नई दिल्ली / वर्ष 2020 की विदाई का वक्त करीब है , 4 दिन बाद मनाये जाने वाले नववर्ष के जश्न को लेकर लोगों में अभी से उत्साह दिखाई दे रहा है | घरों से लेकर होटलों तक में इसकी तैयारी जोरो पर है | 2020 के दस्तक देते ही दुनियाभर में कोरोना वायरस की चर्चा शुरू हो गई थी | लेकिन इसका कहर देखने को मिला, मार्च महीने के पहले ही हफ्ते से | कोरोना संक्रमण का तमाम देशों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर भारी असर दिखाई दिया | देश में कोरोना वायरस ने ही नहीं बल्कि कुछ राजनेताओं ने भी ऐसे बयान दिए जो किसी संक्रमण की तर्ज पर नजर आये | उनके बयानों ने भी देश में खूब खलबली मचाई |
इन बयानों में कई प्रदेशों की राजनीति सुर्ख़ियों में आ गई | मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुईं इमरती देवी पर बयान हो या फिर उत्तर प्रदेश के राज्य मंत्री स्वरूप शुक्ला का देश के पहले शिक्षा मंत्री डॉ अबुल कलाम आजाद पर दिया बयान हो, इन तमाम ही बयानों ने देश के राजनीतिक गलियारों में खूब खलबली मचाई | मार्च का महीना आते ही मध्यप्रदेश में राजनैतिक गलियारा सुर्खियों में आ गया | यहां मुख्यमंत्री कमलनाथ अर्श से फर्श पर आ गए | कमलनाथ ने अपनी ही मंत्री को लेकर आइटम वाला बयान दिया | इसने भोपाल से लेकर दिल्ली तक का राजनैतिक माहौल गरमा दिया |
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्य में सत्ता से हाथ धोने के बाद कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुईं इमरती देवी पर निशाना साधा | इमरती देवी के खिलाफ उनके एक ऐसे शब्द के इस्तेमाल से सनसनी मच गई , जिससे कांग्रेस को भी किनारा करना पड़ा | दरअसल कमलनाथ इमरती देवी को ‘आइटम’ कह बैठे थे | उनके इस बयान के बाद इमरती देवी सहित राजनीति जगत के कई दिग्गजों ने नाराजगी जाहिर की थी |
उधर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के “कोई मरने आ ही रहा तो कैसे बचेगा” बयान ने भी खूब सुर्खिया बटोरी | हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अक्सर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में छाए रहते हैं | उनके कुछ बयानों को लेकर काफी हो हल्ला सालभर हुआ | लेकिन नागरिकता संशोधन कानून को लेकर लखनऊ में हुई हिंसा पर उनके एक बयान ने विरोधियों की नींद उड़ा दी | सीएम योगी ने ऐसा बयान दिया जिसके बाद विपक्ष उनकी आलोचना में जुट गया | उन्होंने सदन में कहा यूपी में एक भी दंगा नहीं और जब कोई मरने ही आ रहा है तो वह जिंदा कैसे बचेगा, उन्होंने कहा कि पुलिस की गोली से कोई नहीं मरा जो लोग मरे वो उपद्रवी थे और वे आपस में मरे |
मध्यप्रदेश में भोपाल से सांसद प्रज्ञा ठाकुर के हालियां बयान “शूद्र को शूद्र कह दो तो” ने भी खलबली मचाई | सांसद प्रज्ञा ठाकुर भी अपने बयानों के चलते संसद से लेकर सड़क तक सुर्खियों में रहती हैं | हाल ही में क्षत्रिय सम्मेलन के दौरान भी अपने बयान के कारण वह चर्चा में आ गईं | उन्होंने क्षत्रिय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा- ‘हमारे धर्म शास्त्रो में समाज की व्यवस्था के लिए 4 वर्ग तय किए गए हैं. क्षत्रिय को क्षत्रिय कह दो, तो बुरा नहीं लगता, ब्राह्मण को ब्राह्मण कह दो तो बुरा नही लगता, वैश्य को वैश्य कह दो तो बुरा नहीं लगता, लेकिन शूद्र को शूद्र कह दो तो बुरा लग जाता है.’ प्रज्ञा के इस बयान के बाद कई संगठनों ने आपत्ति जताई |
स्पोर्ट्स वुमन और बीजेपी नेत्री बबीता फोगाट का “तब्लीगी जमात” पर दिया गया बयान भी खूब सुर्ख़ियों में रहा | बबीता फोगाट भी अपने बयानों के चलते सालभर काफी सुर्खियों में रहीं | उनका तब्लीगी जमात हो या फिर बॉलीवुड ड्रग्स मामले में बयान , बबीता फोगाट ने कई मुद्दों पर ट्वीट कर खूब खलबली मचाई | कोरोना वायरस के चलते देश में लगे लॉकडाउन के बीच तब्लीगी जमातियों के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद बबीता फोगाट ने कुछ ऐसे ट्वीट किए थे, जिसके बाद ट्विटर पर उनका अकाउंट सस्पेंड किए जाने की मांग उठने लगी | सड़क से लेकर संसद तक कई लोगों ने इस पर आपत्ति जताई |
उत्तर प्रदेश के बीजेपी नेता स्वरूप शुक्ला ने “डॉ अबुल कलाम आजाद में नहीं थी भारतीयता” वाला बयान देकर राजनीति में खलबली मचा दी | उनके इस बयान की कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलों ने निंदा की | प्रदेश सरकार के राज्य मंत्री स्वरूप शुक्ला ने देश के पहले शिक्षा मंत्री डॉ अबुल कलाम आजाद पर विवादित टिप्पणी करते हुए एक ऐसा बयान दिया, जिससे पूरी राजनीति जगत में हलचल मच गई | उन्होंने जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि देश के पहले शिक्षा मंत्री डॉ अबुल कलाम आजाद में भारत और भारतीयता के लिए स्थान नहीं था |
हाल ही में बिहार के नेता अमरेंद्र प्रताप सिंह का किसान आंदोलन को लेकर दिया गया बयान सरकार के लिए गले की फांस बन गया | उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि “मुट्ठी भर दलाल कर रहे किसान आंदोलन” उनके इस बोल के फूटते ही किसानों का गुस्सा भी भड़क गया | दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन पर बिहार के कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने कुछ ऐसा कह दिया, जिससे चौतरफा उनके बयान की चर्चा हुई | किसान आंदोलन पर निशाना साधते हुए अमरेंद्र प्रताप सिंह ने इसे दलालों का आंदोलन बता दिया | जिसके बाद वह कई राजनीतिक दलों के निशाने पर आ गए |