आज से अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की किताब ‘ए प्रॉमिस्ड लैंड’ बाजार में, बताया कई मायनों में सफल मानी जाती है आधुनिक भारत की गाथा, इसी किताब में कांग्रेसी नेता राहुल गाँधी को नर्वस और अपरिपक्व बताया था बराक ओबामा ने, पढ़े पुस्तक का सार

0
6

नई दिल्ली / अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की किताब ‘ए प्रॉमिस्ड लैंड’ की भारत में खूब चर्चा हो रही है | ओबामा ने 2008 के चुनाव प्रचार अभियान से लेकर राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले कार्यकाल के अंत में पाकिस्तान के एबटाबाद में अलक़ायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को मारने के अभियान तक की अपनी यात्रा का विवरण दिया है | इस किताब के दो भाग हैं, जिनमें से पहला आज दुनियाभर में जारी हुआ | न्यूज़ टुडे ने भी अपने सुधि पाठकों के लिए इस पुस्तक का हिंदी अनुवाद कर उसके कुछ अंश प्रकाशित किये है |

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पुस्तक में कहा है कि राजनीतिक दलों के बीच कटु विवादों, विभिन्न सशस्त्र अलगाववादी आंदोलनों और भ्रष्टाचार घोटालों के बावजूद आधुनिक भारत की कहानी को कई मायनों में सफल कहा जा सकता है. अमेरिका के 44वें राष्ट्रपति रहे ओबामा ने अपनी किताब ‘ए प्रॉमिस्ड लैंड’ में कहा है कि 1990 के दशक में भारत की अर्थव्यवस्था और अधिक बाजार आधारित हुई, जिससे भारतीयों का असाधारण उद्यमिता कौशल सामने आया और इससे विकास दर बढ़ी, तकनीकी क्षेत्र फला-फूला और मध्यमवर्ग का तेजी से विस्तार हुआ. साथ ही उन्होंने किताब में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ उनकी मुलाकात और अनौपचारिक बातचीत का भी उल्लेख किया है.इसमें ओबामा ने लिखा है, ‘कई मायनों में आधुनिक भारत को एक सफल गाथा माना जा सकता है जिसने बार-बार बदलती सरकारों के झटकों को झेला, राजनीतिक दलों के बीच कटु मतभेदों, विभिन्न सशस्त्र अलगाववादी आंदोलनों और भ्रष्टाचार के घोटालों का सामना किया.’

ओबामा ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन के मुख्य शिल्पकार पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह थे और वह इस प्रगति गाथा के सही प्रतीक हैं: वह एक छोटे से, अक्सर सताए गए धार्मिक अल्पसंख्यक सिख समुदाय के सदस्य हैं जो देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचे. एक विनम्र ‘टेक्नोक्रेट’ जिन्होंने जीवन जीने के उच्च मानकों को पेश किया और भ्रष्टाचार मुक्त छवि से प्रतिष्ठा अर्जित करते हुए जनता का भरोसा जीता |राष्ट्रपति पद पर रहने के दौरान ओबामा 2010 और 2015 में दो बार भारत आए थे | नवंबर 2010 के अपने भारत दौरे को याद करते हुए ओबामा ने कहा कि उनके और मनमोहन सिंह के बीच एक गर्मजोशी भरा सकारात्मक बंधन बना था |

ओबामा लिखते हैं, ‘वह विदेश नीति को लेकर सावधानी से आगे बढ़ रहे थे, भारतीय नौकरशाही को अनदेखा कर वह इस मामले में बहुत अधिक आगे बढ़ने के इच्छुक नहीं थे क्योंकि भारतीय नौकरशाही ऐतिहासिक रूप से अमेरिकी मंशा को लेकर सशंकित रही थी. हमने जितना समय साथ बिताया, उससे उनके बारे में मेरे शुरूआती विचारों की ही पुष्टि हुई कि वह एक असाधारण बुद्धिमत्ता वाले एवं गरिमापूर्ण व्यक्ति हैं; और नई दिल्ली की अपनी यात्रा के दौरान हमने आतंकवाद से मुकाबले, वैश्विक स्वास्थ्य, परमाणु सुरक्षा और कारोबार के क्षेत्रों में अमेरिकी सहयोग को मजबूत करने संबंधी समझौते किए .’ उन्होंने लिखा है,’ मैं यह नहीं बता सकता कि सत्ता के शिखर तक सिंह का पहुंचना भारतीय लोकतंत्र के भविष्य का प्रतीक है या ये केवल संयोग मात्र है.’

