रायपुर / छत्तीसगढ़ कैडर के कुख्यात और निलंबित एडीजी मुकेश गुप्ता का दावा है कि सीडी कांड की सीबीआई जांच मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके सलाहकारों की कोई खैर नहीं | यदि छत्तीसगढ़ से यह मामला किसी भी राज्य में ट्रांसफर हुआ तो राज्य में नेतृत्व परिवर्तन होकर रहेगा | उसका दावा है कि राज्य सरकार उसकी मुट्ठी में है | इसके कर्ताधर्ता समय समय पर सरकार संचालन के लिए उससे और उसके एक पूर्व प्रभावशील नौकरशाह से सलाह मशविरा करते है |
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मुकेश गुप्ता ने नान घोटाले में संलिप्त वरिष्ठ आईएएस अनिल टुटेजा का नाम लेते हुए कहा कि एक पूर्व मुख्यसचिव की सहमति के बाद ही उन्हें आरोपी बनाया गया था | उसने स्वीकार किया कि इस अफसर के खिलाफ कोई ठोस वैधानिक सबूत उपलब्ध नहीं थे | लेकिन इस घोटाले के दस्तावेज सार्वजनिक हो जाने के कारण उसे आरोपी बनाया गया | उसने यह भी कहा कि पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार उसके कारण ही अपना कार्यकाल पूरा कर पाई | वर्ना तत्कालीन विधायकों के असंतोष के चलते वहां भी सत्ता परिवर्तन के आसार थे | अपने संक्षिप्त रायपुर-दुर्ग प्रवास के दौरान इस कुख्यात आरोपी ने यह भी दावा किया कि जल्द उसकी बहाली के आसार है | इसके लिए उसने अदालत का भी सहारा लिया है , ताकि समझौते के तहत उसकी बहाली में सरकार को कोई दिक्क्त न हो |
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दुर्ग में पुलिस के कुछ अफसरों ने भी गुप्ता से मुलाकात कर मौजूदा पुलिसिंग और सरकार के कामकाज पर चर्चा की | खाकी वर्दीधारी इन अफसरों में दो एएसपी से लेकर कुछ एएसआई शामिल थे | दुर्ग में खंडेलवाल नामक शख्स के फॉर्महाउस में आयोजित एक रसायनिक पार्टी में मुकेश गुप्ता से मिलने कई सफेद कॉलर वाले आपराधिक तत्व भी पहुंचे थे | मीडिया और कई महत्वपूर्ण लोगों से आँख बचाते हुए पुलिस के ये अफसर तो निकल गए , लेकिन मुकेश गुप्ता ने उन लोगों का नाम जाहिर कर दावा किया कि ये मेरे सच्चे साथी है जो आज भी हुक्म बजाने के लिए चले आते है | इस मौके पर विषकन्या खासतौर पर मौजूद थी |
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मुकेश गुप्ता के ये तमाम दावे कितने सत्य और प्रामाणिक है यह तो सरकार जाने | लेकिन इस कुख्यात आरोपी की पुनर्वापसी और बहाली की अटकले पुलिस विभाग में चर्चा का विषय बनी हुई है | दरअसल आरोपी मुकेश गुप्ता के खिलाफ आधा दर्जन मामलों में वैधानिक जांच पूरी हो चुकी है | इन मामलों में उसके खिलाफ FIR दर्ज होना भर बाकि है | जबकि EOW में दर्ज दो अलग अलग FIR और दुर्ग में दर्ज चार सौ बीसी के मामले में दर्ज FIR को लेकर अभी भी जांच अटकी हुई है | इन तीनों ही मामलों में राज्य सरकार ठोस रूप से अदालत में अपना पक्ष नहीं रख पाई | नतीजतन क़ानूनी दांवपेचों का सहारा लेकर आरोपी मुकेश गुप्ता निलंबित होने के बावजूद अपनी शेखी बघारने में जुटा है | यही नहीं , निलंबन अवधि में नौकरी से गायब रहने के चलते पुलिस मुख्यालय की मेहरबानी भी उसके लिए फलदायी साबित हुई है |
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फ़िलहाल इस कुख्यात आरोपी के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई किये जाने को लेकर राज्य सरकार का लचीला रवैया उसकी मंशा पर सवालियां निशान लगा रहा है | छत्तीसगढ़ सरकार ने सत्ता संभालते ही नासूर बन चुके आपराधिक छवि के पुलिस अफसरों के खिलाफ उनकी कार्यप्रणाली के मद्देनजर वैधानिक कार्रवाई का बीड़ा उठाया था | इसी के तहत मुकेश गुप्ता को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाया गया था | राज्य की कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने से पूर्व भ्रस्ट्र अफसरों को सबक सिखाने का वादा भी किया था | उसने पार्टी घोषणापत्र में दागी अफसरों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई किये जाने का वादा कर लोगों से वोट मांगा था | लेकिन 20 माह के कार्यकाल में किसी भी दागी अफसर के खिलाफ मुकम्मल जांच को अंजाम तक पहुंचाने में राज्य सरकार नाकाम रही है | जाहिर है इसके चलते मुकेश गुप्ता जैसे कुख्यात अफसरों के हौसले बुलंद होना लाजमी है |