छत्तीसगढ़ में प्रीपेड पुलिसिंग का नया ट्रेंड, पुलिसकर्मियों की लूटपाट और आपराधिक आचरण से जनता त्रस्त, अपराधों की विवेचना से लेकर राहगीरों – कारोबारियों से अवैध उगाही, मामलों को देखकर DGP हैरत में, अब वसुलीबाज महिला सब इंस्पेक्टर समेत तीन पुलिसकर्मी सस्पेंड, रोजाना लोगों से खुलेआम मांगते थे रिश्वत, ऑडियो सामने आने के बाद हुई कार्रवाई

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कबीरधाम / छत्तीसगढ़ पुलिस की छवि अचानक गुंडे – बदमाशों और लूट खसोट करने वाले संगठित गिरोह की तर्ज पर नजर आने लगी है | दरअसल राज्य में प्रीपेड पुलिसिंग का नया चलन सामने आने से पुलिस की साख दिनों दिन गिरती जा रही है | राज्य की आम जनता को जितना डर गुंडे मवालियो से लगता है, उतना ही खौफ वो खाकी वर्दी वालो से खाने लगे है | ऐसे पुलिस कर्मियों की दास्तान सुनकर आप भी हैरत में पड़ जायेंगे |इससे पहले की आप कानून के भक्षकों के कारनामों से अवगत हो, उससे पूर्व यह जानना जरुरी है कि प्रीपेड पुलिसिंग आखिर होती क्या है ? बताया जाता है कि प्रीपेड पुलिसिंग अच्छे इलाकों में ट्रांसफर – पोस्टिंग के लिए अमल में लाई गई वो योजना है, जिससे नेता जी और संबंधित पुलिसकर्मी दोनों लाभांबित होते है | इस योजना के तहत मोटी रकम अदा कर कई पुलिसकर्मी मनचाही जगह ट्रांसफर – पोस्टिंग पाने में कामयाब हो जाते है।

दरअसल वे पुलिस अधीक्षक के अधिकार क्षेत्र को दरकिनार कर सीधे ऐसे थानों में तैनात हो जाते है जहाँ रोजाना हज़ारों – लाखों का वारा न्यारा होता है | मसलन अवैध उगाही | जानकारी के मुताबिक प्रीपेड पुलिसिंग की योजना को अंजाम तक पहुंचाने के लिए सत्ताधारी दल के कई नेता, दलाल और एजेंट 24 X 7 सक्रीय रहते है | संबंधित थाने और इलाके के लिए तयशुदा रकम की पूर्व प्राप्ति के बाद वे उस पुलिस कर्मी की तैनाती का ऑर्डर जारी कराने में सहायक साबित होते है | बताया जाता है कि सामान्य इलाकों की तुलना में कारोबारी और अवैध गतिविधियों के लिए बदनाम इलाकों में तैनाती के लिए आवेदक को मोटी रकम चुकानी होती है |

आमतौर पर पुलिस स्थानांतरण बोर्ड की बैठक में पुलिस कर्मियों को इधर से उधर करने के आदेश जारी होते है | इसमें संबंधित पुलिसकर्मी की तैनाती जिला पुलिस बल में होती है | इस स्थानांतरण के आदेश के तहत संबंधित जिले का पुलिस अधीक्षक अपने स्वविवेक से पुलिस कर्मियों की तैनाती करता है | लेकिन ऐसा देखा जा रहा है कि पुलिस स्थानांतरण बोर्ड के अलावा भी PHQ से सीधे पुलिसकर्मियों को इधर से उधर कर दिया जाता है | बैक डेट में तमाम खानापूर्ति कर ऐसे आदेशों पर ट्रांसफर बोर्ड की मुहर लगा दी जाती है | जानकारों के मुताबिक इस तरह की नियुक्ति राजनैतिक सिफारिशों के जरिये होती है | पुलिस के सेवानिवृत अधिकारी बताते है कि थाने में सीधे होने वाली नियुक्ति से पुलिसिंग में विपरीत प्रभाव पड़ता है | लेकिन प्रभावशील पुलिसकर्मी ऐसी नियुक्ति पाने में कामयाब रहते है |

छत्तीसगढ़ पुलिस की इस कार्य प्रणाली का विपरीत प्रभाव भी पुलिस महकमे में देखा जा रहा है |प्रीपेड पुलिसिंग से तैनाती पाने के बाद ऐसे पुलिसकर्मी निवेश की गई रकम की ब्याज सहित वापसी के लिए अवैध वसूली में जुट जाते है | इन दिनों राज्य के कई थानों में इस तरह से तैनाती पाने वाले पुलिसकर्मी अवैध उगाही के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रहे है | इसके लिए वो पुलिस की साख को भी दांव में लगाने में पीछे नहीं है। अपने – अपने इलाकों में गैर क़ानूनी गतिविधियों के विधिवत संचालन के लिए प्रीपेड पुलिसिंग की चर्चा प्रदेश भर में हो रही है | कई थानेदार अवैध शराब के कारोबार को ना केवल संरक्षण दे रहे है, बल्कि वे हुक्का बार और ढाबों में पार्टनर भी बन गए है |

हाल ही में DGP डीएम अवस्थी ने अवैध लेन – देन को लेकर दुर्ग जिले के धमधा थाने के प्रभारी इंस्पेक्टर शैलेन्द्र ठाकुर और चरौदा GRP चौकी प्रभारी रमेश पांडे को निलंबित किया था | अब ताजा मामले में DGP के निर्देश पर कवर्धा में तैनात महिला सब इंस्पेक्टर गीतांजलि सिन्हा, कांस्टेबल हेमंत राजपूत और आसिफ खान को निलंबित किया गया है।

इन पर भी अवैध कार्यों के संरक्षण और रिश्वत के लेन – देन की संलिप्तता पाई गई है |रकम के लेनदेन का ऑडियो सामने आने के बाद कवर्धा पुलिस अधीक्षक ने तीनों पुलिसकर्मियों के निलंबन के आदेश जारी किये है | जानकारी के मुताबिक बाजार चारभाठा चौकी प्रभारी गीतांजली सिंन्हा सहित दो आरक्षकों की अवैध उगाही से इलाके की जनता बुरी तरह से त्रस्त थी | उनकी लगातार शिकायते भी अफसरों को मिल रही थी। इस बीच तीनों का रकम के लेन देन को लेकर एक ऑडियो भी वायरल हो रहा था। इस ऑडियो में तीनों पुलिसकर्मी पैसे के बदले में अवैधानिक कार्य को संरक्षण देने का वादा कर रहे थे।

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