रायपुर में सरकारी जमीन निजी बिल्डरों के हाथों में सौंपने की तैयारी , 37.02 एकड़ जमीन पर गिद्ध निगाहें , अब छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड के जरिए दाखिल होंगे भू-माफिया , मंत्रियों और अफसरों की मौजूदगी में ब्लू प्रिंट तैयार , 700 करोड़ से अधिक की शांति नगर योजना को पीपीपी  मॉडल के तहत खासम खास  भू माफियाओं को सौंपा जायेगा , हाऊसिंग बोर्ड का भी सफाया तय ?

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रायपुर / छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड राज्य का एक मात्र ऐसा संस्थान है जो बगैर कोई खास लाभ कमाए आम लोगों के सिर पर छत और जरूरतमंदों को कारोबार के लिए दुकानें मुहैया कराता है | सीमित बजट में जरूरतमंदों को आशियाना उपलब्ध कराने की उसकी योजना लाजवाब मानी जाती है | निजी बिल्डर और रियल स्टेट के कारोबार में जुटी कंपनियां छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड के सामने कई दफा बौनी साबित हुई है | लेकिन अब कांग्रेस राज में हाऊसिंग बोर्ड को कंगाली के रास्ते में लाने की तैयारी कर ली गई है | जानकार बता रहे है कि भविष्य में इसका हाल भी मध्यप्रदेश राज परिवहन निगम की तर्ज पर नजर आएगा |

दरअसल मौजूदा कांग्रेस सरकार छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड को पीपीपी मॉडल के तहत निजी हाथों में सौंपने जा रही है | इसकी शुरुआत रायपुर शहर के मध्य स्थित शांति नगर प्रोजेक्ट से शुरू होने जा रही है | जानकारों के मुताबिक जो कार्य कई वर्षो से हाऊसिंग बोर्ड करते आ रहा है , वही कार्य अब उसके हाथों से छीनकर निजी बिल्डर को सौंपा जायेगा | पिछले रास्ते से अफसरों ने उस बिल्डर को भी चिन्हांकित कर लिया है जो  , “सबका साथ सबका विकास करेगा” | ये और बात है कि इस विकास से हाऊसिंग बोर्ड के विनाश का रास्ता भी तय हो जायेगा | हालांकि इसकी फ़िक्र किसे है ? सरकार बदली तो जनहितों के मामलों में नेताओं के सरोकार का बदलना भी आम बात है | 

सरकारी जमीन पर गिद्ध निगाहें :

रायपुर के ह्रदय स्थल शांति नगर स्थित 37.02 एकड़ जमीन पर भू-माफियाओं की निगाहें उस वक्त से ही लगी हुई थी जब मौजूदा कांग्रेस सरकार के सत्ता में आते ही सिंचाई कालोनी और PWD कॉलोनी के मकानों को तोड़े जाने का सिलसिला शुरू हो गया था | पिछली सरकार में यहां कर्मचारियों और अधिकारीयों के लिए सरकारी आवास और ट्रांजिस्ट हॉस्टल निर्मित करने की योजना बनी थी | दरअसल बड़ी तादाद में सरकारी कर्मी आज भी रायपुर शहर में बसते है | यही नहीं जिले और संभाग के दर्जनों दफ्तर रायपुर सिटी में है | लिहाजा पूर्ववर्ती सरकार ने इस इलाके में नई बसाहट का खांका खिंचा था | लेकिन कांग्रेस सरकार के आने के बाद चर्चित नेताओं और अफसरों ने सत्ता का स्वाद चखने के लिए इस प्रोजेक्ट की प्राथमिकता ही बदल दी | उन्होंने छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड की कमर तोड़ने का ऐसा प्लान किया कि यह संस्था कंगाली की रफ्तार पकड़ ले | इसके लिए पीपी मॉडल लेकर आया गया |

जानकारी के मुताबिक शांति नगर  रडेव्हलपमेंट योजना हेतु छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मण्डल को नोडल अथाॅरिटी घोषित किय गया है  | इसके तहत सिंचाई कालोनी एवं पी.डब्ल्यू.डी. के जीर्ण शीर्ण आवासों को हटाकर व्यवसायिक सह आवासीय परिसरों का निर्माण किया जायेगा।यहां की 37. 02 एकड जमीन पर निजी बिल्डर कब्जा करेंगे | योजना में जल संसाधन विभाग के द्वारा शासन के आदेश GHI प्रकार  के भवनों को भूमि सहित समस्त परिसम्पत्तियों के साथ आवास एवं पर्यावरण विभाग को हस्तांतरण किया गया है। इन भवनों को जीर्ण-शीर्णघोषित करने बाबत् पी.डब्ल्यू.डी. के अनुशंसा अनुसार कलेक्टर, रायपुर के माध्यम से सामान्य प्रशासन विभाग को प्रकरण प्रेषित किया गया है। योजना को अंजाम देने के लिए पी.डब्ल्यू.डी. के समस्त आवासों (B,C,D,E,F) को शासन द्वारा जीर्ण-शीर्ण घोषित किया जा चुका है। प्रथम चरण में स्थित 10 आवासों को हटा दिया गया है तथा 02 आवास शेष है। प्रथम चरण में 31 अवैध निर्मित झुग्गी/ झोपड़ी है।

