मध्यप्रदेश में पत्नी को पीटने वाले स्पेशल डीजी पुरुषोत्तम शर्मा का फ़ौरन छिना पद, लेकिन छत्तीसगढ़ में कुख्यात सरगना एडीजी मुकेश गुप्ता की सुध तक नहीं ले रही सरकार, प्रशासनिक कामकाज और पीड़ितों को न्याय देने के मामले में छत्तीसगढ़ की तुलना में आज भी मध्यप्रदेश अव्वल नंबर पर 

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भोपाल/रायपुर – मध्य प्रदेश के स्पेशल डीजी पुरुषोत्तम लाल शर्मा का पत्नी के साथ वाद – विवाद और पिटाई का वीडियो सामने आने के बाद प्रशासनिक गलियारा गरमाया हुआ है | मामले के संज्ञान में आते ही बगैर लाग लपेट के राज्य सरकार ने पुरुषोत्तम शर्मा को उनके पद से हटा दिया है | पुरुषोत्तम शर्मा को उनके पद से कार्यमुक्त करते गृह मंत्रालय से अटैच किया गया है | डीजी पुरुषोत्तम शर्मा ने कबूला है कि वह वीडियो में हैं और कानूनी कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार हैं. इस मामले में अभी तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है | 

इस कार्रवाई के चंद घंटे पहले ही वायरल हुए एक वीडियों में पुरुषोत्तम शर्मा अपनी पत्नी को पीटते नजर आ रहे थे | बताया जाता है कि यह वीडियो उस वक्त का है जब डीजी की पत्नी ने उन्हें एक लड़की के साथ पकड़ा था | इसके बाद पुरषोत्तम शर्मा अपना आपा खो बैठे थे | हालांकि न्यूज टुडे इस वीडियो की प्राणामिकता की पुष्टि नहीं करता है |

लेकिन यह तथ्य पाठकों के संज्ञान में लाना चाहता है कि इससे गंभीर कई मामलों में 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी मुकेश गुप्ता घिरे हुए है | उनके खिलाफ अदालत तक ने चार सौ बीसी का मामला दर्ज करने के निर्देश दिए है | लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार में तैनात अफसर आधा दर्जन से अधिक आपराधिक मामलों में एडीजी मुकेश गुप्ता के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहे है | 

कुख्यात आरोपी मुकेश गुप्ता के खिलाफ लगभग पौने दो साल से तमाम गंभीर मामलों की फाइल सरकारी आलमारी में धूल खा रही है | यह पाठकों के संज्ञान में लाना जरुरी है कि मध्यप्रदेश से ही विभाजित होकर छत्तीसगढ़ का गठन हुआ है | ऐसे में नौकरशाही और सरकार के कामकाज को लेकर दोनों ही राज्यों में काफी अंतर दिखाई देता है | नौकरशाहों के अवैधानिक मामलों में कार्रवाई को लेकर जहां मध्यप्रदेश आज भी अव्वल है , वही छत्तीसगढ़ में ऐसे गंभीर मामलों को लेकर सरकार का रवैया काफी सुस्त नजर आता है | बता दे कि यही मामले मध्यप्रदेश में तैनात प्रशासनिक अधिकारियों के संज्ञान में आये होते तो आरोपी मुकेश गुप्ता अपने असल ठिकाने में होता | 

FILE IAMGE

 

बताया जाता है कि आरोपी मुकेश गुप्ता के खिलाफ मध्यप्रदेश शासन के पास आज भी कई मामले विचाराधीन है | राज्य बंटवारे के चलते उन मामलों को छत्तीसगढ़ में स्थानांतरित किया गया था | लेकिन तत्कालीन सरकार में मुकेश गुप्ता की ऊँची पैठ और राजनैतिक तिकड़मबाजी के चलते उन समस्त मामलों की फाइल पुलिस मुख्यालय और राज्य के गृह विभाग से गायब करा दी गई | आज तक  उन मामलों को लेकर छत्तीसगढ़ शासन ने मध्यप्रदेश शासन के साथ कोई पत्र व्यव्हार नहीं किया |

दरअसल मध्यप्रदेश से वैधानिक कार्रवाई किये जाने को लेकर मुकेश गुप्ता के खिलाफ तमाम दस्तावेज छत्तीसगढ़ शासन को भेजे गए थे | इसमें मध्यप्रदेश हाईकोर्ट से जारी वो डिस्प्लेजर लेटर भी था , जिसमे हाईकोर्ट ने मुकेश गुप्ता की कार्यप्रणाली को लेकर अप्रसन्ता जाहिर की थी | इसी तरह कई मामले आज भी लंबित है | मध्यप्रदेश के अलावा छत्तीसगढ़ में पदस्थापना के दौरान भी मुकेश गुप्ता की आपराधिक गतिविधियां खत्म नहीं हुई | उसके खिलाफ आधा दर्जन से अधिक प्रकरण राज्य सरकार के संज्ञान में है | लेकिन इन मामलों को लेकर सरकार का ढुलमुल रवैया प्रशासनिक और राजनैतिक गलियारे में चर्चा का विषय बना हुआ है |  

