भोपाल / मध्य प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं को करंट लगते ही राज्य सरकार के खिलाफ माहौल तैयार होने लगा है। कांग्रेस समेत कई संगठनों ने बिजली के दाम में बढ़ोत्तरी का विरोध करते हुए प्रदर्शन का ऐलान किया है। दरअसल राज्य सरकार के निर्देश पर बिजली कंपनियों ने घरेलू बिजली में 15 पैसा प्रति यूनिट के दर से बिल बढ़ा दिया है। इसके पीछे प्रदेश के बिजली कंपनियों पर बढ़ते घाटे को पूरा करने के लिए बना दबाव बताया गया है। जानकारी के मुताबिक करीब 730 करोड़ के घाटे को पूरा करने के लिए बिजली कंपनियों ने विद्युत नियामक आयोग से बिजली दरों को बढ़ाने की मांग की थी। इसके बाद प्रदेश में घरेलू बिजली की दरों में 1.98 फीसदी की वृद्धि को विद्युत नियामक आयोग ने मंजूरी दी है।

कंपनियों ने बिजली की दरों में 5.73 फीसदी का प्रस्ताव दिया था। इससे कंपनियों को करीब 2169 करोड मिलते। इस पर आयोग ने 7673 करोड़ की जरूरत और 730 करोड़ रुपए के घाटे को मंजूर किया है। बिजली कंपनियों ने आयोग को 40,016 करोड़ रुपए के राजस्व की जरूरत का प्रस्ताव सौंपा था। जानकारी के मुताबिक, प्रदेश की बिजली कंपनियों ने फरवरी 2020 में 5.73 फीसद तक बिजली की दर बढ़ाने का प्रस्ताव आयोग को दिया था, लेकिन कोरोनाकाल के कारण इस प्रस्ताव पर फैसला नहीं हो सका। आयोग ने गुरुवार को नया टैरिफ जारी कर दिया। इसके जारी होते ही प्रदेश भर में बवाल मच गया है।

आयोग के जारी टैरिफ में अब उपभोक्ताओं से मीटर किराया नहीं लिया जाएगा, लेकिन बिजली की दर में 1.98 फीसदी की वृद्धि उपभोक्ता को भरनी होग | नई दरें 26 दिसंबर से लागू होंगी। हालांकि, यह दरें अगले 3 महीनों के लिए होंगी। बिजली कंपनियों के प्रस्ताव पर आयोग अगले वित्त वर्ष के लिए 3 महीने बाद दोबारा दरें निर्धारित करेगा। विद्युत नियामक आयोग ने ऑनलाइन, अग्रिम भुगतान और प्रीपेड मीटर पर मिल रही छूट को जारी रखने का फैसला लिया। उधर कोरोना काल में रोजगार और वेतन में कटौती को लेकर लोगों को आर्थिक मार पड़ी है। ऐसे में बिजली कंपनियों के घाटे की पूर्ति के लिए आम जनता की जेब में भार डालना लोगों को रास नहीं आ रहा है। कांग्रेस समेत कई संगठन इसका विरोध कर रहे है।
