छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड में पदस्थ जिम्मेदार प्रत्येक अफसरों के सिर पर करोड़ों की रिकवरी का फरमान, लेकिन वसूली को लेकर आड़े आये मंत्री जी, एक मात्र विभाग में इतना व्यापक भ्रष्ट्राचार तो बाकी विभागों का कितना हाल-बेहाल, कुनबे का कहर, देखे दस्तावेजी रिपोर्ट 

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रायपुर / छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड में बड़े पैमाने पर हुए भ्रष्ट्राचार के संरक्षण को लेकर विभागीय मंत्री मोहम्मद अकबर की कार्यप्रणाली चर्चा में है | कहा जा रहा है कि मंत्री जी के एक मात्र इस विभाग में ही जब करोड़ों का वारा-न्यारा हो रहा है , तो बाकि विभागों का क्या हाल होगा ? इसे समझा जा सकता है | चर्चा इस बात को लेकर भी हो रही है कि जब बड़े पैमाने पर भ्रष्ट्राचार पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के कार्यकाल में हुआ है तो मौजूदा मंत्री जी को उन अफसरों पर रहम क्यों आ रहा है ? आखिर क्यों भ्रष्ट्राचार के मामले में दोषसिद्ध पाए गए अफसरों से करोड़ों की वसूली को लेकर मंत्री जी ने आखिर क्यों मौन साधा हुआ है |

यही नहीं 24 माह बाद भी ऐसे अफसरों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई करने में विभागीय मंत्री मोहम्मद अकबर ने आखिर क्यों रूचि नहीं ली ? सवाल ढेरों है , लेकिन लोगों की जुबान पर इसका एक ही जवाब है | उनका मानना है कि पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के मंत्रियों और अफसरों के साथ “अजगर” नामक ठेकेदार के बड़े ही करीबी सम्बन्ध थे | लिहाजा भ्रष्ट्र अफसरों के साथ इस ठेकेदार का सीधा सीधा नाता रहा | ऐसे में जब भ्रष्ट्र अफसर नपेंगे तो ठेकेदार पर गाज गिरना भी लाजमी है | लिहाजा छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड के भ्रष्ट्रचारों को लेकर पूर्ववर्ती सरकार की तर्ज पर मौजूदा कांग्रेस सरकार के मंत्री जी भी मुंह फेरने लगे है | 

उधर लोगों की जुबान पर मोहम्मद अकबर के प्रभार वाले अन्य विभागों का भी हाल-चाल सुर्खियां बटोर रहा है | बताया जा रहा है कि इन विभागों में कामकाज की गति पकड़ने या उसके बे रफ़्तार होने के पीछे भी एक ख़ास कुनबा काम कर रहा है | फ़िलहाल तो छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड के उन अफसरों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की मांग जोर पकड़ रही है , जिन्होंने सरकार की तिजोरी में सेंधमारी करने में कोई कसर बाकि नहीं छोड़ी है | दस्तावेज बताते है कि मात्र पांच सालों के कार्यकाल में ही इन अफसरों ने करोड़ों रूपये अपनी जेब में डाल लिए | वर्ष 2013 की कैग के रिपोर्ट के अलावा विभागीय जांच में भी करोड़ों के घोटाले की पुष्टि हुई है |

जांच रिपोर्ट में उन अफसरों को भी नामजद किया गया है , जिन्होंने अपने पद और अधिकारों का दुरूपयोग करते हुए सुनियोजित भ्रष्ट्राचार को अंजाम दिया था | अफसरों के अलावा ठेकेदारों और उनकी कंपनियों हवाला भी जांच रिपोर्ट में है | बताया जा रहा है कि यह जांच रिपोर्ट वर्ष 2013 की है | इस रिपोर्ट के सावर्जनिक होने के बाद तत्कालीन सरकार ने दुर्ग-भिलाई स्थित तालपुरी प्रोजेक्ट को लेकर भ्रष्ट्राचार की कोई जांच नहीं की | जानकारी के मुताबिक वर्ष 2013 से लेकर 2020 तक छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड के तालपुरी समेत अन्य प्रोजेक्ट की पड़ताल की जाए तो चौकाने वाले खुलासे होंगे | भ्रष्ट्राचार की इन योजनाओं में “अजगर” नामक ठेकेदार की केंद्रीय भूमिका बताई जा रही है |