नई दिल्ली / भारत में कोरोना काल ने अर्थव्यवस्था को जहाँ करारी चोट दी वही कई लोगों को बेरोजगार कर दिया। अभी अनलॉक की स्थिति ने जोर पकड़ा ही कि सरकार के खिलाफ किसानों ने बड़ा आंदोलन खड़ा कर दिया। इन सबके बावजूद देश में महंगाई ने जैसे ही जोर पकड़ा सरकार ने उस पर काबू पाने के लिए फौरी कदम उठाने शुरू किये। हालाँकि सरकार को महंगाई पर रोक लगाने की दिशा में आशातीत सफलता नहीं मिल पाई। बावजूद इसके महंगाई की रफ़्तार पड़ोसी देशों की तुलना में जोर नहीं पकड़ पाई। तमाम आलोचनाओं के बीच न्यू इंडिया और नया पाकिस्तान की तुलना शुरू हो गई है। एक समय भारत को आंख दिखाने वाला पाकिस्तान इन दिनों हमसे ही आंखे चुराने लगा है।
पाकिस्तान की जनता बढ़ती महंगाई से निजात पाने के लिए भारत की ओर देख रही है। बताया जाता है कि पाकिस्तान के मौजूदा प्रधानमंत्री इमरान खान नया पाकिस्तान बनाने का नारा देकर सत्ता में आए थे। लेकिन उनके सत्ता में आने के बाद पाकिस्तान बिखरने की ओर तेजी से बढ़ रहा है। हालात वाकई नए पाकिस्तान की ओर इशारा कर रहे है। इस पड़ोसी देश की अर्थव्यवस्था इतनी चरमरा चुकी है कि अब वहां 1000 रुपये किलो अदरक, 60 रुपये किलो गेहूं, शक्कर 100 रुपये kg और एक अंडा 30 रुपये का मिलने लगा है।पाकिस्तान के डूबती अर्थव्यवस्था के प्रतीक बन गए हैं और महंगाई हर दिन नया रिकॉर्ड बना रही है।
थोक में दर्जन के भाव से अंडे के दाम 240 रुपये जबकि सिर्फ एक अंडा 30 रुपये का हो गया है। 100 रुपये kg मिलने वाला चिकन 300 रुपये किलो बिक रहा है। पाकिस्तान में गेहूं भी 60 रुपये किलो बिक रहा है जिसके बाद आटे की कीमतों में भी आग लगी हुई है। रोजमर्रा की जरूरतों के हर सामान की कीमत पाकिस्तान में आसमान छू रही है। यही नहीं घरेलू गैस की कीमत 2000 रुपये पहुँच गई है। यहाँ करीब 25 फीसदी जनता गरीबी रेखा से नीचे जीवन गुजारने में मजबूर है। नए पाकिस्तान में जनता को दो वक्त का खाना भी बड़ी मुश्किल से नसीब हो रहा है।
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उधर बढ़ती महंगाई पर काबू ना कर पाने के चलते पीएम इमरान खान की कुर्सी डगमगाने लगी है। अर्थव्यवस्था के जानकार उन्हें भारतीय प्रधानमंत्री मोदी से सीख लेने की हिदायते देने लगे है। पाकिस्तानी मीडिया में एक बार फिर नरेंद्र मोदी की चर्चाये आम हो गई है। विपक्ष इमरान खान को यह कहकर ताने दे रहा है कि भारत से कटु संबंध बना लेने से देश की जनता के सामने भूखमरी की नौबत आ गई है।