नई दिल्ली / देश में टीकाकरण की तैयारियां जोरो पर है। इस बीच वैक्सीन को लेकर दावों – प्रतिदावों का दौर जारी है। इस बीच स्वास्थ्य मंत्रालय अब मधुमेह, कैंसर, किडनी, लीवर और उच्च रक्तचाप के मरीजों को वैक्सीन का टीका लगाने की रणनीति बना रहा है। इस बारे में संगठित समिति की दो बैठक भी हो चुकी हैं। जानकारी के मुताबिक अगले दो से तीन दिन में इस समिति की अंतिम बैठक होने वाली है।इसकी सिफारिशों के आधार पर मंत्रालय पहले से बीमार लोगों की पहचान के तौर तरीकों पर फैसला ले लेगा। समिति के एक वरिष्ठ अधिकारी ने न्यूज़ टुडे को बताया कि टीका लगवाने के लिए लोगों को सबसे पहले कोविन वेबसाइट पर पंजीकरण करना होगा।
उनके मुताबिक अपनी बीमारी और इलाज से जुड़े दस्तावेजों को वेब साइड पर अपलोड करना होगा। इसके बाद जिला प्रशासन द्वारा अधिकृत डॉक्टरों की टीम इसका सत्यापन करेगी। इसी प्रक्रिया के तहत बीमार लोगों के लिए अतिरिक्त दस्तावेज को जोड़ा जाएगा। इसमें अगर कोई व्यक्ति बीमारी से ग्रसित है तो उसकी पुष्टि के लिए उसे अपने इलाज के कोई ना कोई दस्तावेज अपलोड करने होंगे। इस प्रक्रिया में कोई धोखाधड़ी न हो इसके लिए पंजीकृत डॉक्टर द्वारा जारी दस्तावेज ही मान्य होंगे। जानकारी के मुताबिक बीमारी से ग्रसित मरीजों को मार्च के महीने में वैक्सीन देने की तैयारी की जा रही है। न्यूज़ टुडे को मिली जानकारी के मुताबिक पहले चरण में एक करोड़ स्वास्थ्य कर्मियों को टीका लगेगा।
इसके बाद सुरक्षा बलों के जवानों और पुलिस जवानों को टीका दिया जाएगा। इनकी संख्या करीब दो करोड़ के लगभग आंकी गई है। इसके बाद नगर निकाय, नगर निगम के कर्मचारियों को टीका लगेगा। इसके साथ ही पहले से बीमार मरीजों को वैक्सीन देने का काम शुरू होगा। इसमें मार्च तक का समय लग सकता है। जानकारी के मुताबिक जल्द ही केंद्र ऐसे मरीजों की पहचान संबंधी दिशा-निर्देश तमाम राज्यों को भेजेगा। एसएमएस से मिलेगी लोगों को टीका लगने की तारीख और समय की सूचना। ऑनलाइन पंजीकरण के बाद पंजीकृत मोबाइल पर एसएमएस प्राप्त होगा जिसमें तारीख स्थान समय स्पष्ट लिखा हुआ होगा, टीका लगने पर भी एसएमएस आएगा।
दो डोज के बाद मोबाइल पर ही क्यूआर कोड आधारित डिजिटल सर्टिफिकेट जाएगा। भविष्य में इसी सर्टिफिकेट रिकॉर्ड की जांच हो सकेगी। नीति आयोग के सदस्य डॉ वी के पाल ने बताया कि देश में पहले से बीमार लोगों का सरकारी आंकड़ा नहीं है। पहली बार कोरोना टीकाकरण के चलते जमीनी स्तर पर ऐसे लोगों की पहचान होगी। ऐसे में जरूरी है कि पहले से बीमार लोगों को किन-किन आधार पर चयन हो सकता है। इसके लिए अलग से दिशा-निर्देश तैयार किए जाएं। इसलिए केंद्र सरकार ने एक समिति का गठन किया जिसकी सिफारिशों के आधार पर आगे की योजना तैयार होगी।