रायपुर / छत्तीसगढ़ में गृह विभाग की बैठक के पहले एक कार्रवाई में महिला संबंधी अपराधों की विवेचना में लापरवाही बरतने पर एक एसडीओपी और एक थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया है | अंबिकापुर संभाग के वाड्रफनगर के एसडीओपी ध्रुवेश जायसवाल और थाना प्रभारी रघुनाथनगर जाॅन प्रदीप लकड़ा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। मुख्यमंत्री के निर्देश के तत्काल बाद पुलिस महानिदेशक डी.एम. अवस्थी द्वारा इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिया गया है।
निलंबन अवधि में इनका मुख्यालय पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय सरगुजा रखा गया है। इस त्वरित कार्रवाई से महिला संबंधी अपराधों की विवेचना में कितनी तेजी आएगी यह तो वक़्त ही बताएगा लेकिन निलंबित ADG मुकेश गुप्ता के खिलाफ महिला उत्पीड़न के गंभीर आरोपों की जाँच रिपोर्ट आने के लंबा अरसा बीत जाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं किया जाना, सरकार का दोहरा रवैया जान पड़ रहा है | वाड्रफनगर में निचले स्तर के पुलिसकर्मियों के खिलाफ सरकार की फौरी कार्रवाई सुसंगत जान पड़ती है | लेकिन कई ऐसे ही गंभीर मामलों में कुख्यात आरोपी मुकेश गुप्ता को अभयदान दिया जाना चर्चा का विषय बना हुआ है |
वो भी तब जब राज्य के DG स्तर के अफसर ने डॉ. मिक्की मेहता मामले की जाँच रिपोर्ट समय पर सरकार को सौंप कर विधिवत कार्रवाई की सिफारिश की है | उधर एक पुख्ता जानकारी के मुताबिक भिलाई के सुपेला थाने से इस मामले की महत्वपूर्ण फाइल और कई दस्तावेज गायब हो गए है | बताया जाता है कि पूर्वर्ती सरकार के कार्यकाल में इन दस्तावेजों को तत्कालीन SP के माध्यम से आरोपी मुकेश गुप्ता ने PHQ बुलवाया था | उसके बाद से यह फाइल ना तो पुलिस मुख्यालय में है और ना ही दुर्ग पुलिस अधीक्षक के कार्यालय में है | इस मामले की भी जाँच से साफ़ हो जायेगा कि इस कुख्यात आरोपी को बचाने के लिए पुलिस विभाग की एक लॉबी जोर – शोर से जुटी हुई है |
उधर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा महिलाओं के विरूद्ध अपराधों की रोकथाम के लिए प्राथमिकता और पूरी गंभीरता से कार्य करने के निर्देश पूर्व में ही दिए गए है। ऐसे में डॉ. मिक्की मेहता को भी इंसाफ की उम्मीद की जा सकती है | उनका परिवार लगभग 18 सालों से इंसाफ की मांग को लेकर थानों से लेकर PHQ का चक्कर काट रहा है | यही नहीं अदालत से भी उन्होंने इंसाफ की गुहार लगाई है | लेकिन अफ़सोसजनक तथ्य यह है कि यहाँ भी पुलिस अफसरों की एक लॉबी रोड़ा अटका रही है, ताकि मामला लंबा खींच सके | राज्य के मुख्यमंत्री ने हाल ही में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को भी पत्र लिखकर यौन अपराधों से संबंधित प्रकरणों की शीघ्र सुनवाई के लिए सभी जिलों में आवश्यक संख्या में फास्ट ट्रैक कोर्ट अधिसूचित करने का अनुरोध किया है।
उन्होंने इसके लिए राज्य शासन की ओर से सभी आवश्यक सहयोग देने की सहमति भी दी है। लेकिन वर्षों से लंबित डॉ. मिक्की मेहता प्रकरण की ओर सरकार ने रुख ही नहीं किया | बताया जाता है कि जीते जी डॉ. मिक्की मेहता आईपीएस मुकेश गुप्ता से उनकी पत्नी होने का दर्जा आखरी वक़्त तक मांगती रही क्योंकि उन्होंने उनके साथ गंघर्व विवाह किया था | लेकिन पहली पत्नी के होते दूसरी शादी के चलते आईपीएस के पद पर मंडराते खतरे को भांपते हुए वह हमेशा बचते रहा | जबकि डॉ. मिक्की मेहता से मुकेश गुप्ता की संतान भी है | न्याय की मांग को लेकर मिक्की मेहता व उसके भाई और उनकी माता लगातार इंसाफ की गुहार लगा रही है |
लेकिन पुलिस वैधानिक तथ्यों के बावजूद मुकेश गुप्ता के खिलाफ लंबित 498 का मामला दर्ज करने में आनाकानी कर रही है | कुछ माह पूर्व तत्कालीन DG गिरधारी नायक ने अपनी रिपोर्ट शासन को भेजी थी | लगभग साल भर होते आ रहा है, इस मामले में राज्य शासन की ओर से कोई दिशा निर्देश पुलिस को नहीं दिए गए है | फ़िलहाल महिला अपराधों को लेकर निचले पुलिस कर्मीयों पर की गई कार्रवाई की कड़ी में उम्मीद जगी है कि देर से ही सही ‘सरकार’ डॉ. मिक्की मेहता के प्रकरण की ओर भी रुख करेगी |