कोविड वैक्सीन के दस्तक देते ही नेता जी का रफू चक्कर :
छत्तीसगढ़ में कोविड-19 से बचाव वाली वैक्सीन तमाम जिलों में पहुंच गई है | 16 जनवरी की सुबह से टीकाकरण शुरू हो जायेगा | लोगों में टीके के प्रभाव का पता तो टीकाकरण के बाद ही पता पड़ेगा | लेकिन इसके दस्तक देते ही कोरोना संक्रमण के बजाए , नेता जी रफू चक्कर होते दिख रहे है | लोगों को उम्मीद थी कि वैक्सीन से कोरोना भागेगा | लेकिन टीकाकरण को लेकर नेता जी दूरियां बना रहे है। लोगों की उम्मीदों पर पानी उस समय फिर गया , जब धीरे धीरे इलाके के तमाम नेता खुद वैक्सीन लगवाने को लेकर मुंह मोड़ते नजर आये | नेताओं ने इस मामले को लेकर जो बयान दिया वो भी लोगों के गले नहीं उतर रहा है | आखिर नेता जी वैक्सीन लगवाने से क्यों बच रहे है ? इसका जवाब तो नेता जी ही दे सकते है | लेकिन लोगों के बीच वैक्सीन के साइड इफेक्ट को लेकर कश्मकश की स्थिति है | दरअसल भोपाल समेत कुछ राज्यों में कोरोना वैक्सीन ट्रायल में शामिल कुछ की मौत तो कुछ को साइड इफेक्ट की खबरे सामने आई | इन खबरों को देख – सुनकर कोरोना वारियर्स तो नहीं डरे, लेकिन नेताओं की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई | अब यह देखना गौरतलब होगा कि कोरोना काल में अस्पतालों का बंदोबस्त और जायजा लेने के दौरान अपनी तस्वीरें और प्रचार करने में जोर देने वाले नेता वैक्सीन केंद्रों पर नजर आते है या नहीं ?
दरबार में पैन ड्राइव और हार्ड ड्राइव की दखलंदाजी से सरकार से दूरियां बनाने लगे काम के लोग :
डिजिटल इंडिया की आधारशिला में पैन ड्राइव और हार्ड ड्राइव का बड़ा महत्व है | इसी तर्ज पर छत्तीसगढ़ सरकार के मुखिया के इर्द-गिर्द मंडराने वाले दो शख्स अब सरकार के पैन ड्राइव और हार्ड ड्राइव के रूप में प्रशासनिक गलियारों में चर्चित हो रहे है | नौकरशाह हो या पार्टी कार्यकर्ता दोनों ही मुखिया के दरबार में हाजिर होने से पहले यह जानने को उत्सुक रहते है कि मौके पर कही पैन ड्राइव और हार्ड ड्राइव तो मौजूद नहीं है | दरअसल उन्हें अंदेशा रहता है कि पैन ड्राइव और हार्ड ड्राइव कही उनके किये कराये पर पानी ना फेर दे | इसी खौफ में वे दोनों की नजरों से बच निकलकर ही मुखिया दर्शन करना चाहते है | बताया जाता है कि पैन और हार्ड ड्राइव की निगेटिव बुद्धि का खमियाजा सरकार को भी उठाना पड़ रहा है | कई महत्वपूर्ण लोगों ने दरबार में दस्तक देना बंद कर दिया है। उधर मुखिया ने भी एक कार्यक्रम में “मुखिया मुख सो चाहिए खान पान को एक” कहकर साफ़ कर दिया है कि वो भी बड़े सयान है | लेकिन सयान पर अब पैन ड्राइव और हार्ड ड्राइव भारी पड़ते दिख रहे है। उनकी जरूरत से ज्यादा दखलांदाजी से काम के लोग अब बिदकना शुरू हो गए है | राज दरबार से दूरियां बनाना ही मुनासिब समझ रहे, लोगों की दलील है कि पहले वाले की तर्ज पर ये भी अब हाईजेक हो चले है |
वर्दीधारी डकैत का नया ‘भष्मासुर’ वर्जन हुआ लॉंच :
