छत्तीसगढ़ में बस्तर की चौतरफा सड़के मौत की राह बन गई है | सिर्फ सुरक्षा बलों के लोग ही नहीं इस इलाके के बच्चे बूढ़े और नौजवान सभी जानते है की उनके आम रास्ते सिर्फ मौत का मुकाम तय करते है | बस्तर की सड़को पर रोजाना कोई ना कोई बेमौत मारा जाता है । कभी लैंड माइन ब्लास्ट से तो कभी प्रेशर बम से । इस इलाके की ज्यादातर सड़के पहले कच्ची थी लेकिन एक दो साल में फर्क सिर्फ इतना हुआ है कि कुछ एक सड़कों को कंक्रीट मे तब्दील कर दिया गया है | इसके बावजूद साल दर साल बारूदी सुरंगों से होने वाले विस्फोट में जान गवाने वालो की संख्या लगातार बढ़ती रही । लेकिन अब और केंद्रीय सुरक्षा बलों के जवानों ने अपनी जान जोखिम में डाल के बारूदी सुरंगों को नष्ट करना शुरू कर दिया है । छत्तीसगढ़ मे केन्द्रीय सुरक्षा बलों के जवान हो या फिर पुलिस के उनके लिए बारूदी सुरंगे एक बड़ी चुनौती बन गई है । नक्सलियो के साथ आमने सामने की लड़ाई हो या फिर जंगल के भीतर सर्चिंग, बारूदी सुरंगे उनके लिए मौत का पैगाम लेकर आ रही है ।
बस्तर मे नक्सालियो ने चप्पे – चप्पे पर लैंड माइन बिछा रखी है
जंगल का शायद ही ऐसा कोई भू भाग हो जहाँ बारूदी सुरंगे या प्रेशर बम ना लगा हो । इनकी चपेट में आने से जान माल का जबरदस्त नुक्सान होता है । पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों के जवान हो या फिर बस्तर के आम बाशिंदे । रोजाना बारूदी सुरंगों के शिकार हो रहे है । गरियाबंद जिले से लेकर कांकेर, जगदलपुर ,सुकमा ,बीजापुर , कोंटा ,कोंडागांव और अंताहगढ तक सड़क मार्ग जानलेवा साबित होता है । इन सड़कों के कई हिस्सों में लैंड माइन बिछी हुई है । चाहे जंगल के भीतर दाखिल होने वाले कच्चे पक्के रास्ते हो या फिर पक्की सड़के । कोई भी राह आसान नहीं है । सड़कों के किनारे की जमीन तक में नक्सलिओ ने कई तरह की IED लगाईं हुई है । खेत खलियानों की राह से लेकर जंगल की ओर जाने वाली पगदंडियां तक खतरे से भरी हुई है । इनमे कई किस्म के प्रेशर बम लगा दिए गए है । इन पर कदम पड़ते ही जबरदस्त विस्फोट होता है और चपेट में आये व्यक्ति के चिथड़े उड़ जाते है | देश मे बारूदी सुरंगों और IED विस्फोट की सर्वाधिक घटनाये छत्तीसगढ़ मे हुई है |
किसी भी वस्तु को हाथ लगाना खतरे से खाली नहीं
बस्तर के जंगलो मे घुमने फिरने से लेकर सड़क किनारे की किसी भी वस्तु को हाथ लगाना खतरे से खाली नहीं है | इन इलाको की कच्ची सड़के नक्सलियो के लिए वरदान साबित हो रही है ; और दूसरी ओर नक्सली पक्की सड़के बनने नहीं दे रहे है | मौका मिलते ही नक्सली सड़क निर्माण में जुटे ट्रक , डोजर ,डम्पर और मशीनों को आग के हवाले कर देते है । मौके पर मौजूद निर्माण कार्य से जुड़े मजदूरों , अफसरों और तकनिकी कर्मचारियों को तक मौत के घाट उतारने से नहीं चूकते । बस्तर की ज्यादातर सड़कों में मौत का तांडव होता है । लिहाजा इस इलाके की कई सड़के मौत की सड़क कही जाती है । कई लोगो के लिए इन सड़कों का सफर जिंदगी का आखरी सफर साबित हुआ है । नजर हटी और दुर्घटना घटी जैसे नज़ारे यहाँ देखने को मिलते है ।
पुलिस और केन्द्रीय सुरक्षा बलों के जवानों ने बस्तर के जंगलो मे बारूदी सुरंगे ढुंढ निकालने के लिए अपनी पूरी ताकत झोक दी है | लेकिन कारगर यंत्रो कि कमी इस काम मे आड़े आ रही है | सुरक्षा बलों को सिर्फ सड़को पर बिछी बारूदी सुरंगों से ही खतरा नहीं है , बल्कि नक्सलियो ने छायादार पेड़ो नीचे और पीने के पानी के हेंड पम्पो तक मे IED लगा रखी है | सिर्फ विस्फोटो तक ही नक्सली सीमित नहीं रहते | वो पुलिस पार्टी को पूरी तरह से नेस्तनाबूद करने के लिए विस्फोट के बाद चौतरफा ओर से फायरिंग करते है ; ताकि सुरक्षा बलों का कोई भी जवान जिन्दा बचके निकल ना पाये | इन इलाको मे जरा सी चूक जानलेवा साबित होती है | मसलन नजर हटी , दुर्घटना घटी | बस्तर के जंगलों में किस्म किस्म के IED और प्रेशर बम लगाए हुए है । तू डाल डाल में पात पात जैसी स्थिति यहाँ पर है । हालांकि सुरक्षा बलों के जवान बखूबी इन बारूदी सुरंगों को खोज निकाल रहे है । बारिश के जोर पकड़ने से पहले पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों के जवानों ने जंगलों को बारूदी सुरंगों और प्रेशर बम से मुक्त कराने का बीड़ा उठाया है । इसके लिए वो दिन रात एक किये हुए है । सुरक्षा बलो का करवा बगैर रुके और बगैर थके कदम से कदम बढ़ाये चले जा रहा है । छत्तीसगढ़ पुलिस का दावा है कि बारूदी सुरंगों के नष्ट होते ही सम्पूर्ण बस्तर में अमन और शांती स्थापित हो जायेगी । सुरक्षा बलों के जवान इन्हे नष्ट कर नक्सलिओ के हौसले पस्त कर रहे है । बारूदी सुरंगे ही एक मात्र वो हथियार है जिसके सहारे नक्सली बस्तर में अपनी जंग जीतना चाहते है । सुरक्षा बलों का दावा है कि अब वो दिन दूर नहीं जब बस्तर से नक्सलवाद का सफाया तय हो जाए ।