कोरोना की दवाइयों की कीमत तो कम करों ‘सरकार’, केंद्र और राज्यों की ओर मरीजों और परिजनों की निगाहे, 200 से 500 फीसदी तक मुनाफा कमा रही है दवा कंपनियां, महंगी दवाओं से भी मरीजों का निकल रहा दम, NPPA और केंद्रीय केमिकल एंड फर्टिलाइजर मिनिस्ट्री की मौन सहमति ? छत्तीसगढ़ सिविल सोसाइटी ने जताई आपत्ति

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रायपुर / कोरोना काल में महँगी दवाओं को लेकर मरीजों का दम निकल रहा है | इस दौरान नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी अर्थात NPPA एवं मिनिस्ट्री ऑफ केमिकल एंड फर्टिलाइजर्स की अदूरदर्शिता, अकर्मण्यता उजागर हो रही है | साफ़तौर पर नजर आने लगा है कि ये दोनों संस्थान अपनी जवाबदारियों से पल्ला झाड़कर दवा कंपनियों के साथ खड़े दिखाई दे रहे है | मार्च माह से लेकर अब तक लगभग सभी दवा कंपनियां 200 से 500 फीसदी तक मुनाफा कमा रही है | लेकिन इन दोनों ही सरकारी संस्थानों ने दवाओं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया | हालत यह है कि कोरोना के महंगे इलाज के चलते भी आम मरीजों का दम निकल रहा है | इसकी तमाम दवाइयां आखिर क्यों इतनी महँगी है इसका कोई जवाब सरकार के पास भी नहीं है | केंद्र और राज्य सरकार दोनों को दवा कंपनियों की तिजोरियों पर लगाम लगानी होगी |

कोरोना संक्रमण की मुख्य दवा रेमडेसीविर (REMDESVIR) है। इसकी कीमत Zydus company ₹2800/- प्रति 100 मिलीग्राम ले रही है जबकि HETERO  ₹5400/- वसूल रही है। अर्थात 192% ज्यादा। ऐसा क्यों? विटामिन सी जैसी साधारण दवाई एक कंपनी NOVA LIFESCIENCES  ₹1  प्रति गोली  के दर पर बेच रही है वही Zuventus  ₹5.33 पैसे वसूल रही है। अर्थात 533% ज्यादा। ऐसा क्यों? आईवरमेक्टिन (IVERMECTIN) कोविड-19 के प्रत्येक मरीज को  देनी होती है  तथा यह रोकथाम में भी काम आती है। इसकी  एक गोली KIWI कंपनी  ₹11.75 प्रति गोली में दे  रही है वही ZUVENTUS कंपनी ₹42.50 चार्ज कर रही है। अर्थात 360% अधिक कीमत। आखिर क्या वजह है कि कीमतों में कोई नियंत्रण नहीं, क्या यह व्यवस्था ठीक है?

नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी अर्थात NPPA एक राष्ट्रीय एजेंसी है जिसका काम दवाइयों की कीमतों, दवाइयों की सप्लाई एवं मरीजों को उचित दवाई समय पर उचित मूल्य पर मिले; यह सुनिश्चित करना है। लेकिन कोरोना काल में उसने भी अपनी आंखे बंद कर ली है | रेमदेसीविर (Remdesvir) GILLEAD  कंपनी का रिसर्च प्रोडक्ट है तथा कोविड-19 के इलाज में सबसे महत्वपूर्ण दवा है। कुछ दिनों पूर्व तक इस इंजेक्शन की खूब कालाबाजारी पूरे देश में हुई तत्पश्चात सरकार ने यह नियम आवश्यक कर दिया कि केवल पॉजिटिव मरीज को आधार कार्ड व अन्य डॉक्यूमेंट देने पर ही यह इंजेक्शन मुहैया कराया जाएगा। इस प्रकार कालाबाजारी तो कम हो गई।

CCS ने दो सिंपल दवाइयां विटामिन C  एवं IVERMECTINE गोली की कीमत का भी ब्यौरा भी दिया है। यह दोनों ही दवाई कोविड-19 के बचाव एवं उपचार में इस्तेमाल होती है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इसमें भी 200% से 550% तक एमआरपी में फर्क है। इसे बेहतर समझाने के लिए CCS ने विटामिन सी का टेबल शेयर किया |  Vitamin C की NOVA LIFESCIENCES कंपनी एक गोली को ₹1 में बेच रही है वहीं दूसरी ओर ZUVENTUS कंपनी उसी गोली के  ₹4. 33 पैसे वसूल रही है।