मध्यप्रदेश में लंबित लगभग आधा दर्जन मामलों के अलावा छत्तीसगढ़ में आरोपी मुकेश गुप्ता के खिलाफ कई मामले FIR की राह तक रहे है | इसमें बिलासपुर की जिला अदालत के निर्देश पर 420 सी और अन्य आपराधिक षडयंत्र के तहत मामला दर्ज करने में पुलिस के हाथ पांव फूल रहे है | बिलासपुर की जिला अदालत का FIR दर्ज करने का निर्देश 8 माह बाद भी अब तक अमल में नहीं लाया गया है | इस मामले में मुकेश गुप्ता समेत आधा दर्जन पुलिस अफसरों के खिलाफ दर्ज FIR को फाड़ने और पीड़ितों से डरा धमका कर रकम एठने के आरोप थे | जबकि दूसरे मामले में डॉक्टर मिक्की मेहता की संदेहजनक मौत की जाँच के बाद FIR दर्ज करने की सिफारिश भी अब तक लंबित है |

इस मामले की जाँच तत्कालीन डीजी गिरधारी नायक ने पूरी कर अरसे पहले राज्य सरकार को सौंप दी है | राज्य की पुलिस में तैनात कुछ अफसर डॉ. मिक्की मेहता की इंसाफ की लड़ाई में रोड़ा अटका रहे है | मुकेश गुप्ता के खिलाफ 498 के तहत मामला दर्ज करने के लिए पुलिस आनाकानी कर रही है | यही नहीं मिक्की मेहता मामले को लेकर दुर्ग में दर्ज तत्कालीन FIR और केस डायरी गायब कर दी गई है | तीसरा मामला मुकेश गुप्ता के मिक्की मेहता मेमोरियल ट्रस्ट से जुड़ा है | इस ट्रस्ट पर सरकारी धन के दुरूपयोग और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर आरोप है |

एमजीएम ट्रस्ट की ईमारत खड़ी करने को लेकर कोई भी वैधानिक अनुमति नगर निगम या राज्य शासन की ओर से नहीं ली गई है | इस प्रकरण के तमाम महत्वपूर्ण दस्तावेज नगर निगम और नगर निवेश विभाग से गायब है | इस मामले में आरोपी मुकेश गुप्ता के खिलाफ नगर निगम रायपुर की ओर से FIR दर्ज की जानी है | जबकि चौथे मामले में कार्यालय कलेक्टर रायपुर की ओर से FIR दर्ज की जानी है | यह मामला समय – समय पर एमजीएम ट्रस्ट की आर्थिक गतिविधियों का ब्यौरा कलेक्टर कार्यालय में नहीं सौंपे जाने से जुड़ा है | इस मामले में ट्रस्ट ने रजिस्ट्रार फर्म्स एंड सोसाइटी के कई प्रावधानों का खुला उल्लंघन किया है | 

उधर आरोपी मुकेश गुप्ता निलंबित होने के बाद लगभग 20 माह से PHQ से नदारद है | उसके खिलाफ गठित की गई विभागीय जाँच भी अभी तक लंबित है | यही नहीं एक ओर जहाँ एसीबी के निलंबित तत्कालीन एसपी रजनेश सिंह नियमानुसार अपने कर्तव्य स्थल में उपस्थित होकर विधिवत वेतन पा रहे है, वहीँ मुकेश गुप्ता गैर जिम्मेदारी पूर्वक गायब रहकर पूरा वेतन प्राप्त कर रहा है | यही नहीं इस आरोपी से राजनांदगांव के मदनवाड़ा में हुए पुलिस – नक्सली मुठभेड़ को लेकर भी पूछताछ की जानी है |

वर्ष 2009 में हुए इस जघन्य हत्याकांड में 29 पुलिसकर्मियों समेत जिले के एसपी विनोद चौबे की मौत हुई थी | इतनी बड़ी वारदात के बावजूद कुख्यात आरोपी मुकेश गुप्ता को तत्कालीन सरकार ने गेलेंट्री अवॉर्ड दिया था | मुकेश गुप्ता की राजदार और खासम-खास रेखा नायर की आय से अधिक संपत्ति और बेनामी संपत्ति को लेकर वैधानिक कार्रवाई ठप पड़ी है | इन प्रकरणों को देखकर लगने लगा है कि राज्य में आपराधिक छवि के पुलिस अफसरों के सिर पर “सरकार” का हाथ ही शासन की छवि धूमिल कर रहा है |