तिरुवनंतपुरम / कोविड-19 महामारी से पैदा हुए कई संकटों में आर्थिक संकट भी एक बड़ी समस्या बनकर उभरा है। वैसे तो देश के तमाम राज्यों में विदेशों में कार्यरत लोगों की घर वापसी सुनिश्चित हुई है। लेकिन सबसे ख़राब हालत केरल के है। यहाँ संक्रमण काल में इतने अधिक घर परिवार विदेशों से वापस लौटे है कि राज्य सरकार को उनकी रोजी रोटी के लिए जमकर पापड़ बेलने पड़ रहे है। परेशान सरकार ने रोजगार को लेकर अपने हाथ खड़े कर दिए है। उसने साफ़ कर दिया है कि वो विदेशों से लौटे प्रत्येक नागरिक को रोजगार मुहैया करा पाना संभव नहीं है।
जानकारी के मुताबिक मई 2020 से अब तक 8.43 लाख अप्रवासी वापस केरल लौटे हैं। इनमें से भी करीब 5.52 लाख लोग अपनी नौकरियां गवां चुके हैं। राज्य सरकार के अप्रवासी केरलवासियों के मामलों के विभाग ने घर वापसी के आंकड़े जुटाए हैं। इनके मुताबिक मई 2020 के पहले सप्ताह से 4 जनवरी 2021 तक कुल 8.43 लाख मलयाली लोग विदेश से केरल वापस आए हैं। इनमें से करीब 5.52 लाख लोगों की नौकरी जा चुकी है। नौकरी जाने वाले कुल लोगों में से एक महीने में 1.40 लाख लोगों की नौकरी गई है।
एक जानकारी के अनुसार केरल वापसी करने वालों में बड़ी संख्या उन लोगों की भी है जिनका विदेशों में रोजगार वीजा समाप्त हो गया था। करीब 2.08 लाख लोगों ने अपने स्वदेश वापसी की वजह नौकरी वीजा का खत्म होने के अलावा अन्य कई कारण बताये है। इसके अलावा लौटने वालों में इन लोगों के परिवार के सदस्य, बच्चे या वरिष्ठ नागरिक शामिल हैं। जानकारी के मुताबिक कई देशों में कोरोना संक्रमण की वजह से रोजगार वीजा की अवधि नहीं बढ़ाई गई। नतीजतन ऐसे घर परिवार को वापस भारत लौटना पड़ा।
बताया जा रहा है कि सिर्फ केरल ही नहीं बल्कि देश की अर्थव्यवस्था पर इस बेरोजगारी का दीर्घकालिक असर पड़ेगा। दरअसल केरल की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा पश्चिमी एशिया में निवासरत था। विदेशों में काम करने वाले ये लोग हर माह अपने घरों में रकम भेजते थे। बताया जाता है कि राज्य में सालाना इस तरह से 85,000 करोड़ रुपये था। विदेशों से आने वाली इस रकम के बड़े हिस्से में अब कटौती हो गई है।