हाथों में तिलस्मी भस्म और मुँह में वशीकरण मंत्र के जाप से एक वर्दीधारी डकैत ने अपने विरोधियों को ठिकाने लगाने का संकल्प लिया है | हालाँकि वर्दी पहनने का नैतिक हक काफी पहले खो चुके भष्मासुर ने अब सफेद और पीले वस्त्र धारण कर लोगों को हैरत में डाल दिया है। बताया जाता है कि पूर्व मुख्यमंत्री का नाम लेकर दिल्ली में नौकरशाहों – राजनेताओं से संपर्क गांठने वाले इस डकैत और उसके आका की डोर खुद चाउर वाले बाबा ने काट दी है। लिहाजा उसने बाबा का चौला ओढ़ लिया है। कालीघाट के एक नए तांत्रिक से उसने एक तिलस्मी भष्म भी ले आई है। भष्मासुर ने उस भष्म को कुछ खास ठिकानों में छिड़काव का दावा किया है। इन दिनों ‘भष्मासुर ठगराज’ भिलाई , रायपुर-बिलासपुर के सघन दौरे पर है | भिलाई के एक फार्महाउस में धूनी रमाने के बाद उसने रायपुर -बिलासपुर का रुख किया है। संपर्क में आये लोगों को भष्मासुर ठगराज के मुँह से सिर्फ विरोधियों को ठिकाने लगाने का संकल्प सुनाई दे रहा है। वो इसके लिए साम,दाम ,दंड,भेद की नीति का बखान कर रहा है। पुरानी सरकार की तर्ज पर इस सरकार में भी उसे नए आका की तलाश है। दिन दहाड़े डकैती डालने में माहिर इस कुख्यात का दावा है कि उसने मंत्र फूंक दिया है, जल्द नए ठिकाने में उसे आश्रय मिलेगा। उसका दावा है कि तांत्रिक शक्तियों के चलते यह सरकार उसका बाल भी बांका नहीं बिगाड़ पायेगी | उसने सरकार के करीबियों को वशीकरण में फांसने का दावा करते हुए जल्द पुनर्वापसी की मंशा जाहिर की। फ़िलहाल भष्मासुर ठगराज की महफ़िल बिलासपुर में सज रही है | इस महफ़िल में प्रदेश भर के नामी गिरामी चोर लुटेरे , गुंडे बदमाश अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे है | हैरत तो इस महफ़िल में उन लोगों को देखकर हो रही है , जिनके कन्धों पर इस डकैत को हवालात की सैर कराने की जवाबदारी है | बताया जाता है कि बिलासपुर हाईकोर्ट में अपने लंबित मामलों के निपटारे के लिए डकैत ने डेरा डाला है। नागपुर एयरपोर्ट के रास्ते उसका छत्तीसगढ़ प्रवेश हुआ है | लोगों की नजरों से बचते हुए गिरोह के सदस्य इस महफ़िल में शिरकत कर रहे है। लेकिन उन्हें भष्मासुर ठगराज का ‘तांत्रिक अवतार’ देखकर हैरानी हो रही है।
मुन्नी बदनाम हुई डार्लिंग तेरे लिए :
छत्तीसगढ़ में स्कूटी सवार एक विधायक जी अपनी सादगी और स्वच्छ छवि के लिए जाने पहचाने जाते है | लेकिन इन दिनों वे खुद अपने दामन में दाग लगाते नजर आ रहे है | दरअसल जब से विधायक जी को एक प्राधिकरण का चेयरमेन बनाया गया है, तब से उन्होंने अपनी बेदाग छवि को ही मलिन करना शुरू कर दिया है। विधायक जी के समर्थकों की राय कुछ ऐसी ही है। उनकी दलील है कि चेयरमैन बनने से उनके दिन जरूर फिर गए है | लेकिन इससे उनकी निर्मल छवि दागदार भी होने लगी है। उनका मानना है कि अकबर -बीरबल के प्रभाव में विधायक जी खुद अपनी निर्मल छवि पर ही हथौड़ा मारते नजर आ रहे है | दरअसल लोगो को उम्मीद थी कि इस प्राधिकरण में दाखिल होने के बाद वे भ्रष्टाचार और काली कमाई की खदान में गोते लगाने वालों को बेनकाब करेंगे | मतलब प्राधिकरण से ऐसे अफसरों को उनके असल ठिकाने भेजेंगे | लेकिन लोगो को हैरानी तो तब हुई जब विधायक