डॉक्टर्स, कोरोना वारियर्स और स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला करने वालों की अब खैर नहीं, संसद ने पास किया कड़ा कानून, दोषी पाए जाने पर 5 साल तक की सजा, भारी जुर्माना भी, एक साल के भीतर होगा मामले का निपटारा, छत्तीसगढ़ सिविल सोसाइटी ने किया स्वागत, पढ़े इस खबर को

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नई दिल्ली / देश में डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ पर हमले की घटनाओं को केंद्र सरकार ने काफी गंभीरता से लिया है | अब इन पर हमला करने वालों की खैर नहीं | जल्द ही यह कानून लागू होगा | इसमें सजा और जुर्माने के कड़े प्रावधान किये गए है। इसके पहले मेडिकल स्टाफ पर हमला करने वालों के साथ सामान्य क़ानूनी प्रावधानों के तहत ही निपटा जाता था। लेकिन अब कड़ा कानून आ जाने से डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में सरकार को कामयाबी हासिल हुई है | राज्यसभा ने शनिवार को स्वास्थ्यकर्मियों के हित में कानून पारित कर दिया है। इसके तहत कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में जुटे या अन्य किसी महामारी जैसी स्थिति के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों पर हमला करने वालों को पांच साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है।

विधेयक में कहा गया है कि 30 दिनों की अवधि के भीतर निरीक्षक रैंक के एक अधिकारी द्वारा ऐसे अपराधों की जांच की जाएगी और मुकदमा चलाकर एक वर्ष में मामले का निपटारा करना होगा। इसके प्रावधानों के अनुसार हिंसा करने वालों को तीन महीने से लेकर पांच साल तक की कैद और 50,000 रुपये से दो लाख रुपये तक के जुर्माने की सजा दी जाएगी। दंडात्मक प्रावधानों को एक नैदानिक प्रतिष्ठान सहित संपत्ति को नुकसान के मामलों में लगाया जा सकता है। ये विधेयक यह सुनिश्चित करता है कि मौजूदा महामारी जैसी किसी भी स्थिति के दौरान स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ हिंसा या संपत्ति नुकसान के प्रति किसी भी रूप में शून्य सहिष्णुता बरती जाएगी।

स्वास्थ्यकर्मियों में सार्वजनिक और नैदानिक स्वास्थ्य सेवा प्रदाता जैसे डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल कार्यकर्ता और सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता शामिल हैं। इसके अलावा कोई भी अन्य व्यक्ति जिसे अधिनियम के तहत बीमारी के प्रकोप या उसके प्रसार को रोकने के उपाय करने के लिए सशक्त बनाया गया है या राज्य सरकार की ओर से अधिकृत किए गए अधिकारी व्यक्ति के खिलाफ हिंसा की स्थिति में भी शून्य सहिष्णुता बरती जाएगी।  

दरअसल अप्रैल में सरकार की ओर से जारी किए गए अध्यादेश को कानून में बदलने के लिए शनिवार को उच्च सदन में स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने महामारी रोग (संशोधन) विधेयक, 2020 पेश किया था। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने महामारी रोग अधिनियम, 1897 में संशोधन की मंजूरी पहले ही दे दी थी। ऐसे में महामारी रोग (संशोधन) अध्यादेश 2020 लाया गया, ताकि स्वास्थ्य कर्मियों के काम करने और रहने के साथ ही संपत्ति को महामारी के दौरान हिंसा से बचाया जा सके।

डॉक्टर कुलदीप सोलंकी

इस बिल के पास होने पर छत्तीसगढ़ सिविल सोसाइटी ने ख़ुशी जाहिर की है | डॉक्टर कुलदीप सोलंकी ने न्यूज़ टुडे से चर्चा करते हुए कहा कि देश भर के डॉक्टर कई सालों से इस बिल का इंतज़ार कर रहे थे | उन्होंने कहा कि इस कानून के बन जाने से मेडिकल कर्मियों और डॉक्टरों पर होने वाले हमलों मे कमी आएगी।  सोलंकी ने सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा कि जल्द ही इस कानून को लागू किया जाना चाहिए।