बड़ी खबर : केंद्र सरकार के खिलाफ किसान संगठनों के तेवर सख्त , किसानों ने ठुकराया सरकार का लिखित प्रस्ताव , आंदोलन होगा तेज , राष्ट्रपति से मिले विपक्षी दल के नेता 

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नई दिल्ली / कृषि कानूनों के खिलाफ 14 दिन से आंदोलन कर रहे किसानों से 6 बार बातचीत करने के बाद सरकार ने आज कानूनों में बदलाव का 10 पॉइंट का लिखित प्रस्ताव भेजा था। लेकिन, किसानों ने इसे भी ठुकरा दिया। किसान कानून रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। उनका कहना है कि अब पूरे देश में आंदोलन तेज होगा। अंबानी-अडानी के प्रोडक्ट और भाजपा नेताओं का बायकॉट करेंगे।

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि किसान पीछे नहीं हटेंगे। यह सम्मान का मुद्दा है। क्या सरकार कानून वापस नहीं लेना चाहती? क्या किसानों पर अत्याचार होगा? अगर सरकार जिद पर अड़ी है तो, किसान भी अपनी बात पर डटे हैं। कानून वापस होने ही चाहिए।किसान नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहा कि हमने सरकार का प्रस्ताव ठुकरा दिया है
किसान नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि हमने सरकार के सभी प्रस्ताव ठुकरा दिया है। क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने कहा कि, जो सरकार की तरफ से प्रस्ताव आया है उसे हम पूरी तरह से रद्द करते हैं। इसके अलावा अन्य नेताओं ने भी प्रेस को संबोधित किया जिसकी प्रमुख बातें निम्न हैं-
* जियो के सभी प्रोडक्ट का बहिष्कार करेंगे
*14 दिसंबर को पूरे देश में धरना-प्रदर्शन करेंगे।
*पूरे देश में जारी रहेगा आंदोलन
*13 तारीख को पूरे देश में धरना प्रदर्शन करेंगे
*12 तारीख को पूरे देश में टोल प्लाजा फ्री करेंगे
*12 तारीख तक कभी भी दिल्ली-जयपुर और दिल्ली-आगरा हाईवे बंद किया जाएगा
*14 दिसंबर के बाद से अनिश्चितकालीन प्रदर्शन जारी रहेगा, जब तक तीनों कानून वापस नहीं लिए जाते। 
*बीजेपी के मंत्रियों का घेराव होगा।
*एक के बाद एक दिल्ली की सड़कें जाम की जाएंगी। 

20 सियासी दल किसानों की मांगों का समर्थन कर रहे हैं। मंगलवार को किसानों के भारत बंद में भी विपक्षी दलों ने हिस्सा लिया था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार समेत विपक्ष के 5 नेता राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात कर रहे हैं। मीटिंग में माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, सीपीआई के डी. राजा और डीएमके के एलंगोवन भी शामिल हैं।