शांति नगर प्रोजेक्ट को अमलीजामा पहनाने के लिए राज्य के पीडब्ल्यूडी मंत्री ताम्रध्वज साहू के निवास पर एक बैठक हाल ही में संपन्न हुई है | इस बैठक में हाऊसिंग बोर्ड के चेयरमेन कुलदीप जुनेजा को छोड़ आधा दर्जन अफसरों और नेताओं का जमावड़ा रहा | खासतौर पर शहरी विकास मंत्री ड़ॉ शिव कुमार डहरिया और वन पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर के अलावा सचिव अंकित आनंद और हाऊसिंग बोर्ड के कमिश्नर डॉ अयाज तंबोली का इस योजना पर मुहर लगाना चर्चा का विषय बना हुआ है | इस योजना के टेंडर और पीपीपी मॉडल को इस बैठक में अंतिम रूप दिया गया है | 

इस बैठक में शासन को रिडव्हलपमेंट से होने वाले लाभ से तो अवगत कराया गया लेकिन निजी बिल्डर को कितना लाभ होगा और छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड को यह मॉडल कैसा चूना लगाएगा इस  पर कोई चर्चा नहीं हुई | जानकारी के मुताबिक पीपीपी मॉडल से शासन को भूमि मूल्य के रूप में 168 करोड़ की राजस्व की प्राप्ति अनुमानित है।  इसके अंतर्गत 69.50 करोड़ रूपये के 268 भवन संपदा के रूप में उपलब्ध होंगे। गृह निर्माण मण्डल के निर्मित भवनों की लागत 69.50 करोड़ का विक्रय होगा।

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 भूमि के अग्रिम आधिपत्य प्राप्ति पश्चात गृहनिर्माण मण्डल द्वारा भूमि मूल्य का भुगतान शासन  को किश्तों में किया जायेगा। प्रथम चरण पर कार्य प्रारंभ करने के समय 20 प्रतिशत, 01 वर्ष के भीतर 60 प्रतिशत तथा शेष 20 प्रतिशत राशि 02 वर्ष के भीतर देय होगा। द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण में भी इसी प्रकार की प्रक्रिया होगी।  अग्रिम आधिपत्य पश्चात निविदा जारी करते हुए आर्किटेक्चरल फर्म का चयन किया जायेगा। संबंधित आर्किटेक्चरल फर्म से काॅन्सेप्ट एवं ड्राईंग डिजाईन प्राप्त कर कार्य योजना निर्धारित की जायेगी। 

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निर्धारित कार्य योजना पर गृह निर्माण मण्डल द्वारा प्रथम चरण के भूमि विकास योजना पर पंजीयन के लिये प्रस्ताव आहूत किये जायेंगे। प्रथम चरण के कार्य पर 75 प्रतिशत पंजीयन होने पश्चात भूमि पर कार्य प्रारंभ किया जायेगा। इस प्रकार मण्डल से या शासन से किसी भी प्रकार की राशि लगाये बगैर स्ववित्तीय योजनांतर्गत निर्माण किया जायेगा।  प्रथम चरण के 60 प्रतिशत भवन निर्माण पश्चात द्वितीय चरण के लिये पंजीयन आहूत किया जायेगा तथा उपरोक्तानुसार 75 प्रतिशत पंजीयन प्राप्त होने पर कार्य प्रारंभ किया जायेगा। यही प्रक्रिया शेष चरणों हेतु लागू होगी। पंजीयन के समय तथा निर्माण के चरणों केसाथ पंजीयनकर्ता से राशि किश्तों में प्राप्त की जायेगी। भूमि का मूल्य पंजीयन के समय ही प्राप्त किया जायेगा। इसी मुल्य से शासन को राशि देय होगी।

इसके विकल्प भी बैठक में पेश किये गए | जिसमे कहा गया कि छ.ग. गृह निर्माण मण्डल से निर्मित भवन 69.50 करोड़, जमीन की लागत के विरूद्ध समायोजित की जायेगी। अतः168.44 करोड़ भूमि लागत के विरूद्ध 69.50 करोड़ समायोजित की जायेगी तथा 98.56 करोड़ शासन को देय होगी इस योजना के विक्रय से होने वाले लाभ की संपूर्ण राशि शासन को देय होगी। मण्डल को केवल कुल निर्माण कार्य के 10 प्रतिशत राशि पर्यवेक्षण शुल्क के रूप में प्राप्त होगी | निजी भूमि को सीधे जमीन बेचने के अरोप की संभावना समाप्त होगी, किंतु अत्यधिक अनुमानित आय/लाभ निश्चित करना कठिन होगा। शुरूआत के लिये प्रथम चरण के विकास कार्य की अनुमति दी जा सकती है। इसी अनुक्रम के आधार पर अन्य स्थानों का निर्माण किया जाना उचित होगा। इस विकल्प पर सैधांतिक सहमति होने की स्थिति में आर्किटेक्चरल फर्म को एम्पेनल करते हुए डी.पी.आर बनाकर समिति के समक्ष प्रस्तुतकरेगा। इस संकल्पना के अनुसार गृह निर्माण मण्डल भूमिके अग्रिम आधिपत्य पश्चात आर्किटेेक्चरल फर्म हेतु निविदा आमंत्रित करेगा। आर्किटेक्ट के माध्यम से कान्सेप्ट को निर्धारित किया जायेगा। निर्धारित कान्सेप्ट के ऊपर निविदा आमंत्रित करते हुए भूमि के मूल्य, समायोजित भवनों की लागत, इसकी कुल राशि को ऑफर रेट माना जायेगा तथा इसके ऊपर बोली के आधार पर विकासक का चयन किया जायेगा।