अंबिकापुर / छत्तीसगढ़ में लेमरू हाथी प्रोजेक्ट को लेकर ग्रामीणों का विरोध लगातार बढ़ते जा रहा है | आदिवासियों और ग्रामीणों के रुख को देखते हुए अब स्थानीय कांग्रेसी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इस प्रोजेक्ट का विरोध करना शुरू कर दिया है | उन्होंने साफ़ किया है कि इस मामले में वे अपनी सरकार के नहीं बल्कि हाथी प्रभावित उस बड़ी आबादी के साथ है , जो चौबीसों घंटे खौफ में रहती है | जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष व जिला पंचायत उपाध्यक्ष राकेश गुप्ता ने कलेक्टर सरगुजा को पत्र प्रेषित कर लेमरू हाथी प्रोजेक्ट से जुड़ी गतिविधियों को फिलहाल स्थगित रखने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि प्रोजेक्ट के दायरे में आ रहे गांव की राजस्व जमीन भी इसमें समाहित होने की जानकारी ग्रामीणों की ओर से सामने आ रही है। जब तक ग्रामीणों की शंकाओं का समाधान नहीं किया जाता तब तक इस प्रोजेक्ट को स्थगित रखा जाना चाहिए।
बताया जाता है कि लेमरू हाथी प्रोजेक्ट को लेकर खुद सरकार में एक राय नहीं है | वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव भी इस प्रोजेक्ट के पक्षधर नहीं बताए जा रहे है | बावजूद इसके कुछ विवादित एनजीओं के जाल में उलझकर राज्य सरकार गैर जरुरी तरीके से इस प्रोजेक्ट को अमली जामा पहनाने में जुटी है | छत्तीसगढ़ के सरगुजा में लेमरु प्रोजेक्ट को रद्द करने की मांग जोरशोर से हो रही है | बताया जा रहा है कि ग्रामीणों के बढ़ रहे विरोध को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने इसे जनविरोधी मानते हुए इससे जुड़े सभी कामों को रोकने के लिए कलेक्टर से संपर्क किया है |
कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव के निर्देश पर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और जिला पंचायत उपाध्यक्ष राकेश गुप्ता ने कलेक्टर सरगुजा को पत्र प्रेषित कर लेमरू हाथी प्रोजेक्ट से जुड़ी गतिविधियों को फिलहाल स्थगित रखने की मांग की है। कांग्रेस जिलाध्यक्ष की माने तो यदि उनकी सरकार ने इस प्रोजेक्ट से जुड़ी किसी भी चीज को सरगुजा में शुरु करने की कोशिश की तो वो अपनी ही सरकार के खिलाफ आवाज उठाएंगे। क्योंकि उनके लिए ग्रामीणों का हित पहले है सरकार का प्रोजेक्ट बाद में। हाल ही में राज्य के वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने लेमरू प्रोजेक्ट के लागू किये जाने को लेकर सफाई दी थी | लेकिन उनका दावा आम लोगों के गले नहीं उतर रहा है |
सरगुजा वनवृत्त में हाथियों की सर्वाधिक आवाजाही होती है | साल भर यहां हाथियों के सैकड़ों झुंड नजर आते है | लोगों को जान माल का नुकसान भी अक्सर उठाना होता है | इलाके में हाथियों और इंसानों के बीच संघर्ष की स्थिति चरम पर है | ऐसे में लेमरु प्रोजेक्ट से हाथियों का संरक्षण तो हो सकता है , लेकिन इस भारी भरकम जानवर के भय और हमले से 39 गांवों का सुख चैन भी छीन सकता है |
सरगुजा जिले के उदयपुर और लखनपुर ब्लाक के ये सभी 39 गांव इस प्रोजेक्ट के दायरे में है। बीते दो अक्टूबर को संबधित पंचायतों की ग्राम सभाओं में इस मुद्दे को भी रखा गया था। ग्राम पंचायतों से प्रोजेक्ट के लिए सहमति जरूरी है लिहाजा इसकी सरकारी कोशिशे भी दबावपूर्ण तरीके से शुरू हो गई है। इधर ग्रामीण लगातार इसका विरोध कर रहे है। इस क्षेत्र के विधायक प्रदेश के पंचायत व स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव है, उन तक भी ग्रामीणों व पंचायत प्रतिनिधियों की ओर से प्रोजेक्ट को रद्द करने की मांग रखी जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि हाथी विचरण क्षेत्र हो जाने के कारण हमें आजीविका संवर्धन में दिक्कत आएगी। उनका यह भी कहना है कि वे कहीं न कहीं वनोपज और खेती के माध्यम से अपनी आजीविका चलाते हैं | लेकिन इस प्रोजेक्ट के आने से हाथियों की आवाजाही और संख्या में बढ़ोतरी होगी , ऐसे में जान माल के नुकसान के साथ साथ उनकी आजीविका भी समाप्त हो जाएगी। यही नहीं इलाके में व्यावसायिक गतिविधियों पर भी इसका बुरा असर पड़ेगा |
हाथियों के सुरक्षित रहवास का दावा कर लेमरू हाथी प्रोजेक्ट राज्य सरकार की एक महत्वकांक्षी परियोजना है। लेकिन भविष्य के खतरों को दरकिनार कर इसे लागू किया जाना चिंता का विषय बना हुआ है | बताया जा रहा है कि जो एनजीओं और उसके कर्ता-धर्ता इसे लागू कराने को लेकर जोर दे रहे है , वे ना तो उस इलाके में रहते है और ना ही उनका ग्रामीणों से दूर दूर तक कोई लेना देना है | ग्रामीण विरोध प्रदर्शनों के दौरान आरोप लगा रहे है कि किसी गुप्त एजेंडे के तहत ये एनजीओं राज्य की कांग्रेस सरकार के खिलाफ आम जनता के बीच रोष उतपन्न करने की रणनीति को अंजाम दे रहे है | सरगुजा के अलावा कोरबा-रायगढ़ के हाथी प्रभावित हिस्सों में भी प्रोजेक्ट रद्द करने की मांग को लेकर ग्रामीणों का विरोध प्रदर्शन जारी है | उधर राज्य सरकार की आपत्ति के बाद केंद्रीय कोयला मंत्रालय ने इस क्षेत्र के कोल ब्लाक को नीलामी की सूची से पृथक कर दिया है।