बढ़ सकती हैं सीबीएसई की दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं की तारीखें, शिक्षा मंत्री निशंक 10 दिसंबर को अभिभावकों और शिक्षकों के साथ करेंगे वार्ता

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नई दिल्ली। कोरोना संकट को देखते हुए जिस तरह से दिल्ली सहित देश के ज्यादातर हिस्सों में स्कूल अभी भी बंद हैं, उसे देखते हुए सीबीएसई की दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षाएं कुछ और आगे बढ़ सकती है। यानी इन्हें फरवरी-मार्च की जगह अप्रैल-मई में कराया जा सकता है। हालांकि इसे लेकर स्कूल संगठनों और प्रतियोगी परीक्षाएं कराने वाले एजेंसियों के साथ चर्चा की जा रही है। फिलहाल अगले कुछ ही दिनों से इसे लेकर सारी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। पिछले साल यानी वर्ष 2020 में सीबीएसई की बोर्ड परीक्षाएं 15 फरवरी से 30 मार्च के बीच हुई थी।

इस बीच सीबीएसई की बोर्ड परीक्षाओं सहित जेईई मेंस और नीट जैसी परीक्षाओं की तारीखों को लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक खुद भी सामने आ चुके हैं। उन्होंने छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों के साथ 10 दिसंबर को इस मुद्दे पर फेसबुक और ट्वीटर के जरिए सीधी चर्चा भी रखी है। साथ ही इसे लेकर सभी सुझाव भी मांगे गए है।


हालांकि इस सब के बीच केंद्रीय विद्यालय संगठन से जुड़े सूत्रों की मानें तो स्कूलों के बंद होने से छात्रों को थ्योरी तो ऑनलाइन पढ़ा दी गई है, लेकिन प्रैक्टिकल अभी बिल्कुल भी नहीं हो पाया है। ऐसे में बगैर प्रैक्टिकल कराए छात्रों की कैसे परीक्षाएं ली जा सकती है। हालांकि इस बीच छात्रों को 15 दिसंबर के बाद दस-दस के ग्रुप में प्रैक्टिकल के लिए बुलाने की भी तैयारी है, लेकिन इसके लिए स्थानीय प्रशासन और राज्यों की अनुमति जरूरी होगी। बता दें कि पिछले साल यानी वर्ष 2020 में छात्रों की प्रैक्टिकल की परीक्षाएं एक जनवरी से ही शुरू हो गई थी, जो सात फरवरी तक हुई थी। जबकि इस साल भी अभी तक छात्रों ने प्रयोगशालाओं का मुंह तक नहीं देखा है।

वहीं कोरोना के चलते छात्रों को भले ही ऑनलाइन पढ़ाने का दावा किया जा रहा है, लेकिन असलियत यह है कि इस पढ़ाई से न तो ज्यादातर छात्र संतुष्ट है न तो शिक्षक। यही वजह है कि स्कूल भी परीक्षाओं के लिए और समय देने के पक्ष में है। सूत्रों के मुताबिक स्कूलों का मानना है कि जिस तरह से कोविड़ के टीके के कुछ ही हफ्तों में आने की उम्मीद जताई जा रही है,उसके बाद कोरोना के डर में भी कमी आएगी। साथ ही जो अभिभावक अभी बच्चों को स्कूल भेजने से डर रहे है, वह भी तैयार हो जाएंगे। इसके बाद बच्चों को कुछ हफ्तों के स्कूल बुलाकर उन्हें प्रैक्टिकल सहित ऐसे चैप्टर पढ़ाए जा सकेंगे, जो ऑनलाइन उनकी समझ में नहीं आए है। यही वजह है कि वह भी कुछ और समय चाह रहे है।