अमित शाह और योगी आदित्यनाथ के फर्जी हस्ताक्षर करना पड़ा महंगा, लोक अभियोजक बनने के लिए सिफारिशी पत्र खुद किया तैयार, अब अदालत में वकील साहब ही फंस गए, नहीं मिली जमानत

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नई दिल्ली / अदालतों में लोक अभियोजक की नियुक्ति को लेकर कई वकील साहेबान इन दिनों लामबंद हो रहे है | इनमे से कुछ ऐसे है, जो अपने टेबल पर ही बड़े नेताओं की सील मुहर और हस्ताक्षर कर सिफारिशी पत्र तैयार करने में माहिर होते है | ऐसे ही मामले में एक वकील साहब को दो – चार होना पड़ रहा है | फ़िलहाल वकील साहब जेल में है | उधर मामले की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने उनकी जमानत की अर्जी ठुकरा दी है | हालाँकि वकील राकेश कुमार अवस्थी ने सुनवाई के दौरान दावा किया था कि उनकी छवि बहुत अच्छी है और उन्हें इस मामले में फर्जी तरीके से फंसाया गया है | लेकिन उनके खिलाफ पूर्ववर्ती प्रकरणों को देखकर अदालत ने उनकी दलीले दरकिनार कर दी | मामला दिल्ली का है |

दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने अमित शाह और योगी आदित्यनाथ के सिफारिशी पत्र पर जाली हस्ताक्षर करने वाले वकील राकेश कुमार अवस्थी की जमानत अर्जी खारिज कर दी है | बताया जाता है कि इस वकील ने कथित रूप से गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सिफारिशी पत्र तैयार कर उस पर खुद फर्जी हस्ताक्षर किए थे। कोर्ट ने वकील की जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा कि ये पहला मामला नहीं है उन्होंने जाली हस्ताक्षर किया है | इससे पहले भी उनके खिलाफ इस तरह की शिकायतें मिली हैं |

अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि राकेश कुमार ने वकील होते हुए इस तरह का कृत्य किया है. जबकि वकालत करने वाले व्यक्ति को अच्छे से पता होता है कि क्या कानूनी काम है और क्या गैरकानूनी | इसके बावजूद वकील ने गृह मंत्री और मुख्यमंत्री जैसे लोगों की सिफारिश पत्र पर जाली हस्ताक्षर किए हैं |बताया जाता है कि पटियाला हाउस कोर्ट में राकेश कुमार 1991 से वकालत कर रहा है | उसके कैरियर को देखते हुए पहले आई शिकायतों पर उसके खिलाफ अदालत ने कोई कानूनी कारवाई नहीं की गई | लेकिन अब अदालत का रुख सख्त नजर आ रहा है | मामले की गंभीरता और पुराना ट्रैक रिकॉर्ड देखते हुए कोर्ट ने इस वकील की जमानत अर्जी को खारिज किया है |

जानकारी के मुताबिक ये कथित फर्जीवाड़ा विशेष लोक अभियोजक के रूप में नियुक्ति हासिल करने के उद्देश्य से किया गया था | इस पद पर नियुक्ति के लिए एक सिफारिश पत्र पर गृह मंत्री अमित शाह और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जाली हस्ताक्षर किए गए थे | कुछ वकीलों ने जब इन सिफारिश पत्रों की पड़ताल कराई तो वे फर्जी बताये गए थे | फिर मामले की शिकायत पुलिस में की गई | पुलिस जाँच में भी फर्जीवाड़ा पाए जाने के बाद आरोपी वकील को गिरफ्तार किया गया था |

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उधर आरोपी वकील राकेश कुमार अवस्थी की जमानत पेश हुए अधिवक्ता ने बहस के दौरान कोर्ट को कहा कि राकेश कुमार को इस मामले में झूठा फंसाया गया है | आरोपी वकील के बचाव में अधिवक्ता ने आगे कहा कि उसने विशेष लोक अभियोजक के रूप में नियुक्ति के लिए किसी भी दस्तावेज को तैयार या जाली हस्ताक्षर नहीं किया है | लिहाजा इस मामले में उसे जमानत मिलनी चाहिए. उधर अदालत आरोपी के वकील के किसी भी दलीलों और तर्कों से सहमत नहीं हुई |