रायपुर / छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से उम्मीद की जा रही थी कि वो मौजूदा कांग्रेस सरकार की “दशा और दिशा” को एक नया रूप देंगे | लेकिन बीते पांच माह के कार्यकाल से जाहिर हो रहा है कि “कांग्रेस सरकार” अपने पद से “डगमगाने” लगी है | कई गंभीर मामलों को लेकर जहां उसे अदलात में मुंह की खानी पड़ी है वही अब सरकार के कई फैसले भी विवादों से घिरने लगे है | ताजा मामला सरकारी महकमों में “सविंदा नियुक्ति ” को लेकर है |
छत्तीसगढ़ विधानसभा में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव और कांग्रेस के मौजूदा मुखिया भूपेश बघेल ने बीजेपी सरकार को इसलिए आड़े हाथों लिया था कि वो “सविंदा नियुक्ति का खेल” कर कुछ खास अफसरों को उपकृत कर रही है | ऐसे अफसरों को बीजेपी और आरएसएस का पिट्ठू बताने में भी कांग्रेस ने कोई कसर बाकि नहीं छोड़ी थी | विधानसभा के रिकार्ड में सब कुछ दर्ज है कि आखिर कांग्रेसी विधायकों ने “संविदा नियुक्ति” को लेकर किस तरह से तत्कालीन बीजेपी सरकार की घेराबंदी की थी | लेकिन सत्ता में आने के बाद कांग्रेस अब वह सब कुछ कर रही है , जो बीजेपी ने अपने शासनकाल में किया था | जबकि विवादित फैसलों के चलते बीजेपी को सत्ता से हाथ धोना भी पड़ा था |

ताजा मामला राजभवन के सचिव सुरेन्द्र कुमार जायसवाल की “संविदा नियुक्ति” से जुड़ा है | सत्ता में आने के बाद अब संविदा नियुक्ति को लेकर कांग्रेस का “हृदय परिवर्तन” हो चूका है | उसने भी पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार की तर्ज पर जनता से किये गए वादों पर पर्दा डालना शुरू कर दिया है | “राजभवन में सचिव” के पद पर तैनात सुरेन्द्र कुमार जायसवाल के रिटायर होने से पहले उनकी “संविदा नियुक्ति” की फाइल “मंत्रालय” में इतनी तेजी से दौड़ी कि रिटायर होने से पहले ही संविदा नियुक्ति का पत्र तस्तरी में डालकर उनके हाथ में पेश कर दिया गया | कांग्रेस सरकार के इस फैसले से राज्य की जनता हैरत में है | पार्टी के विधायक भी इस मामले में चुप्पी साधते हुए अपनी ही सरकार की कार्यप्रणाली पर सवालियां निशान लगा रहे है | उन्हें कतई उम्मीद नहीं थी कि उनकी सरकार भी बीजेपी के पदचिन्हों का अनुसरण करेगी |
इसके पहले माना जा रहा था कि कांग्रेस सरकार में “संविदा नियुक्ति” का खेल ना केवल खत्म होगा बल्कि , सरकार के दूसरे महकमों में तैनात “संविदा” में नियुक्त हुए अफसरों की भी छुट्टी हो जाएगी | लेकिन हो उल्टा रहा है | संविदा नियक्ति खत्म कर नए अफसरों को मौका देने के बजाए कांग्रेस सरकार भी बीजेपी की राह पर चल पड़ी है |
शुक्रवार को उच्च शिक्षा विभाग व राज्यपाल के सचिव सुरेंद्र कुमार जायसवाल को एक साल के लिए “संविदा नियुक्ति” दे दी गई है । संविदा नियुक्ति के तहत उन्हें राज्य सरकार ने संसदीय कार्य विभाग का सचिव बनाया है | रिटायरमेंट के दूसरे ही दिन सरकार ने उन्हें संविदा नियुक्ति का पत्र देकर बीजेपी की भौंए खिला दी है | बीजेपी नेताओं की दलील है कि कांग्रेस सरकार सिर्फ राजनीति के तहत उनके फैसलों का विरोध करती थी | लेकिन अब उन्ही के फैसलों पर अमल कर रही है | बीजेपी प्रवक्ता श्रीचंद सुंदरानी के मुताबिक तत्कालीन बीजेपी सरकार ने तमाम फैसले काफी सोच समझकर लिए थे | लेकिन कांग्रेस ने उन फैसलों को गलत ढंग से जनता के सामने पेश कर सत्ता हथिया ली | उनके मुताबिक बीजेपी सरकार के फैसलों को दुहरा कर अब कांग्रेस अपनी सत्ता चला रही है |
बताया जाता है कि छत्तीसगढ़ कैडर में कई वरिष्ठ आईएएस अधिकारी है , जो अपनी पदोन्नति की आस लगाए बैठे है | वे भी अपनी “अच्छी कार्यशैली” और “संसदीय ज्ञान” के चलते इस पद के लिए योग्य साबित हो सकते है | लेकिन उन्हें मौका ना देकर एक बार फिर “संविदा का खेल” शुरू हो गया है | बताया जाता है कि वर्ष 2000 बैच के IAS अफसर सुरेंद्र कुमार जायसवाल ने कुछ समय पहले ही सामान्य प्रशासन विभाग में संविदा नियुक्ति के लिए आवेदन किया था। उनके आवेदन पर राज्य सरकार ने “हाथों-हाथ” विचार कर लिया | “सरकार” ने यह भी नहीं सोचा कि कांग्रेस के विधायकों ने पिछली विधानसभा में संविदा नियुक्ति को लेकर कितना बखेड़ा खड़ा किया था | बहरहाल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार के तमाम फैसले अब जनता की अदालत में जांचे परखे जा रहे है | देखना होगा कि बीजेपी के कितने फैसलों को मौजूदा “कांग्रेस सरकार” भी अमली जामा पहनाती है | आखिर “सरकार” कह चुकें है , बीजेपी जो लक्ष्य निर्धारित करती है , उसे कांग्रेस ही पूरा करती है |

