भिखारी DSP, वक़्त की ऐसी मार पड़ी कि अधिकारी को गुजर बसर के लिए लोगों के सामने फ़ैलाने पड़े हाथ, ठंड से ठिठुर रहे भिखारी की मदद के लिए पुलिस की गाड़ी रुकी तो अफसरों की आंखे फटी की फटी रह गई….

0
4

ग्वालियर / कहा जाता है कि वक़्त का पहिया ऐसा घूमता है कि कई लोगों को अर्श से फर्श पर ला देता है, तो किसी को फर्श से अर्श तक पहुंचा देता है | ऐसा ही हुआ एक DSP के साथ | वक़्त की उस पर ऐसी मार पड़ी कि उसकी जिंदगी ही मानो तबाह हो गई हो | मामला मध्यप्रदेश के ग्वालियर का है | यह की सड़कों पर एक शख्स लोगों से भीख मांगता नजर आता | ना तो उसे कोई पहचानता और ना ही कोई पहचानने की कोशिश भी करता | ग्वालियर में यह शख्स सड़क किनारे ठंड से ठिठुर रहा था | इसी दौरान गश्त में निकली पुलिस की टीम उस शख्स की मदद के लिए आगे आई | पुलिस की गाड़ी जब उस भिखारी के पास रुकी तो गाड़ी से निकले अफसर ने भिखारी के मदद के लिए अपना हाथ बढ़ाया | लेकिन जैसे ही इस अफसर की निगाहे भिखारी के चेहरे पर पड़ी वो दंग रह गया | वो भिखारी उनके ही बैच का DSP अफसर निकला |

बताया जाता है कि ग्वालियर में उपचुनाव के दौरान कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी संभाल रहे दो DSP रत्नेश सिंह तोमर और विजय सिह भदौरिया झांसी रोड पर पेट्रोलिंग पर थे | जैसे ही दोनों बंधन वाटिका के फुटपाथ से होकर गुजरे तो उन्हें वहां एक अधेड़ उम्र का भिखारी ठंड से ठिठुरता दिखाई पड़ा | उसे देखकर अफसरों ने गाड़ी रोकी और उससे बात करने पहुंच गए | उन्हें यकीन ही नहीं हुआ कि उनका साथी इस तरह से उन्हें मिलेगा | दोनों ही अफसरों को अपने साथी की ऐसी हालत देखकर हैरानी हुई | DSP रत्नेश ने अपने जूते और डीएसपी विजय सिंह भदौरिया ने अपनी जैकेट अपने इस साथी को दे दी | यह भिखारी उनका ही बैचमैट था | लिहाजा दोनों अफसर अपनी ट्रेनिंग के दिनों की यादों में खो गए | इस भिखारी DSP का नाम मनीष मिश्रा बताया गया |

मनीष मिश्रा भिखारी के रूप में पिछले 10 सालों से लावारिस ज़िन्दगी गुजार रहा है | 1999 बैच का वह DSP अपने दौर का अचूक निशानेबाज था। जानकारी के मुताबिक मनीष मिश्रा एमपी के कई जिलों में थानेदार भी रहा | उन्होंने 2005 तक पुलिस की नौकरी की और वह अंतिम समय में दतिया में पदस्थ रहे | बताया जाता है कि नौकरी के दौरान अचानक उनकी मानसिक स्थिति खराब हो गई थी | घर वालों ने इलाज के लिए उनको कई जगह ले जाया | लेकिन उनकी स्थिति नहीं सुधरी |

कुछ दिन बाद मनीष मिश्रा परिवार को भी छोड़ कर चले गए | उनकी पत्नी ने भी तलाक ले लिया | वह भीख मांगने लगे | मनीष के इन दोनों साथियों ने सोचा नहीं था कि ऐसा भी हो सकता है | दोनों DSP ने मनीष मिश्रा को अपने साथ ले जाने की कोशिश की | लेकिन वो नहीं गए | दोनों ने काफी देर तक मनीष मिश्रा से पुराने दिनों की बात कर उनकी याददाश्त लाने की कोशिश की | इसके बाद दोनों अधिकारियों ने मनीष को एक समाजसेवी संस्था के सुपुर्द कर दिया |

बताया जाता है कि इस संस्था में मनीष की देखभाल शुरू हो गई है | खोजबीन के बाद पता पड़ा कि मनीष के भाई भी थानेदार हैं | उनके पिता और चाचा एसएसपी के पद से रिटायर हुए हैं | जानकारी में पता चला कि उनकी एक बहन किसी दूतावास में अच्छे पद पर हैं। मनीष की पत्नी, जिसका उनसे तलाक हो गया, वह भी न्यायिक विभाग में पदस्थ हैं। फिलहाल मनीष के इन दोनों दोस्तों ने उसका इलाज फिर से शुरू करा दिया है। फ़िलहाल मनीष मिश्रा की ज़िन्दगी की दास्तान एक दर्दभरी कहानी बन गई है | उनकी भिखारी जैसी स्थिति को जो भी सुनता है वह हैरान रह जाता है।

ये भी पढ़े :दिसंबर माह में कोरोना वैक्सीन हो जाएगी उपलब्ध, पहली खेप में कोरोना टीके की 10 करोड़ खुराक, वैक्सीन आने तक संक्रमण से बचे रहना लोगों के लिए बड़ी चुनौती