पटना / बिहार के पुलिस महानिदेशक के पद से त्यागपत्र दे चुके है। गुप्तेश्वर पांडे ने बताया कि उनके त्यागपत्र की वजह अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत का केस नहीं है। गुप्तेश्वर पांडे ने बताया कि बहुत सारे लोग उनके VRS को सुशांत केस से जोड़कर देख रहे हैं, लेकिन VRS का सुशांत सिंह राजपूत के केस से कोई लेना देना नहीं है। गुप्तेश्वर पांडे ने पटना में एक प्रेस वार्ता में यह बयान दिया था। गुप्तेश्वर पांडे ने VRS के लिए आवेदन दिया था | मंगलवार रात को राज्यपाल ने उनका आवेदन स्वीकार कर लिया था। गुप्तेश्वर पांडे की जगह संजीव कुमार सिंघल को DGP का अतीरिक्त कार्यभार सौंपा गया है |
इस सिलसिले में राज्य सरकार की तरफ से मंगलवार शाम को ही अधिसूचना जारी कर दी गई है।पटना में प्रेस वार्ता के दौरान सुशांत मामले पर महाराष्ट्र और बिहार पुलिस में हुए टकराव को लेकर उन्होंने कहा कि बिहार के पुलिस अधिकारियों का अपमान किया गया और उन्हें क्वॉरंटीन किया गया जिसे देखते हुए और बिहार की अस्मिता तथा सुशांत को न्याय दिलाने के लिए उन्होंने आवाज उठाई थी। बताया जाता है कि 1987 बैच के आईपीएस ऑफिसर गुप्तेश्वर पांडेय को जनवरी 2019 में बिहार का डीजीपी बनाया गया था। बतौर डीजीपी उनका कार्यकाल 28 फरवरी 2021 तक था।
हालांकि, उन्होंने मंगलवार को कार्यकाल पूरा होने से पहले रिटायरमेंट का फैसला लिया है। जिसे प्रदेश सरकार ने मंजूर कर लिया है। उनके VRS के बाद चर्चा इस बात की भी है कि गुप्तेश्वर पांडेय विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। माना जा रहा कि वो एनडीए की ओर से उम्मीदवार हो सकते हैं। आईपीएस अधिकारी के तौर पर गुप्तेश्वर पांडेय ने करीब 33 साल की सर्विस पूरी कर चुके हैं। उन्होंने बिहार के कई जिलों में एसपी के तौर पर जिम्मेदारी संभाली। डीआईजी, आईजी और एडीजी के पद पर रहते हुए उन्होंने अपराध पर लगाम को लेकर कई बड़े कदम उठाए। डीजीपी का पदभार संभालने के बाद गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा था कि क्राइम कंट्रोल ही उनकी प्राथमिकता रहेगी।
उनके अचानक रिटायरमेंट के बाद सिविल डिफेंस एंड फायर सर्विसेज के डीजी संजीव कुमार सिंघल को अगले आदेश तक डीजीपी बिहार का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। गुप्तेश्वर पांडे का जन्म 1961 में बक्सर जिले के गेरुआबंध गांव में हुआ था। उनका गांव बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं से दूर था। इंटरमीडिएट के बाद, उन्होंने पटना विश्वविद्यालय में अध्ययन किया। यहां से यूपीएससी के लिए गए और 1987 में IPS अधिकारी बने, उन्हें बिहार कैडर आवंटित किया गया। डीजीपी के तौर पर अभी उनका 5 महीने का कार्यकाल बचा हुआ था।