छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार ने सस्ती दरों पर और आसानी से सोलर बिजली प्रदान करने के लिए एक बड़ी पहल की है । भूपेश सरकार ने बिजली संबंधित समस्या से निजात पाने के लिए मुख्यमंत्री सौर शक्ति योजना (मोर छत मोर बिजली) योजना लागू की गई है । इस योजना से छत्तीसगढ़ में सोलर से बिजली उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा । इस योजना का लाभ सभी वर्ग के हितग्राही ले सकते है । अपने घर के बिजली खपत की छमता अनुसार आपके घर में संयंत्र स्थापित की जाएगी । पहले चरण के लिए राज्य सरकार ने क्रेडा के माध्यम से 300 शासकीय भवनों का चयन किया गया है । जिसमें सोलर के माध्यम से बिजली उप्पादन की जाएगी । भूपेश सरकार ने 2022 तक राज्य में 600 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा है । वहीं इस वित्तीय वर्ष में 50 मेगावाट बिजटी उत्पादन करने पर फोकस कर रही है । इसमें बिजली वितरण कंपनी की भूमिका भी अहम होगी । क्योंकि ग्रिड में जाने वाली बिजली को जिस पार्टी को बेची जाएगी, उससे पैसा वसूल कर वह वेंडर को देगी । इसमें सबसे खास बात यह है कि इसमें पूरा इंवेस्ट वेंडर करेंगे । सिर्फ उन्हें अपना छत मुहैया कराना होगा । मध्यप्रदेश के बाद छत्तीसगढ़ देश का दूसरा राज्य होगा, जहां यह योजना प्रारंभ की जा रही है । हालांकि, अफसरों का दावा है कि कुछ मामलों में छत्तीसगढ़ की मोर छत, मोर बिजली मध्यप्रदेश से ज्यादा कारगर साबित होगी । जानकारों का कहना है छत्तीसगढ़ का कांसेप्ट मध्यप्रदेश से भी बढ़ियां है । वेंडरों की विश्वसनीयता के लिए डिस्कॉम की भी मदद ली जाएगी ।
नई सरकार के गठन होते की क्रेडा के प्रस्ताव के अनुसार छत्तीसगढ राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा सोलर रूफटाॅप रेग्युलेशन में संशोधन कर नेट मीटरिंग रेग्यूलेशन लागू किया गया है । इससे सोलर बिजली उत्पादन से जुडी इकाईयों एवं उपभेक्ताओं में हर्ष का माहौल है । सभी संबंधित पक्षों द्वारा नई सरकार के इस कदम की सराहना की गई है । नवीन (संशोधित) रेग्यूलेशन अनुसार अब 1 किलोवाॅट से 1 मेगावाॅट क्षमता तक के ग्रिड कनेक्टेड सौर संयंत्र स्थापित कर हितग्राही उत्पादित विद्युत का स्वयं उपभोग कर सकेगा तथा ग्रिड में प्रवाहित विद्युत का नेट मीटरिंग के माध्यम से विद्युत देयक में समायोजित होगा । इस प्रणाली से हितग्राही के विद्युत व्यय में बचत होगी एवं उसे सस्ती दर बिजली उपलब्ध हो सकेगी । पूर्व में ग्रिड कनेक्टेड रेग्युलेशन के तहत् 10 किलोवाॅट से अधिक क्षमता के संयंत्र पर ही ऐसे संयोजन हेतु पात्र थे तथा ग्रिड में प्रवाहित विद्युत का समायोजन नियामक आयोग द्वारा निर्धारित लेवलाईज्ड टैरिफ का 50 प्रतिशत की दर से किया जाता था, जिससे हितग्राही को समुचित लाभ प्राप्त नहीं होता था । इसके कारण सोलर के क्षेत्र में आम उपभोक्ता रूचि नहीं दिखाते थे । इसे ध्यान में रखते हुए क्रेडा के द्वारा विस्तृत कार्ययोजना बनाकर तथा आवश्यक संशोधन सुझाते हुए राज्य शासन के समक्ष रखा गया । मुख्यमंत्री एवं ऊर्जा मंत्री भूपेश बघेल द्वारा शीघ्र ही सस्ती दरों पर एवं असानी से सोलर बिजली प्रदान करने के निर्देश दिये गए।
इच्छुक हिग्राही को सोलर रूफटाॅप संयंत्र स्थापना की अनुमति एवं ग्रिड संयोजन हेतु छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी मर्यादित की वेबसाईट/वेब पोर्टल में आवेदन करना होगा । विद्युत मंडल द्वारा 7 दिवस के भीतर तकनीकी मंजूरी प्रदान की जावेगी तथा संयंत्र स्थापना उपरांत सूचना प्राप्त होने पर अधिकतम 15 दिवस के भीतर विद्युत मंडल द्वारा सौर संयंत्र का निरीक्षण कर ग्रिड संयोजन किया जाएगा । नवीन रेग्यूलेशन के अनुसार ग्रिड संयोजन हेतु हितग्राही को अब किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं देना होगा ।इस प्रक्रिया के क्रियान्वयन हेतु छत्तीसगढ राज्य विद्युत वितरण कंपनी मर्यादित द्वारा डिस्ट्रीब्यूटेड सोलर एनर्जी सेल का गठन किया जाएगा, जो कि सभी से आवश्यक समन्वय करेगा। क्रेडा के द्वारा अभी तक लगभग 45 मेगावाॅट कुल क्षमता के रूफटाॅप सोलर पाॅवर प्लांट की स्थापना की जा चुकी है । ज्ञात हो कि क्रेडा के माध्यम से स्थापित विभिन्न प्रकार के अपारंपरिक स्त्रोंतों से 783 मेगावाॅट क्षमता के संयंत्रों से विद्युत का उत्पादन किया जा रहा है ।