नई दिल्ली / देश में कोरोना के कहर ने कई घर परिवारों के सामने रोजी-रोटी की समस्या उतपन्न कर दी है | प्राइवेट अस्पतालों के मेडिकल बिलों के भारी भरकम भुगतान के चलते कई मरीज दिवालियां होने की कगार पर भी आ गए है | वे उधार लेकर जैसे-तैसे अपने परिवार की गाड़ी खींच रहे है | दरअसल कई राज्यों में स्थानीय प्रशासन ने प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना के इलाज की फीस निर्धारित कर दी है | बावजूद इसके प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों से कोरोना के इलाज के नाम पर भारी-भरकम भुगतान कराया जा रहा है | जान जोखिम में नजर आने पर मरीज भी अपना घर बार बेचकर इलाज कराना मुनासिब समझ रहे है | इसके चलते प्राइवेट अस्पतालों की चांदी कट रही है | उधर कोरोना से होने वाली मौत और उससे फैली दहशत से आम जनता का बुरा हाल है | उन्हें कोरोना के खौफ से निकालने की जरूरत महसूस की जा रही है | ताकि ऐसे परिवारों की जिंदगी सामान्य हो सके |
बताया जाता है कि कोरोना का संक्रमण सिंतबर माह में चरम पर रहा, लेकिन अब संक्रमण के फैलाव और मरीजों के ठीक होने की गति में कुछ सुधार देखा गया है | हालांकि शहरी इलाको से लेकर ग्रामीण अंचलो तक के अस्पतालो में अभी भी मरीजों का तांता लगा हुआ है | प्राईवेट अस्पतालों की तो इस दौर में लॉटरी निकल चुकी है |
वे कोरोना संक्रमण के खौफ के चलते रोजाना लाखो रुपए लाभ कमा रहे है | कई अस्पतालों ने तो होटलो को किराए पर लेकर कोविड सेंटर के नाम पर नई दुकाने खोल ली है | प्राइवेट अस्पतालों को सरकार द्वारा तय रेट पर मेडिकल बिलो का भुगतान सुनिश्चित करवाने के लिए प्रशासन भी सामने नहीं आ रहा है | यही कारण है कि कोरोना से निपटने के लिए आम जनता का दम निकल रहा है |
उधर वित्तमंत्रालय ने एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत ने कोविड-19 के चरम को सितंबर के महीने में पार कर लिया है। रिपोर्ट में 17 से 30 सितंबर के 14 दिनों के मामलों के डाटा को आधार बनाया गया है। मंत्रालय ने रिपोर्ट में कहा है कि बीमारी अब कम हो गई है और सभी हितधारकों से आग्रह है कि सकारात्मक सुधार के लिए आर्थिक सुधार पर जोर दिया जाए। भारत सरकार की इस ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि इस अवधि के दौरान रोजाना पॉजिटिव मामलों की सात-दिवसीय औसत में लगभग 93,000 से 83,000 तककी गिरावट आई है । जबकि दूसरी ओर सात-दिवसीय औसत दैनिक परीक्षण 1,15,000 से बढ़कर1,24,000 हो गया है |
माह सितंबर के लिए वित्त मंत्रालय की मासिक रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘अखिल भारतीय स्तर पर पॉजिटिव मामलों की गिरावट दर आर्थिक सुधारों के मोर्चे पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। इसके लिए सभी हितधारकों को इस कार्य में शामिल होने की आवश्यकता है क्योंकि पहुंच और गतिशीलता पर शेष प्रतिबंधों को और कम किया जा सके | यही नहीं सामाजिक दूरी से अधिक यह अब उचित सावधानियों के साथ आत्म-सुरक्षा बन गया है जो जान भी और जहान भी के संदर्भ में फिट बैठता है।’
रिपोर्ट में कहा गया है कि सितंबर में आर्थिक आंकड़ों की कमी लगभग सभी क्षेत्रों में एक स्थिर रिकवरी की ओर इशारा करती है। भारत के विभिन्न राज्यों में हर दिन अनलॉक हो रहा है। ऐसे में मांग बढ़ना तय है। सितंबर के लिए वित्त मंत्रालय की मासिक आर्थिक समीक्षा के अनुसार, ‘आर्थिक संकेतक लगभग सभी क्षेत्रों में लगातार सुधार की ओर बढ़ रहे हैं, वहीं कुछ क्षेत्रों पिछले-साल के स्तरों से भी ऊपर पहुंच गए हैं। ऐसा गैर-मेट्रो शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड के बढ़ते मामलों और बढ़ती खाद्य कीमतों के बावजूद हुआ है। भारत में सितंबर में आत्मानिर्भर भारत पैकेज के कार्यान्वयन और अर्थव्यवस्था को अनलॉक करने के सकारात्मक परिणाम दिखाई दिए हैं।’
आर्थिक मामलों के जानकार बताते है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को कोरोना वायरस के कारण लागू किए गए लॉकडाउन की वजह से झटका लगा था। जून की तिमाही में जीडीपी में लगभग 24 प्रतिशत की गिरावट आई थी। हालांकि अनलॉक की प्रक्रिया और आर्थिक गतिविधियों को दोबारा शुरू करने की अनुमति देने से अर्थव्यवस्था में सकारात्मक परिणाम दिखाई दे रहे हैं। फ़िलहाल वित्त विभाग की यह रिपोर्ट राहत देने वाली है , लेकिन कोरोना से लड़ रही एक बड़ी आबादी को राहत तब मिलेगी जब इसके इलाज की दर पर कड़ाई से नियंत्रण लगाया जा सके |