Sunday, September 22, 2024
HomeChhatttisgarhछत्तीसगढ़ में बेरोजगारों को कांग्रेस घोषणा पत्र के अनुरूप आखिर कब मिलेगा...

छत्तीसगढ़ में बेरोजगारों को कांग्रेस घोषणा पत्र के अनुरूप आखिर कब मिलेगा बेरोजगारी भत्ता ? सरकार की चुप्पी, राज्य में बेरोजगारी दर में कमी का दावा किया सरकार ने, 20 माह से लाखों बेरोजगारों को भत्ते का इंतज़ार, अब नहीं तो कब दोगे ‘सरकार’ ?

रायपुर / छत्तीसगढ़ में बेरोजगारों को भत्ता देने के मामले में सरकार ने लगभग 20 माह से चुप्पी साधी हुई है | कांग्रेस घोषणा पत्र में बेरोजगारों से वोट पाने के लिए पार्टी ने लोक लुभाबन वादा किया था | सत्ता में आने के बाद रोजाना बेरोजगारों को भत्ते का इंतज़ार रहता है, ताकि वे अपना जेब खर्च तो चला सके | इस बीच राज्य की कांग्रेस सरकार ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बेरोजगारी में कमी का दावा किया है | सरकार के मुताबिक सेन्टर फाॅर माॅनिटरिंग इंडियन इकानामी के आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी की दर में घटकर 2 प्रतिशत की कमी आई है |

छत्तीसगढ़ में बेरोज़गारी की दर सितंबर 2020 में घटकर 2 प्रतिशत रह गयी है, जो राष्ट्रीय स्तर पर देश में बेरोजगारी की दर 6.8 प्रतिशत से काफी कम है। देश में असम के बाद छत्तीसगढ़ में सबसे कम बेरोजगारी की दर कम होने का दावा किया जा रहा है | राज्य सरकार के इस दावे को उसके वादों से भी जोड़ कर देखा जा रहा है | दरअसल सत्ता में आने के लिए राज्य की कांग्रेस सरकार ने बेरोजगारों से वादा किया था कि उन्हें बेरोजगारी भत्ता मिलेगा | यही नहीं शिक्षित बेरोजगारों को नौकरी मिलने तक बेरोजगारी भत्ता देने का वादा कांग्रेस ने किया था | लेकिन राज्य में सत्ता में आये 20 माह पूरे हो चुके है | ,मात्र दो माह बाद राज्य की कांग्रेस सरकार अपने कार्यकाल के दो वर्ष पूरे करने जा रही है | कांग्रेस का सपना तो पूरा हो गया, लेकिन उसके वादों पर भरोसा कर पार्टी को वोट देने वाले लाखों बेरोजगारों का सपना दिनों दिन टूटते जा रहा है | राज्य में शराब, खनिज और परिवहन से रोजाना लाखों रुपये वैध – अवैध रूप से सरकारी और गैर सरकारी तिजोरी में जा रहा है, लेकिन बेरोजगारों को पार्टी घोषणा पत्र के अनुरूप भत्ता देने के लिए सरकार ने चुप्पी साधी हुई है |

कांग्रेस के पार्टी घोषणा पत्र में तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के समक्ष राज्य के सभी नेताओं ने बेरोजगारों को ढाई हजार रूपये प्रतिमाह स्टाइफंड के रूप में देना का वादा किया था | इसके लिए सालाना 3 हजार करोड़ के बजट के प्रावधान की भी घोषणा की गई थी | लेकिन 20 माह बाद भी सरकार ने शिक्षित बेरोगारों की सुध तक नहीं ली | प्रत्येक बेरोजगार को ढाई हजार प्रतिमाह की दर से 20 माह का 50 हजार रूपये का फौरन भुगतान करना चाहिए | इसके लिए राज्य सरकार को फौरन कड़े कदम उठाने चाहिए | ताकि गांव से लेकर शहरों तक के शिक्षित बेरोजगारों को आजीविका चलाने के लिए कुछ रकम मिल सके | लेकिन इस बारे में सत्ता के गलियारों में कोई चर्चा नहीं है | जबकि कुर्सी में बैठने वाले तमाम नेता सत्ता का स्वाद चखने में कोई कसर बाकि नहीं छोड़ रहे है |

