विनोद चावला
धमतरी / नवरात्रि को लेकर प्रशासन ने जो दिशा निर्देश जारी किया है उससे साफ प्रतीत होता है कि कांग्रेस सरकार हिन्दू आस्थाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है। भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष ठाकुर शशि पवार ने विज्ञप्ति जारी करते हुये कहा कि भाजपा कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिये किये जाने वाले सभी प्रयासों का स्वागत करती है परंतु ऐसे दिशा निर्देश यदि दूषित भावना से किये जाते हैं तो पार्टी इसका विरोध करती है।
छग शासन एवं धमतरी जिला प्रशासन ने नवरात्र उत्सव को लेकर जो फरमान जारी किये हैं वो कहीं से भी युक्ति युक्त प्रतीत नही होते हैं। जहाँ एक तरफ कांग्रेस खुले आम सैकड़ों की संख्या में प्रदेश भर के कार्यकर्ताओं को लेकर राजधानी की सड़कों पर प्रदर्शन करती है वहाँ प्रशासन के सारे नियम कानून किनारे रख दिये जाते हैं। शराब दुकानों में प्रतिदिन उमड़ती भीड़ को संक्रमण से बचाने सरकार कोई दिशा निर्देश जारी नही करती जबकि शराब विक्रय से सरकार अरबों रुपये का राजस्व प्राप्त करती है। दुसरी तरफ उन छोटे छोटे दुर्गोत्सव समितियों पर जो मोहल्ले वासियों से 10-20 रु चंदा एकत्र कर धार्मिक संस्कृति को ज़िंदा रखते हैं उन पर तरह तरह के प्रतिबंध लगाया जाना नागरिकों में रोष का कारण बनता जा रहा है।
दुर्गा पंडालों के आकार को लेकर, माता की मूर्तियों के आकार को लेकर, पंडाल स्थलों पर कम से कम 3000 वर्ग फ़ीट का रिक्त स्थान छोड़ने की बाध्यता वाद्य यंत्रों के उपयोग पर प्रतिबंध, थर्मल स्क्रीनिंग, कम से कम 4 सीसी टीवी कैमरे की अनिवार्यता, वाहनों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध इत्यादि नियम बना कर प्रशासन धार्मिक आयोजनों को बाधित करने के लिये कृत संकल्पित दिखाई देती है। ऐसे आदेश जारी कर प्रशासन मूर्तिकारों, डीजे धुमाल इत्यदि से जुड़े छोटे छोटे व्यवसायियों, टैंट हाउस चलाने वाले व्यवसायियों सहित बड़ी संख्या में कारीगरों, कलाकारों के पेट पर भी लात मारने का कार्य कर रही है।
इतना ही नही प्रशासन के तुगलकी फरमान में यहां तक प्रावधान किये गये हैं कि पंडाल स्थलों पर आने से यदि कोई व्यक्ति संक्रमित होता है तो उसके इलाज के खर्च का बोझ भी समितियों पर लाद दिया जायेगा। ये सभी फरमानों के पीछे सीधे तौर पर हिन्दू आस्थाओं पर दमन की प्रशासकीय मानसिकता को दर्शाता है। भारतीय जनता पार्टी ऐसे सभी प्रयासों का पुरजोर विरोध करती है तथा इसके विरुद्ध हिन्दू संगठनों के साथ सविनय अवज्ञा के साथ साथ आवश्यकता पड़ने पर उग्र आंदोलन की राह पर चलने हेतु बाध्य है। शासन प्रशासन की ऐसे किसी भी फरमान को स्वीकार नही किया जा सकता।