बड़ी खबर : कृषि कानून पर रोक , सुप्रीम कोर्ट ने 4 सदस्यों की कमेटी बनाई , किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट का रुख कड़ा, दोनों पक्षों की दलीले सुनने के बाद कहा- जमीनी हकीकत जानने के लिए बना रहे कमेटी, किसानों ने आंदोलन रद्द करने से किया इंकार, जब तक कानून की वापसी नहीं घर वापसी नहीं

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नई दिल्ली /  किसान कानूनों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कानूनों के लागू करने पर रोक लगा दी है और किसानों तथा सरकार के पक्ष को सुनने के लिए एक कमेटी के गठन का फैसला किया है। यह कमेटी दोनो पक्षों से किसान कानून के मुद्दे पर बात करेगी। जबतक कमेटी अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में नहीं सौंपती और सुप्रीम कोर्ट नए सिरे से फैसला नहीं सुनाती, तब तक किसान कानून लागू नहीं होंगे। 

उच्चतम न्यायालय में किसान आंदोलन को लेकर दूसरे दिन की सुनवाई गरमा गर्म रही | सरकार की ओर से केंद्र के वकील हरीश साल्वे पैरवी कर रहे है | जबकि किसानों की ओर से भी वकीलों की फ़ौज डटी है | दूसरे दिन की सुनवाई में मुख्य न्यायधीश एसए बोबडे, किसानों के वकील और सरकार के वकील की ओर से काफी तर्क किये गए | 

केंद्र के वकील हरीश साल्वे ने अदालत में कहा कि 26 जनवरी परेड में खलल डालने के लिए कुछ तत्व सक्रीय हो गए है | उन्होंने कहा कि सिख फॉर जस्टिस का प्रदर्शन आखिर क्यों हो रहा है | यही नहीं उन्होंने भरोसा दिलाया कि किसी भी किसान की जमीन नहीं बिकेगी | उधर किसानों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एमएल शर्मा ने कहा कि सभी बात करने सामने आ रहे हैं लेकिन प्रधानमंत्री नहीं आ रहे। इस पर कोर्ट ने कहा कि हम पीएम से नहीं कह सकते, वो इस मामले में कोई पार्टी नहीं है।

अदालत ने कहा कि समिति इसलिए बनाई जा रही है ताकि इस मुद्दे को लेकर तस्वीर साफ हो, हम ये बहस नहीं सुनेंगे कि किसान समिति के सामने पेश नहीं होंगे। कोर्ट ने कहा कि ऐसा सुनने में आया है कि गणतंत्र परेड को बाधित किया जाएगा, ऐसे में हम समझ नहीं पा रहे कि आंदोलनकारी समाधान चाहते हैं या समस्या को और बढ़ाना चाहते हैं। किसान संगठन के एक वकील ने कहा कि बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे किसान आंदोलन में हिस्सा नहीं लेंगे, उनको वापस भेजा जाएगा, जिस पर कोर्ट ने कहा कि इस बयान को रिकॉर्ड पर लिया जा रहा है। अदालत ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि हम कानून के अमल को स्थगित करेंगे लेकिन अनिश्चितकालीन के लिए नहीं करेंगे | कोर्ट ने आगे कहा कि हम अपनी शक्तियों के अनुसार ही इस मामले को सुलझाना चाहते हैं। हमारे पास जो शक्तियां हैं, उनके आधार पर हम कानून के अमल को निलंबित और एक कमेटी गठित कर सकते हैं।  मुख्य न्यायधीश ने कहा कि हम कानून की वैधता और आंदोलन के दौरान किसी व्यक्ति की मृत्यु होने या संपत्ति नष्ट होने को लेकर चिंतित हैं। मुख्य न्यायधीश एसए बोबडे ने कहा कि हम अपने अंतरिम आदेश में कहेंगे कि किसानों की जमीन को लेकर कोई कॉन्ट्रैक्ट नहीं होगा। हम अपने हिसाब से कमेटी बनाएंगे | हम समस्या का समाधान चाहते है , उन्होंने साफ कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट को कानून सस्पेंड करने का अधिकार है | उधर किसानों के वकील एमएल शर्मा ने कहा कि किसानों का कहना है कि वह कोर्ट की ओर से गठित किसी कमेटी के समक्ष उपस्थित नहीं होंगे। इस पर सीजीआई ने साफ़ कर दिया कि किसानों को कमेटी की बात माननी होगी | समाधान के लिए कमेटी के पास जाना होगा | उन्होंने कहा कि अनिश्चितकालीन प्रदर्शन हल नहीं है | हम आज ही अंतरिम आदेश जारी करेंगे | समिति में कौन होगा इसका निर्धारण भी हम करेंगे |

उधर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद भी किसानो ने अपना आंदोलन जारी रखने का फैसला किया है | किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार से बातचीत जारी रहेगी | जब तक कानून वापस नहीं होता तब तक किसान अपने घर नहीं लौटेंगे | बल्कि 26 जनवरी को वे ट्रेक्टर मार्च करेंगे |