैं , वही दूसरी तरफ ऑनलाइन बच्चों को पढ़ाने वाले पैरेंट्स भी उनके भविष्य को लेकर खतरा महसूस कर रहे हैं। पालकों की दलील है कि ऑनलाइन सिस्टम के चलते उन्हें भी बच्चों को पढ़ाना पड़ रहा है | स्क्रीन के सामने वे पूरा वक्त गुजारते है ताकि बच्चों को ठीक से समझाया जा सके | बावजूद इसके स्कूल संचालकों ने फ़ीस में मनमानी वृद्धि कर दी है | प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने निजी स्कूलों की अवैध वसूली को लेकर  जिला शिक्षा अधिकारी जीआर चंद्राकर को अपनी समस्याओं से रूबरू कराया है | उधर फीस को लेकर कमेटी गठन ना करने वाले स्कूलों में मान्यता रद्द होने की तलवार लटकने से खलबली मच गई है |  

उधर स्कूल एसोसिएशन ने फीस को लेकर अदालती आदेश के पालन को लेकर चुप्पी साधी हुई है | अलबत्ता कई निजी स्कूल संचालक इस प्रशासनिक आदेश को गलत ठहरा रहे है । उनकी दलील है कि उन्हें पहले कोई नोटिस नहीं दी गई। सीधे मान्यता रद्द करने का नोटिस थमा दिया गया | 

इधर जिला शिक्षा अधिकारी जीआर चंद्राकर ने कहा कि छत्तीसगढ़ की सरकार ने फीस अधिनियम 2020 अक्टूबर में बनाया है। 4 महीने हो चुके हैं स्कूलों ने अपने यहां फीस निर्धारण समिति का गठन नहीं किया है। मौजूदा सत्र खत्म हो रहा है और नया सत्र शुरु होने की ओर है। ऐसे में स्कूल के संचालक एडमिशन ले रहे हैं। आखिर जब फीस ही नियमों के मुताबिक तय नहीं हुई तो एडमिशन का अधिकार इन स्कूलों को कैसे मिल गया ? उनके मुताबिक निजी स्कूल मनमानी कर रहे हैं, या अपनी ताकत का इस्तेमाल करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का जो नियम है वो तो मानना ही पड़ेगा। उन्होंने कहा कि  अगर स्कूलों की मान्यता रद्द होती है तो सरकार के नियमों के मुताबिक आस-पास के दूसरे स्कूलों में बच्चों का एडमिशन करवाया जाएगा।

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