दरअसल छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या बन गई है | राज्य में पढ़े-लिखे बेरोजगारों की संख्या 15 लाख के लगभग है | इसमें साल दर साल वृद्धि होती जा रही है | राज्य में करीब सवा लाख नौजवान हर साल ग्रेजवेशन करते है | इनमे से कई युवा रोजगार के लिए पडोसी राज्यों की ओर पलायन भी करते है | बेरोजगारी का आलम ये है कि चपरासी जैसे मामूली पदों के लिए पोस्ट ग्रेजवेट और इंजीनियरिंग की डिग्रीधारी आवेदकों की लंबी कतार लगती है | प्रदेश में कई उद्योग धंधों के बंद होने और लॉकडाउन की वजह से हजारों नौजवानों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा है |

इधर छत्तीसगढ़ सरकार की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि देश में शहरी क्षेत्रों में यह दर 7.9 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्रों में 6.3 प्रतिशत रही। सेन्टर फाॅर माॅनिटरिंग इंडियन इकानामी (सीएमआईई) द्वारा 16 अक्टूबर को जारी बेरोजगारी दर के ताजा आंकड़ों के अनुसार बेरोजगारी की दर असम में 1.2 प्रतिशत के बाद छत्तीसगढ़ में सबसे कम 2 प्रतिशत है। जो देश के बड़े और विकसित राज्यों से काफी कम है। राजस्थान में बेरोज़गारी की दर 15.3 प्रतिशत, दिल्ली में 12.2 प्रतिशत, बिहार में 11.9 प्रतिशत, हरियाणा में 19.1 प्रतिशत, पंजाब में 9.6 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 4.5 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल में 9.3 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 4.2 प्रतिशत, झारखंड में 8.2 प्रतिशत, ओडिसा में 2.1 प्रतिशत है।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों और फैसलों से छत्तीसगढ़ में उद्योगों सहित कृषि क्षेत्र में गतिविधियां तेजी से संचालित हो रही हैं, जिससे छत्तीसगढ़ में रोजगार के अवसर लगातार बढ़ रहे हैं और बेरोजगारी की दर में कमी दर्ज की जा रही है। इसके पहले छत्तीसगढ़ में बेरोज़गारी की दर जून माह में 14.4 से घटकर जुलाई माह में 9 प्रतिशत के स्तर पर आ गयी थी। राज्य सरकार द्वारा लिए गए फ़ैसलों से कोरोना काल में भी राज्य में लोगों को आर्थिक गतिविधियों से जोड़कर रखा गया है।

छत्तीसगढ़ में अप्रैल माह के अंतिम सप्ताह से ही औद्योगिक गतिविधियाँ प्रारंभ हो गई थी। वर्तमान में लगभग शत-प्रतिशत उद्योगों में कोरोना से रोकथाम और बचाव के साथ काम शुरू हो गया है। अच्छी बारिश से राज्य में कृषि की गतिविधियों में तेजी आयी है। मनरेगा में अधिक से अधिक रोजगार मूलक कार्यों के संचालन और लघुवनोपज की खरीदी से प्रदेश में रोजगार के अवसर बढ़े। राजीव गांधी किसान न्याय योजना सहित किसान हितैषी योजनाओं तथा जन कल्याणकारी फ़ैसलों से उत्साहजनक वातावरण बना है। अनलॉक होते ही छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था ने गति पकड़ी, जिसकी वहज से छत्तीसगढ़ में जीएसटी कनेक्शन बढ़ा, ऑटोमोबाईल, कृषि सहित अन्य क्षेत्रों में तेजी आयी।

bureau
bureau
BUREAU REPORT
RELATED ARTICLES

Most Popular

spot_img