मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों के शव बदलने के बाद एक और लापरवाही उजागर , मुर्दाघर में गत्ते के बॉक्स में छह दिन बंद रहा पांच माह के लावारिस बच्चे का शव , फ्रीजर से निकालकर आनन-फानन में अंतिम संस्कार , ऐसी लापरवाही कब तक ?

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इंदौर / मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण की रफ़्तार में संतोषजनक रोक अब तक नहीं लग पाई है | बड़े शहरों के बाद अब कोरोना ने छोटे शहरों और गांव कस्बो का रुख कर लिया है | शहरी इलाका हो या ग्रामीण हर एक जगह से कोरोना संक्रमित सामने आ रहे है | अस्पतालों में दबाव इतना है कि मृतकों के शव बदलने की घटनाएं आम होती जा रही है | इंदौर में एक वयस्क व्यक्ति की लावारिस लाश के यहां एक सरकारी अस्पताल में सड़कर कंकाल में बदल जाने पर मचा बवाल अभी शांत भी नहीं हुआ था कि इसी चिकित्सा संस्थान के मुर्दाघर में पांच महीने के बालक के शव को कथित तौर पर छह दिन तक गत्ते के बक्से में बंद कर रखे जाने का मामला सामने आया है। इस बच्चे को उसकी अज्ञात मां ने जन्म के तत्काल बाद लावारिस छोड़ दिया था। इस बच्चे की लाश फ्रीजर में डालकर पैरामेडिकल स्टाफ भूल गया | एक शख्स ने इस घोर लापरवाही का वीडियों बनाकर वायरल कर दिया | ताकि सरकार और स्थानीय प्रशासन की आंखे खोली जा सके  | 

मामला इंदौर के शासकीय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय के मुर्दाघर का है | इन दिनों इस अस्पताल की घोर लापरवाही से प्रशासन और सरकार दोनों शर्मसार हो रहे हहि | यहां फ्रीजर में गत्ते के बक्से में बच्चे का शव रखे जाने की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद मेडिकल स्टाफ की लापरवाही उजागर हुई है | मामले के सुर्ख़ियों में आने के बाद इस बच्चे के शव का आनन-फानन में पोस्टमॉर्टम कर अंतिम संस्कार किया गया। 

मामले में सफाई देते हुए अस्पताल के प्रभारी अधीक्षक एके पंचोनिया ने कहा कि  ‘बच्चे के शव का पोस्टमॉर्टम हो गया है। हमने पोस्टमॉर्टम में देरी को लेकर अस्पताल के शिशु रोग विभाग के प्रमुख समेत तीन कर्मचारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।’ 

उधर इंदौर के संयोगितागंज पुलिस थाने के प्रभारी राजीव त्रिपाठी ने न्यूज़ टुडे को बताया कि लावारिस बच्चे की अस्पताल में इलाज के दौरान 11 सितंबर को मौत हो गई थी। उन्होंने बताया कि अस्पताल प्रबंधन ने परिसर में बनी पुलिस चौकी को बृहस्पतिवार (17 सितंबर) की शाम सूचना दी कि बच्चे की मौत हो गई है। थाना प्रभारी ने बताया कि इंदौर नगर निगम के कर्मचारियों की मदद से बच्चे का अंतिम संस्कार किया गया | 

जानकारी के मुताबिक यह बच्चा इंदौर से करीब 200 किलोमीटर दूर अलीराजपुर कस्बे में 17 अप्रैल को लकड़ी के ढेर के पास कपड़े में लिपटा लावारिस हालत में मिला था। अलीराजपुर के पुलिस अधीक्षक विपुल श्रीवास्तव ने कहा कि, ‘जब हमें यह बच्चा मिला, तब उसकी उम्र केवल एक दिन थी और उसकी नाभि से गर्भनाल तक अलग नहीं की गई थी।’ बच्चे की हालत ठीक नहीं होने पर उसे अलीराजपुर के जिला अस्पताल से यशवंतराव चिकित्सालय भेज दिया गया था। उधर अस्पताल भेजे जाने के बाद अलीराजपुर पुलिस ने इस बच्चे की सुध तक नहीं ली | नतीजतन मेडिकल स्टाफ ने बच्चे की लाश फ्रीजर में रखकर अपनी औपचरिकता निभा दी | 

गौरतलब है कि इससे पहले इसी अस्पताल में  कर्मचारियों की कथित लापरवाही के चलते एक अज्ञात वयस्क का लावारिस शव अस्पताल के मुर्दाघर के स्ट्रेचर पर पड़े-पडे़ सड़ गया था | जब तक लोगों की निगाह उस पर पड़ी तब तक यह शव कंकाल में बदल गया था। कई लोगों ने इस कंकाल का वीडियों और तस्वीरें बनाकर सोशल मीडिया में वायरल की | तब जाकर अस्पताल प्रशासन की आंखे खुली | इस दौरान भी मामले की जांच के लिए प्रशासन ने तीन सदस्यीय समिति गठित की । इस समिति का गठन भी खानापूर्ति बताया जा रहा है | उधर अस्पताल के मुर्दाघर में शवों को अपमानजनक तरीके से रखे जाने को लेकर सरकार के खिलाफ जनता आक्रोशित हो रही है |