नरसिंहपुर / मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में एक दलित ”बलात्कार पीड़िता” की शिकायत दर्ज नहीं करने के आरोप में एक पुलिसकर्मी को गिरफ्तार किया गया है | मुख्यमंत्री के आदेश पर दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों एएसपी और एसडीओपी को जिले से हटा दिया गया है | यह जानकारी एक शीर्ष अधिकारी ने दी है | इस गैंगरेप के मामले में तीन आरोपियों में दो आरोपी युवक भी दलित समुदाय से ही हैं | मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस गंभीर चूक का संज्ञान लेने के बाद स्थानीय पुलिस अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज करने के आदेश दिए थे | इसके साथ ही मुख्यमंत्री के आदेश पर दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को जिले से हटा दिया गया है |
युवती और उसके परिजनों का आरोप था कि उसके ही पड़ोस में रहने वाले तीन लोगों ने पीड़िता का सामूहिक बलात्कार की घटना को अंजाम दिया था | ऐसे में पीड़िता और उसके पति आरोपियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने को लेकर रोज चौकी और थाने के चक्कर लगाते थे, लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया था | पीड़ित के परिजनों का आरोप है कि गोटिटोरिया चौकी और चीचली के थाना प्रभारी ने शिकायत लिखने की बजाए पीड़िता के परिजनों को ही बुरा-भला सुनाया और घंटो थाने में बैठाकर रखा और फरियादी से पैसे भी मांगे तब कहीं जाकर छोड़ा। इस घटनाक्रम से पीड़िता और चिंतित हो उठी और उसने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी।
गैंगरेप का ये मामला जब मध्यप्रदेश सरकार के संज्ञान में आया तो पीड़ित परिवार के आरोपों पर गौर करते हुए दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। राज्य की शिवराज सरकार ने चीचली थाने के एसआई एमएन कुरपे को तत्काल प्रभाव निलंबित कर दिया है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घटना पर संज्ञान लेते हुए एडिशनल एसपी, एसडीओपी को भी हटाने के निर्देश जारी कर दिए हैं। साथ ही पुलिस ने सामूहिक दुष्कर्म के आरोपी अरविंद के पिता मोतीलाल और एक अन्य महिला लीलाबाई को पीड़िता को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में आईपीसी की धारा 306 के तहत गिरफ्तार किया गया, क्योंकि उन्होंने पीड़िता का अपमान किया | वहीं अब इस पूरी घटना को लेकर जांच जारी है।