नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए दिल्ली के जेएनयू में स्थापित स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण किया। इस दौरान मोदी ने कहा, विवेकानंद जी कहते थे मूर्ति में आस्था का रहस्य ये है कि आप उस एक चीज से विजन ऑफ डिविनिटी डेवलप करते हैं। ये प्रतिमा देश को युवाओं के युवाओं के नेतृत्व में विजन के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करे, जो स्वामी जी की अपेक्षा रही है। ये प्रतिमा हमें स्वामी जी के सशक्त-समृद्ध भारत के सपने को साकार करने की प्रेरणा देती रहेगी।
► पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि स्वामी विवेकानंद कहते थे कि मूर्ति में आस्था का रहस्य ये है कि आप उस एक चीज से विजन ऑफ इम्युनिटी देखते हैं। मेरी कामना है कि JNU में ये प्रतिमा साहस और वो करेज है, जिसे विवेकानंद जी हर युवा में देखना चाहते थे।
► पीएम ने कहा कि ये प्रतिमा हमें राष्ट्र के पति अगाध श्रद्धा, प्रेम सिखाए। ये स्वामीजी के जीवन का सर्वोच्च संदेश है। ये प्रतिमा देश को विजन ऑफ वननेस के लिए प्रेरित करे, जो स्वामीजी के चिंतन की प्रेरणा रहा है। ये प्रतिमा देश को यूथ डेवलपमेंट के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करे।
► उन्होंने कहा कि साथियो! ये सिर्फ एक प्रतिमा नहीं है, बल्कि उस विचार की ऊंचाई का प्रतीक है, जिसके बल पर एक संन्यासी ने पूरी दुनिया को भारत का परिचय दिया था। उनके पास वेदांत का ज्ञान था। एक विजन था। वो जानते थे कि भारत दुनिया को क्या दे सकता है।
► वो भारत के विश्व बंधुत्व के संदेश को लेकर दुनिया में गए थे। भारत के सांस्कृतिक वैभव, विचारों और परंपराओं को उन्होंने गौरवपूर्ण तरीके से दुनिया के सामने रखा।जब चारों तरफ निराशा, हताशा थी, हम गुलामी के बोझ में दबे थे, तब स्वामीजी ने अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी में कहा था कि यह शताब्दी आपकी है, लेकिन 21वीं शताब्दी निश्चित ही भारत की होगी।
► पीएम मोदी ने कहा कि उनके शब्दों को सही करना हम सबका दायित्व है। भारतीयों के इसी आत्मविश्वास और उसी जज्बे को ये प्रतिमा समेटे हुए है।ये प्रतिमा उस ज्योतिपुंज का दर्शन है, जिसने गुलामी के लंबे कालखंड में खुद को अपने सामर्थ्य को, अपनी पहचान को भूल रहे भारत को जगाने का काम किया था। भारत में नई चेतना का संचार किया था।
► उन्होंने कहा कि साथियो! आज देश आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य और संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है। आज आत्मनिर्भर भारत का विचार 130 करोड़ से ज्यादा भारतीयों की कलेक्टिव कॉन्शियसनेस, आकांक्षाओं का हिस्सा बन चुका है।
पीएम नेहरू की प्रतिमा से 3 फीट उंची है विवेकानंद की प्रतिमा
साल 2005 में जेएनयू के पूर्व छात्रों ने 11.5 फीट ऊंची स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा को लगाने का काम शुरू किया था। इसे प्रतिमा को स्थापित करने के लिए एक चबूतरा भी बनाया गया है। ऊंचाई पंडित नेहरू की मूर्ति से लगभग तीन फीट ऊंची हो गई है। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के एक छोर पर देश के पहले पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरू की प्रतिमा लगी है। दोनों प्रतिमाओं के बीच तकरीबन तीन सौ मीटर की दूरी है।
2005 में लगी थी पीएम की मूर्ति
दरअसल, 2005 में विश्वद्यालय में जवाहर लाल नेहरू की मूर्ति लगाई गई थी। इसके बाद छात्रों ने कुलपति से विवेकानंद के भी प्रतिमा को स्थापित करवाने की गुजारिश की थी। हलांकि उस वक्त ऐसा नही हो पाया था। साल 2010 में एक बार फिर इसके लिए काफी कोशिशें की गई लेकिन फिर भी छात्रों के हाथ खाली रहे। इसके चार साल बाद यानी साल 2014 में कुलपति एम. जगदीश कुमार की नियुक्ति हुई। तब जाकर कुछ छात्रों ने कुलपति से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने एक बार फिर विश्वविद्यालय में विवेकानंद की प्रतिमा स्थापित करने की मांग की। करीब 3 साल बाद साल 2017 में छात्रों के इस मांग को कुलपति ने स्वीकार कर लिया। और प्रतिमा बनाने का काम शुरू हुआ। साल 2019 तक ये प्रतिमा बनकर तैयार हो गई। हालांकि भारी विरोध की वजह से अनावरण में एक साल की देरी हुई। अब जाकर इस प्रतिमा को सम्मान के साथ जेएनयू में लगाया जा रहा है।