छत्तीसगढ़ में डीजी मुकेश गुप्ता के सस्पेंड होने के बाद नक्सली हमलो में आई कमी | रूस से आने विस्फोटक की खेप आखिर कैसे बस्तर में हो जाती है, गायब ?

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भारत के नक्सल प्रभावित 13 राज्यों को आखिर कहाँ से अमोनियम नाइट्रेट और दूसरे विस्फोटकों की भारी भरकम खेप मिलती है, ये आज भी खोज का विषय बना है | जबकि किसी ना किसी राज्य में रोजाना छोटी बड़ी नक्सली वारदाते दर्ज होती है | अमोनियम नाइट्रेट जैसे घातक विस्फोटक से छत्तीसगढ़ में नक्सलिओ ने जबरदस्त तबाही मचाई है | सैकड़ो की तादाद में पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों के अलावा आम नागरिको को कभी बारूदी सुरंगो तो कभी प्रेशर बमो और दूसरी आईईडी से मौत की नींद सुलाया गया है | इन सबके बावजूद अभी तक कोई मौत का सौदागर पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा है | छत्तीसगढ़ में सैकड़ो की तादाद में नक्सलिओ ने आत्मसमर्पण किया है | इसके बावजूद पुलिस और केंद्रीय जांच एजेंसियां यह अब तक नहीं पता लगा पाई है कि नक्सलिओ को आखिर कहाँ से बड़े पैमाने पर अमोनियम नाइट्रेट की आपूर्ति होती है | न्यूज टुडे छत्तीसगढ़ की टीम ने बस्तर के कई आत्मसमर्पित नक्सलियों से इस सम्बन्ध में बातचीत की | उन्होंने यह तो बताया कि उनके बड़े नेताओ और सहयोगियों ने जब जरुरत पड़ी तब पर्याप्त विस्फोटक मुहैया कराया था, लेकिन अमोनियम नाइट्रेट किसके जरिये नक्सली दलम तक पहुँचता था इसकी जानकारी उन्हें नहीं है | आत्मसमर्पित नक्सलिओ के मुताबिक जंगलो के कई हिस्सों में अमोनियम नाइट्रेट की खेप सुरक्षित रखी जाती है | नक्सली डंप में इसका पर्याप्त स्टॉक होता है | लेकिन नक्सली डंप की  जानकारी सिर्फ कमांडर के पास होती है | बस्तर में नक्सलिओ को सौपी गयी अमोनियम नाइट्रेट की बड़ी खेप आखिर कैसे बीच सड़क से गायब हो गयी | यह आज भी रहस्य्मय बना हुआ है | जबकि रायपुर की स्पेशल ब्लास्ट नामक कंपनी और उसके मुख्य कर्ता धर्ता संजय चौधरी से तत्कालीन पुलिस अधिकारियों ने नाम मात्र की बातचीत की और उसके बयान दर्ज कर मामले को गोलमोल कर दिया | तत्कालीन अधिकारियों ने अमोनियम नाइट्रेट की इस बड़ी खेप की बरामदगी क्यों नहीं की, और तो और इस घटना की उच्च स्तरीय जांच क्यों नहीं कराई यह विचारणीय है | यह तथ्य भी सामने आया है कि सस्पेंड डीजी मुकेश गुप्ता के प्रभावशील पद से हटने के बाद छत्तीसगढ़ में पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों पर  बारूदी सुरंगो से होने वाले हमलो में बेहद कमी आयी है | अब ना तो पहले की तरह तेजी से आईईडी विस्फोट हो रहे है, और ना ही प्रेशर बमो की चपेट में निर्दोष नागरिक आ रहे है | पुलिस और केंद्रीय जांच एजेंसियों को इस ओर गौर फरमाना होगा |         

              देश के नक्सलवाद से प्रभावित राज्यों में कभी नक्सली वारदाते अचानक बढ़ जाती है , तो कभी नक्सली अपनी मांद में सुरक्षित लौट जाते है | एक जानकारी के मुताबिक नक्सली दलम  उस समय ही ज्यादा हिंसक वारदातों को अंजाम देते है , जिस समय उनके पास घातक विस्फोटक अमोनियम नाइट्रेट की मात्रा बड़े पैमाने पर होती है | छत्तीसगढ़ में नक्सली ने पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों पर हमला करने के लिए इस खतरनाक विस्फोटक अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल खूब किया है |  यह अमोनियम नाइट्रेट राज्य में विशाखापट्नम के रास्ते  बस्तर में प्रवेश करता है |  बताया जाता है कि अमोनियम नाइट्रेट की खेप रूस से सीधे विशाखापट्नम पोर्ट पर आयात होती है | इसके बाद कारोबारी अपने हिस्से का माल अथवा अपनी खपत के अनुसार विस्फोटक   की खेप अपने कब्जे में ले लेते है | छत्तीसगढ़ में यह घातक विस्फोटक  बगैर किसी ठोस सुरक्षा और सूचना के प्रदेश के कई हिस्सों में पहुँचता है | राज्य में इसका सर्वाधिक कारोबार स्पेशल ब्लास्ट नामक कंपनी के जरिये होता है | इस कंपनी के मुख्य कर्ता धर्ता सस्पेंड डीजी मुकेश  गुप्ता के खासम ख़ास संजय चौधरी नामक शक्श बताये जाते  है |

