देश में पुलिस आधुनिकीकरण की प्रक्रिया अब भी कमजोर, 539 थानों में नहीं हैं टेलीफोन, तो 200 पुलिस स्टेशन चल रहे हैं बिना वायरलेस सिस्टम के, MHA की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में, राज्यों के ग्रह मंत्रालय भी विकास के मामलों में फिसड्डी

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नई दिल्ली / केंद्रीय गृह मंत्रालय पुलिस के आधुनिकीकरण पर जोर दे रहा है | MHA सालाना करोड़ों रुपये राज्यों की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए खर्च कर रहा है | लेकिन जो आंकड़े और स्थिति सामने आई है, उससे साफ है कि उसकी कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है | यही हाल राज्यों के गृह मंत्रालयों का भी है | वो विकास के मामलों और पुलिस आधुनिकीकरण की योजनाओं में फिसड्डी साबित हुए है | जानकारी के अनुसार देश में कुल थानों की संख्या 16587 है, इसमें असम में कुल थाने 343 हैं, जबकि इनमें 140 थानों में टेलीफोन ही नहीं है। पंजाब में 422 थाने हैं, लेकिन यहां भी 67 थाने बिना टेलीफ़ोन के चल रहे हैं |

देश में पुलिस के आधुनिकीकरण ने कितना जोर पकड़ा है, इसका हाल संसद में एक जवाब के दौरान देखने को मिला है। हालाँकि देश के तकरीबन हर राज्य का मुख्यमंत्री अपनी पुलिस को सर्वश्रेष्ठ बताने का प्रयास करता है, इस सच्चाई से भी सदन में पर्दा उठ गया है। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी के अनुसार, देश के 539 थानों में टेलीफोन ही नहीं है। जबकि 200 पुलिस स्टेशन ऐसे हैं, जहां पर वायरलेस सिस्टम अभी तक नहीं लग सका है।

सदन में एक सवाल के जवाब में गृह राज्य मंत्री ने बताया कि देश में कुल थानों की संख्या 16587 है , इसमें असम में कुल थाने 343 हैं, जबकि इनमें 140 थानों में टेलीफोन ही नहीं है। पंजाब में 422 थाने हैं, लेकिन यहां भी 67 थाने बिना दूरभाष के चल रहे हैं। बुधवार को भाजपा के राज्यसभा सदस्य राकेश सिन्हा के पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी.किशन रेड्डी ने बताया, मध्यप्रदेश में 59 पुलिस स्टेशन ऐसे हैं, जहां वायरलेस सिस्टम नहीं लगा है।

तमिलनाडु में 55 थाने हैं, जिनमें वायरलेस नहीं है। मणिपुर के 25 थाने बिना मोबाइल/वायरलेस के चल रहे हैं। इस राज्य के कुल 79 पुलिस थानों में से 59 थानों में टेलीफोन नहीं है। मेघालय के 73 थानों में से 57 थाने बिना टेलीफोन के चल रहे हैं, जबकि 15 थाने ऐसे हैं, जिनमें वायरलेस नहीं है। मिजोरम में भी 38 थानों में से 26 बिना टेलीफोन के काम कर रहे हैं। बता दें कि पुलिस स्टेशनों की स्थिति को लेकर जो डाटा जारी किया गया है, वह एक जनवरी 2019 के मुताबिक है।

गृह राज्य मंत्री के मुताबिक, पूर्व में 400 पुलिस स्टेशनों के निर्माण के लिए वामपंथी उग्रवाद प्रभावित 10 राज्यों में किलेबंद पुलिस स्टेशन बनाने की एक अलग योजना तैयार की गई है। वर्तमान में सात राज्यों आंध्रप्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र, ओडिशा और तेलंगाना के जिलों के उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में 250 किलेबंद थाने बनाने के लिए विशेष अवसंरचना के तहत काम हो रहा है।

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ये ऐसे थाने हैं, जहां नक्सली हमला बोल कर हथियार और गोला बारूद लूट लेते हैं। इनसे बचने के लिए पुलिस थानों को किले का आकार दिया जा रहा है। राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने यह सवाल भी पूछा था कि थानों में तैनात कर्मियों के लिए कंप्यूटर चलाने की कुशलता जांचने के लिए कोई परीक्षा आदि आयोजित की जाती है। इसके जवाब में गृह राज्यमंत्री ने कहा, यह जिम्मेदारी संबंधित राज्यों की है।