Brand     Conpany    Price, NOVAVIT C – NOVA LIFESCIENCE – 1/TAB, ZU C- ZUVENTUS- 5.33/TAB, LIMCEE- ABBOTT – 1.53/  TAB, CELIN – KOYE PHARMA- 1.53/TAB, REDOXON – PIRAMAL – 1/ TAB, क्या यह एक प्रकार की अराजकता एवं शोषण नहीं है। अंत में हम इवरमेक्टिन Ivermectin की कीमतों पर नजर डालते हैं। जिसकी एक गोली KIWI कंपनी ₹11.75 में बेच रही है वहीं दूसरी ओर  ZUVENTUS  ₹42 75 पैसे चार्ज कर रही है। Brand  Conpany   Price, ZETTA  KIWI  ₹11.75/tab, IVERMACT Mankind ₹38/tab, SCAVISTA ZUVENTUS ₹42.75/tab | 

CCS की रिसर्च टीम को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि एक ही इंजेक्शन की विभिन्न फार्मा कंपनियां 200% तक अधिक दाम ले रही हैं। CCS ने ब्रांड नेम, बेचने वाली कंपनी तथा उसका एमआरपी शेयर किया हैं। ZYDUS कंपनी एक इंजेक्शन ₹2800/- एमआरपी में बेच रही है वही HETERO कंपनी ₹5400 का दाम वसूल रही है। Brand Conpany Price REMDAC- ZYDUS- ₹2800, CIPREMI- CIPLA -₹4000, COVIFOR – HETERO – ₹ 5400, DESREM – MYLAN -₹ 4800, JUBI-R – JUBILANTS – ₹ 4700, आखिर कीमतों में इतना अंतर दिखाई देने के बावजूद ना तो केंद्र सरकार और ना ही राज्यों ने कोई संज्ञान लिया | 

कोरोना संक्रमण आज एक महामारी का रूप ले चूका है। दवाई के अभाव में कई लोगों की जान चली जा रही है। किंतु दवा कंपनियां इस बुरे वक्त पर भी बिजनेस एथिक्स (Business Ethics) का पालन नहीं कर रही है | CCS के संयोजक डॉक्टर कुलदीप सोलंकी ने इस मामले को लेकर कड़ी आपत्ति जाहिर की है | उन्होंने कहा कि इसमें सबसे शर्मनाक भूमिका National Pharmaceutical Pricing Authority एवं मिनिस्ट्री ऑफ केमिकल एंड फर्टिलाइजर की नजर आ रही है | उनके मुताबिक दवा बाजार का हाल देखकर भी वो कोई कार्यवाही नहीं कर रही है। उनके मुताबिक कोरोना काल में केंद्र सरकार की इस मिनिस्ट्री का निष्क्रिय हो जाना दवा बाजार में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहा है |

CCS के संयोजक डॉ. कुलदीप सोलंकी के मुताबिक उनकी रिसर्च टीम ने यहां मात्र 3 दवाइयों के उदाहरण शेयर किये हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा अमूमन हर दवाई में होता है। इस पूरे खेल में केवल और केवल फार्मा कंपनी को फायदा हो रहा है किंतु कोरोना के अन्य मामलों की तरह हमारी सरकारें इस विषय पर भी लंबी चुप्पी साधी हुई है तथा पूर्णतया अकर्मण्यता की स्थिति में है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सिविल सोसाइटी अपने समस्त सदस्यों के माध्यम से पूरे देश की जनता से अपील करती है कि आप मेडिकल स्टोर पर जाकर इस बुलेटिन में दिए हुए चार्ट के अनुसार जो सबसे सस्ती ब्रांड है उसे खरीदें ताकि वाजिब दाम पर काम करने वाली फार्मास्यूटिकल कंपनी को प्रोत्साहन  मिले तथा मुनाफाखोरी करने वाले लोगो को सबक सिखाया जा सके।

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