                       बस्तर में अमोनियम नाइट्रेट की जबरदस्त खपत है | बताया जाता है कि इसके मुख्य खरीददार और कोई नहीं बल्कि माओवादी और उनका संगठन है | अब तक पुलिस और ख़ुफ़िया तंत्र इस गोरखधंधे की पड़ताल नहीं कर पाया है कि आखिर नक्सलिओ को अमोनियम नाइट्रेट की बड़ी खेप कहाँ  से मुहैया होती है | संजय चौधरी की देखरेख में उनकी स्पेशल ब्लास्ट नामक कंपनी का गुम हुआ अमोनियम नाइट्रेट से लदा हुआ ट्रक बस्तर में आखिर कैसे नक्सलिओ के ठिकानों तक पहुंच गया |  इसकी अभी तक कोई उच्च स्तरीय जांच नहीं  की गयी | अलबत्ता स्पेशल ब्लास्ट नामक कंपनी ने अमोनियम नाइट्रेट से भरे ट्रक के गुम होने की जो सूचना और शिकायत पुलिस में दर्ज कराई वही सत्य मान ली गयी | तत्कालीन अधिकारियों ने इसे आखिर क्यों गंभीरता से नहीं लिया, यह जांच का विषय है | 
                छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में  अमोनियम नाइट्रेट का कारोबार करने वाली स्पेशल ब्लास्ट नामक कंपनी के प्रमुख संजय चौधरी के अलावा उनके कुछ कर्मचारियों और ट्रक ड्राइवर और उसमे सवार क्लीनर के सामान्य बयान दर्ज कर मामले को अदालत को सौप दिया गया |   जांच अधिकारियों की कार्य प्रणाली इतनी लचर थी कि उन्होंने कई महत्वपूर्ण पहलुओं की ओर झाँका तक नहीं | ना तो अमोनियम नाइट्रेट की बरामदगी हुई और ना ही संदेहियों से कोई ठोस पूछतांछ | आमतौर पर इतनी बड़ी घटना होने के बाद मामले की उच्चस्तरीय जांच कराई जाती है | लेकिन इस पुरे मामले को थाना स्तर और जिला स्तर पर ही निपटा दिया गया | नतीजतन इतने बड़े पैमाने पर ठिकाने लगाया गया अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों के खिलाफ हुआ | CRPF , ITBP , BSF , SSB, DRG के अलावा पुलिस और कई आम नागरिक बारूदी सुरंगो , प्रेशर बमो और दूसरी आईईडी के शिकार बने | 

बस्तर में अमोनियम नाइट्रेट की खेप नक्सलिओ के कब्जे में चले जाने की पड़ताल के दौरान यह तथ्य सामने आया है कि  अमोनियम नाइट्रेट की खेप नक्सलिओ को सौपे जाने की योजना  काफी सोच समझ कर तैयार की गयी थी | स्पेशल ब्लास्ट नामक कंपनी के प्रमुख  संजय चौधरी को गुमशुदा ट्रक के आवाजाही की पूर्ण सूचना थी | लेकिन तत्कालीन पुलिस कर्मियों को नहीं | नतीजतन अचानक यह ट्रक नक्सली डंप में पहुंच गया और अमोनियम नाइट्रेट को ठिकाने लगाने के बाद जंगल के एक हिस्से में लावारिस खड़ा मिला | इस ट्रक की आवाजाही की सूचना आखिर नक्सलिओ को कहाँ से मिली | किसने दी | और तो और इसकी जप्ती के लिए ठोस प्रयास क्यों नहीं हुए यह आज भी रहस्य्मय बना हुआ है | संदेह है कि विस्फोटक की यह खेप नक्सलिओ को सौपे जाने की योजना सस्पेंड डीजी मुकेश गुप्ता की ही थी | योजनाबद्ध तरीके से  पुलिस में मामला दर्ज कराया गया , और जांच अधिकारियों ने मुकेश गुप्ता के कहने पर विवेचना का दायरा बहुत सीमित कर दिया |  तत्कालीन पुलिस अधिकारी इस ट्रक की गुमशुदगी को लेकर कोई ठोस तथ्य अदालत को नहीं सौप पाए | इसके चलते यह मामला टाय टाय फ़ीस हो गया | 
                                  यह तथ्त भी सामने आया है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के गठन के बाद जैसे ही डीजी मुकेश गुप्ता को सस्पेंड किया गया वैसे ही नक्सल प्रभावित इलाको में  आईईडी ब्लास्ट और बारूदी सुरंगो के हमलो में कमी आयी है | इन पांच महीनो में अमोनियम नाइट्रेट के इस्तेमाल से होने वाले बड़े नक्सली हमले माह दर माह ही नहीं बल्कि रोजाना घटते चले गए है | सरकार और ख़ुफ़िया एजेंसियों को छत्तीसगढ़ में विस्फोटकों के कारोबारियों के आयात और उसकी खपत की ओर गंभीरता से  ध्यान देना होगा | इस तथ्य पर भी गौर करना होगा कि भारत में फलते फूलते माओवाद पर चीन और रूस की कड़ी नजर होती है | लेकिन हमारी पुलिस की नहीं |