भोले भाले किसानों के साथ आतंकवादीयों जैसा व्यवहार कर रही है केंद्र की मोदी सरकार, प्रदेश में बनाए गए 2305 धान खरीदी केन्द्र, समर्थन मूल्य पर धान बेचने 21 लाख 29 हजार 764 किसानों ने कराया पंजीयन,कांग्रेसी ही हैं किसानों के सच्चे हितैषी – कवासी हरीश

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रिपोर्टर- रफीक खांन

सुकमा – छत्तीसगढ़ में शासन द्वारा धान खरीदी की शुरूआत आज से की जा रही है । यहां पिछले 2 वर्षों में खेती करने वाले किसानों की अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है । जो छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार हुआ है । अकेले सुकमा जिले में ही पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 1816 नये किसान पंजीकृत हुए हैं । पिछले वर्ष सुकमा जिले में 320000 किंवटल धान खरीदी की गई थी । इस वर्ष 360000 किंवटल धान खरीदी का लक्ष्य रखा गया है । सम्पूर्णछत्तीसगढ़ में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का महा अभियान आज 01 दिसम्बर से शुरुआत किसानों के लिए किसी पर्व से कम नहीं । सभी तैयारियों पर ध्यान देते हुए प्रदेश में 2305 धान खरीदी केन्द्र बनाए गए हैं । तो वहीं समर्थन मूल्य पर धान बेचने 21 लाख 29 हजार 764 किसानों ने पंजीयन इस बार कराया है ।

छत्तीसगढ़ में आज से धान खरीदी की शुरूआत को लेकर बस्तर के दिग्गज मंत्री कवासी लखमा के पुत्र हरीश कवासी जिला पंचायत अध्यक्ष सुकमा ने इस अवसर पर सभी प्रदेश वासीयों को शुभकामनाएं देते हुए कहा है कि । केन्द्र की मोदी सरकार को किसानों के जायज मांगो पर
भोलेभाले किसानों के साथ आतंकवादियों के जैसा व्यवहार कर रही है केंद्र की मोदी सरकार कहते छत्तीसगढ़ शासन की उपलब्धियां गिनाये प्रदेश में पूर्व व वर्तमान की परिस्थितियों पर अपना बयान दिया है । हरीश कवासी कहा कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि धान खरीदी के दौरान किसानों को किसी प्रकार की असुविधा न हो। किसानों की सहूलियत का पूरा ध्यान रखा जाए। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में इस माह की 28 तारीख को आयोजित केबिनेट की बैठक में समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी 01 दिसम्बर से 31 जनवरी 2021 तक और मक्का की खरीदी 01 दिसम्बर से 31 मई 2021 तक करने के निर्देश दिए गए हैं । 01 दिसम्बर से प्रदेश में 2 हजार 305 धान खरीदी केन्द्रों में समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी शुरू की जाएगी। इस वर्ष 257 नए धान खरीदी केन्द्र बनाए गए हैं।

राज्य सरकार की किसान हितैषी नीतियों से खेती-किसानी छोड़ चुके 2 लाख से अधिक किसान खेतों की ओर लौटे हैं । जिससे खेती के रकबे में वृद्धि हुई है । खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में पिछले वर्ष की तुलना में 2 लाख 49 हजार ज्यादा किसानों ने धान बेचने के लिए पंजीयन कराया है । इन्हें मिलाकर इस वर्ष समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए कुल 21 लाख 29 हजार 764 किसानों ने पंजीयन कराया है। इन किसानों द्वारा बोये गए धान का रकबा 27 लाख 59 हजार 385 हेक्टेयर से अधिक है । दो सालों में धान बेचने वाले किसानों का रकबा 19.36 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 22.68 लाख हेक्टेयर और किसानों की संख्या 12 लाख 6 हजार बढ़कर 18 लाख 38 हजार हो गई है। इस प्रकार देखा जाए तो रकबे में 3 लाख 32 हजार हेक्टेयर तथा समर्थन मूल्य पर धान बेचेने वाले किसानों की संख्या में 6.32 लाख बढ़ोत्तरी हुई है ।पिछले दो वर्षाें में समर्थन मूल्य पर खरीदे गए धान की मात्रा में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2017-18 में छत्तीसगढ़ राज्य में समर्थन मूल्य पर 56.85 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई थी । दो सालों के दौरान धान खरीदी का यह आंकड़ा 83.94 लाख मीट्रिक टन पहुंच गया। इस साल धान बेचने के लिए पंजीकृत किसानों की संख्या और धान की रकबे को देखते हुए समर्थन मूल्य पर बीते वर्ष की तुलना में ज्यादा खरीदी का अनुमान है। इसको लेकर राज्य शासन द्वारा हर संभव व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जा रही है। धान उपार्जन के लिए बारदाने की कमी के बावजूद भी सरकार इसके प्रबंध में जुटी है ।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने धान खरीदी के दौरान सीमावर्ती राज्यों से लाए जाने वाले धान पर कड़ाई से रोक लगाने के निर्देश जिला प्रशासन के अधिकारियों को दिए हैं। उन्होंने कहा है कि अवैध धान परिवहन करते पाए जाने पर तत्काल कार्रवाई की जाए। इसकी जिम्मेदारी सभी जिलों के जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन और संबंधित विभाग को सौंपी गई है । सीमावर्ती जिलों की सीमा से लगे 3-3 खरीदी केन्द्रों में विशेष निगरानी रखने, चेक पोस्ट लगाकर जांच करने के निर्देश दिए गए हैं। श्री बघेल ने यह निर्देश भी दिए हैं कि राज्य के भीतर एक से दूसरे जिलों से धान लाने ले जाने वाले किसानों को अनावश्यक रूप से परेशान नहीं किया जाए ।मुख्यमंत्री ने निर्देश पर धान खरीदी के लिए समुचित संख्या में बारदानों की व्यवस्था की जा रही है। धान उपार्जन के लिए 4 लाख 75 हजार गठान बारदानों की आवश्यकता संभावित है।

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छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा धान खरीदी के लिए भारत सरकार ने छत्तीसगढ़ को केवल एक लाख 43 हजार गठान बारदानों की ही आपूर्ति की स्वीकृति दी है । तथा इसमें से मात्र 56 हजार गठान बारदाने प्राप्त हुए हैं। बारदानों की कमी की पूर्ति के लिए राज्य शासन द्वारा 70 हजार गठान प्लास्टिक के बारदाने खरीदी जा रही है। बारदानों की कमी से धान खरीदी प्रभावित न हो, इसके लिए राज्य में पीडीएस बारदानों का संकलन एवं मिलर के पुराने बारदानों का सत्यापन किया जा रहा है।छत्तीसगढ़ सरकार ने वर्ष 2018-19 में 15.71 लाख किसानों से 80.38 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई थी। वर्ष 2019-20 में 18.38 लाख किसानों से 83.94 लाख मीट्रिक टन धान की रिकॉर्ड खरीदी की गई थी। राज्य में दो सालों में पंजीकृत किसानों की तुलना में धान बेचने वाले कृषकों के प्रतिशत में भी बढ़ोत्तरी हुई है। वर्ष 2017-18 में 76.47 प्रतिशत किसानों ने धान बेचा था। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा प्रदेश की बागडोर संभालते ही वर्ष 2018-19 में यह आंकड़ा 92.61 प्रतिशत हो गया है। बीते विपणन वर्ष 2019-20 में राज्य में 94.02 प्रतिशत किसानों ने समर्थन मूल्य पर धान बेचा था ।