भारत में भी कोरोना के नए अवतार का खतरा, ब्रिटेन से महीने भर में आये 50 हजार से अधिक लोगों की तलाश जारी, देश में कोरोना से इतनी अधिक संख्या में हुई मौत को लेकर सरकारी पड़ताल की रिपोर्ट जारी, संक्रमितों और उनके परिजनों को होना होगा सतर्क

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नई दिल्ली / देश में एक बार फिर कोरोना के नए अवतार का खतरा मंडराने लगा है। ब्रिटेन में कई लोगों की मौत के बाद फिर लॉकडाउन की स्थिति है।ब्रिटेन में कोरोना वायरस के नए संक्रमण से एक बार फिर दुनियाभर के लोगों में भय का माहौल व्याप्त हो चूका है। इसी क्रम में कोरोना के नए संक्रमण से भारत सरकार की चिंता बढ़ा दी है। केंद्र सरकार ने फौरी कदम उठाते हुए ब्रिटेन से आने वाली सभी उड़ाने रद्द कर दी है।

यही नहीं सरकार ने एक और ठोस कदम उठाते हुए पिछले एक महीने में ब्रिटेन से भारत आए सभी लोगों की सूची तैयार कर उनकी खोजबीन शुरू कर दी है। ऐसे लोगों की फिर जाँच होगी। तलाशी करने के बाद सरकार सभी लोगों की कोरोना जांच करवाकर यह पता करने की कोशिश करेगी कि कहीं इन सभी लोगों कोरोना का नया स्वरूप तो नहीं है, जो कि ब्रिटेन से फैलना शुरू हुआ था। इस सूची को अब सभी राज्यों से साझा किया जा रहा है। भारत सरकार के आंकड़े के अनुसार एक महीने में कुल 50,832 लोग ब्रिटेन से भारत आए हैं। इसमें सबसे अधिक 16,281 लोग दिल्ली में आए हैं।

भारत समेत कुल 49 देश ब्रिटेन से आने वाली उड़ानों पर रोक लगा चुके हैं। यह वायरस म्यूटेट जल्दी-जल्दी कर रहा है और इस वजह से वह लोगों को जल्दी अपना शिकार बना सकता है। तेजी से कई लोगों को शिकार बनाने की वजह से इसे “सुपर स्प्रेडर” कहा जा रहा है। इस संक्रमण से फिर मौतों का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, कोविड -19 का ये नया रूप दक्षिण-पूर्व इंग्लैंड में शुरू हुआ है। यह रूप दिसंबर में शोधकर्ताओं के ध्यान में आया, जब इसने दक्षिणी इंग्लैंड के कुछ हिस्सों में कई बार अपने रूप को बदलना शुरू कर दिया।

उधर भारत सरकार ने साफ किया है कि देश में कोरोना बीमारी से बड़ी संख्या में आखिर मौत क्यों हुई। विशेषज्ञों का कहना है कि बड़े पैमाने पर जो मौतें हुई हैं, उसका कारण यह है कि मरीज देर से अस्पताल पहुंच रहे हैं। सरकार के मुताबिक भारत में प्रति दस लाख की आबादी पर कोरोना से मरने वाले मरीजों की संख्या 106 हैं जबकि यही आंकड़ा वैश्विक स्तर पर 216 है।

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डॉक्टर वीके पॉल का कहना है कि देश में आबादी की तुलना में मरने वालों की संख्या कम है और विश्लेषण के अनुसार ज्यादातर पॉजिटिव मामले जो गंभीर हैं, देर से अस्पताल आते हैं, जिसकी वजह से इतनी संख्या में मौतें हुई हैं। मरीज के देरी से अस्पताल पहुंचने पर स्थिति बिगड़ जाती है। डॉ. पॉल का कहना है कि आंकड़ों की मानें तो देश में कोरोना के मामलों में गिरावट आई है। वर्तमान में प्रति दस लाख की आबादी पर भारत में 7,300 कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं, जबकि वैश्विक स्तर पर यह आंकड़ा 9,600 है।