ओबामा ने लिखा कि सिंह उस समय भारत की अर्थव्यवस्था, सीमापार आतंकवाद तथा मुस्लिम विरोधी भावनाओं को लेकर चिंतित थे. सहयोगियों के बिना हुई बातचीत के दौरान सिंह ने उनसे कहा, ‘ राष्ट्रपति महोदय,अनिश्चित समय में, धार्मिक और जातीय एकजुटता का आह्वान बहकाने वाला हो सकता है और भारत में या कहीं भी राजनेताओं द्वारा इसका इस्तेमाल करना इतना कठिन काम नहीं है.’ ओबामा लिखते हैं कि प्रधानमंत्री पद पर मनमोहन सिंह के पहुंचने को कई बार जातीय विभाजन पर भारत की जीत के प्रतीक के रूप में देखा जाता है लेकिन कहीं न कहीं यह धोखा देने वाली बात है. मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री बनने के पीछे भी एक अनोखी कहानी है और सभी को पता है कि वह पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं थे.

‘राहुल का भविष्य देख सोनिया ने किया मनमोहन का चुनाव’

ओबामा ने कहा, ‘ बल्कि यह पद उन्हें सोनिया गंधी (जिनका जन्म इटली में हुआ था और जो पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की विधवा एवं कांग्रेस पार्टी की प्रमुख हैं) ने दिया था…. कई राजनीतिक समीक्षकों का मानना है कि उन्होंने बुजुर्ग सिख सज्जन को इसलिए चुना क्योंकि उनका कोई राष्ट्रीय राजनीतिक आधार नहीं था और वह उनके 47 वर्षीय बेटे राहुल के लिए कोई खतरा नहीं थे, जिन्हें वह पार्टी की बागडोर देने के लिए तैयार कर रही थीं.’

बार-बार राहुल की तरफ चर्चा को मोड़ देती थीं सोनिया

रात्रिभोज के समय सोनिया और राहुल गांधी से हुई मुलाकात का जिक्र करते हुए ओबामा लिखते हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष बोलने से अधिक सुन रहीं थीं और जहां नीतिगत मामलों की बात आती तो सावधानी से बातचीत का रूख सिंह की ओर मोड़ देतीं , और कई बार बातचीत को अपने बेटे की ओर भी मोड़ा. उन्होंने कहा, ‘ हालांकि, मुझे यह स्पष्ट हो गया कि सोनिया इसलिए इतनी ताकतवर हैं क्योंकि वह चतुर और कुशाग्र बुद्धि की हैं | जहां तक राहुल की बात है वह स्मार्ट और ईमानदार दिखे, सुंदर नैन नक्श के मामले में वह अपनी मां पर गए हैं |उन्होंने प्रगतिवादी राजनीति पर अपने विचार साझा किए, बीच बीच में उन्होंने मेरे 2008 के अभियान के बारे में बातचीत की.’

राहुल नर्वस और अपरिपक्व

ओबामा ने कहा, ‘ लेकिन उनमें एक घबराहट और अनगढ़ता थी… जैसे कि वह कोई ऐसे छात्र हैं जिसने अपने कोर्स का काम पूरा कर लिया है और शिक्षक को प्रभावित करने को उत्सुक है लेकिन भीतर में कहीं उसमें विषय में महारत हासिल करने की या तो योग्यता या फिर जुनून की कमी है.’

ओबामा का अंदेशा

आगे ओबामा ने कहा कि पता नहीं जब डॉ. सिंह प्रधानमंत्री पद से हटे तो उनका क्या हुआ होगा। उन्होंने लिखा, ‘क्या मां की तरफ से लिखी गई किस्मत को सही साबित करने के लिए बैटन सफलतापूर्वक राहुल को पास कर दिया जाएगा और क्या बीजेपी की तरफ से विभाजनकारी राष्ट्रवाद को पोषित किए जाने के खिलाफ कांग्रेस पार्टी का दबदबा कायम रह सकेगा?’

ये भी पढ़े : सरकारी आवास पैतृक संपत्ति नहीं, एक निश्चित समय बाद खाली करना ही होगा, नेताओं और अफसरों के बाद आई कलाकारों की बारी, सरकारी घर खाली कराने में जुटी सरकार, आदेश देकर दिग्गज कलाकारों में नाराजगी

अमेरिका के पूर्व-राष्ट्रपति की पुस्तक ‘अ प्रॉमिस्ड लैंड’ ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ही नहीं, उनकी मां और पार्टी की मौजूदा अध्यक्ष सोनिया गांधी के लिए भी असहज स्थिति पैदा कर दी है। अपनी किताब में ओबामा ने राहुल को एक नर्वस लीडर करार दिया तो सोनिया के लिए कहा कि उन्होंने मनमोहन सिंह को इसलिए प्रधानमंत्री बनाया क्योंकि वो मनमोहन से कोई खतरा नहीं महसूस करती थीं। ओबामा ने कहा कि सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह का चुनाव काफी सोच-समझकर किया। इस पुस्तक के आज से बाजार में आ जाने से देश- दुनिया में कांग्रेस और राहुल गाँधी की चर्चा जोरो पर है |