जी खुद उनके रंग में रंगने लगे। दागी अफसर यह कहते सुने गए कि भ्रष्टाचार की गंगा में विधायक जी अपने हाथ धोने खुद उतरे | उन्होंने तो बस हामी भरी थी। चर्चा है कि विधायक जी एकाएक अकबर-बीरबल के उस दांव का शिकार हो गए, जो काफी सोच -समझकर उन्होंने खेला था। इस दांव में फंसने के चलते विधायक जी की स्थिति मुन्नी बदनाम हुई डार्लिंग तेरे लिए की तर्ज पर हो गई है | दरअसल अकबर – बीरबल ने अपने फायदे के लिए कायदे कानूनों को दरकिनार कर विधायक जी के भाई के एनजीओं को मात्र 6 हजार रूपये में 6 हजार स्क्वैर फीट जमीन आवंटित करा दी | इसके चलते विधायक जी सुर्ख़ियों में आ गए। हालांकि ये आवंटन वाजिब और जरूरत मंद बच्चों के लिए था | लेकिन नियमों को दरकिनार कर अपनाई गई प्रकिया के चलते अकबर – बीरबल की नहीं बल्कि विधायक जी की निर्मल छवि पर छींटे उछले। लोगों के बीच विधायक जी की भी कार्यप्रणाली पर सवालियां निशान लगते चले गए | उधर अकबर-बीरबल खुश है कि उनके अरमानों को परवान चढ़ाने के लिए ‘नया शागिर्द’ सामने आ गया है। इसके लिए वो अपनी साख को भी दांव पर लगाने से गुरेज नहीं कर रहा है।
रायपुर में इस आईएएस अधिकारी के जातिवादी दंश से जख्मी हुआ विभाग :
मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना , लेकिन कौमी एकता की मिसाल कायम करने के बजाए एक जिम्मेदार आईएएस अधिकारी इन दिनों सजातीय बंधुओं को उपकृत करने के मामले में काफी सक्रिय है | बताया जाता है कि कुपात्र सजातीय बंधुओं को पदोन्नति देने के मामले में उसने कायदे कानूनों को दरकिनार कर दिया है। यही नहीं जातिवाद का सहारा लेकर उसने विभागीय कर्मियों को साइड लाइन कर दिया है। उनके बजाए आउट सोर्सिंग वाले सजातीय कमिर्यों को विभागियों कर्मियों के लिए स्थापित महत्वपूर्ण पदों पर बैठा दिया है। विभाग में साहब काम काज को लेकर नहीं बल्कि जातिवाद को लेकर चर्चा में है | नतीजतन उनके कामकाज के तौर तरीको को लेकर विभागीय कर्मियों में जबरदस्त आक्रोश देखा जा रहा है | दरअसल इस आईएएस अधिकारी ने सजातीय बंधुओं को उपकृत करने के लिए कायदे कानूनों की ऐसी धज्जियां उड़ाई है कि विभागीय कर्मियों को वकील और अदालत के चक्कर काटने पड़ रहे है। विभागीय कर्मियों को उम्मीद थी कि साहब योग्यता और क़ानूनी प्रावधानों पर ध्यान देंगे लेकिन उनका पूरा जोर जातिवाद पर होने के चलते कोहराम मचा है | उनके कामकाज से सजातीय बंधुओं की तो पौ बारह है, लेकिन विभागीय कर्मियों का दम निकल रहा है | ऊपर से आउट सोर्सिंग वाले कर्मियों को विभागीय कर्मियों के सिर पर बैठा देने से कामकाज अलग प्रभावित हो रहा है। भ्रष्टाचार के मामलों में भी साहब की रूचि दिलचस्प है। लेकिन अब सिर से पानी गुजारता देख, विभागीय कर्मी बगावत पर उतर आये है। उन्होंने मुख्य सचिव से इस आईएएस अधिकारी की शिकायत कर दी है | उधर शिकायत तथ्यात्मक होने के चलते साहब तलब कर लिए गए है | फ़िलहाल जातिवाद के दंश की कालिख से बचने के लिए साहब की लीपापोती चर्चा में है |
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