इधर छत्तसीगढ़ के बस्तर में आईजी ने नक्सलियों के जल्द सफाया का बयान जारी किया, उधर संभागीय मुख्यालय जगदलपुर के पड़ोसी राज्य ओड़िसा में सुरक्षा बलों को मिली पांच नक्सलियों को मार गिराने में कामयाबी, एसएलआर रायफल सहित शव बरामद

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रिपोर्टर- रफीक खांन

जगदलपुर /राज्य में फैले माओवाद संगठन का जल्द सफाया होने की बात कहते बस्तर आईजी सुंदरराज पी. ने माओवाद संगठन से पांच सवाल किए है । वहीं दुसरे संभागीय मुख्यालय जगदलपुर के पड़ोसी राज्य ओड़िसा के कालाहांडी कंधमाल सीमा में चले एक बड़े ऑपरेशन में पांच नक्सलियों को मार गिराने में कामयाबी सुरक्षा बलों को मिली है । जिसमें बड़े हथियारों के तौर पर एसएलआर रायफल सहित अन्य रायफल व नक्सलियों के शव बरामद किए गये हैं ।

मुठभेड़ में ओडिशा पुलिस के विशेष अभियान समूह (एसओजी) के दो कर्मी, मयूरभंज के 28 साल के सुधीर कुमार तुडु और अंगुल जिले के 27 साल के देबाशीश सेथी शहीद हो गए | इनमें से एक पहले घायल हो गए थे और बाद में अस्पताल में उनकी मौत हो गई | वहीं, दूसरे कर्मी का शव क्षेत्र में तलाश अभियान के दौरान मिला |

ज्ञात हो कि लम्बे समय से ओड़िसा में बड़े कैडर के माओवादियों को मार गिराने में सफलता समय समय पर मिलती आ रही है । ऐसा ही एक और मुठभेड़ सुरक्षा बलों के साथ बितें बुधवार को हुई | जिसमें चार  महिला नक्सली सहित एक  पुरूष नक्सलियों को मार गिराने ऑपरेशन सफल हूई हैं ।

इधर आईजी बस्तर ने माओवाद संगठन के नेताओं से पांच सवालों का जवाब देने की बात कहीं है । सीपीआई माओवादी के महासचिव बसवराजू एवं सेन्ट्रल कमेटी से सवाल किया है कि । छत्तीसगढ़ राज्य गठन के पश्चात् अब तक महिला एवं नाबालिक सहित 1769 निर्दोष ग्रामीणों का माओवादियों द्वारा हत्या की गई । माओवादी आंदोलन अब नेतृत्वविहीन एवं दिशाविहीन होने की बात कहते आईजी सुंदरराज पी. ने कहा कि । शीर्ष माओवादी नेताओं को खुश रखने एवं टारगेट पूर्ति करने के लिए नीचले स्तर के नक्सलियों द्वारा हिंसात्मक घटना को अंजाम दिया जा रहा है ।

बस्तर आईजी ने वर्ष 1967 में गरीब किसान एवं मजदूरों के हित की लड़ाई लड़ने के नाम पर पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी गांव से जन्म लिए माओवादी आंदोलन इन 53 सालों में दिशाविहीन व नेतृत्वविहीन होकर मात्र एक संगठित लूटेरे गिरोह में तब्दील हो गई है। विगत 20 वर्षों में आदिवासियों को पुलिस की मुखबिरी के शक में हत्या करने तथा इनमें कई नाबालिक बच्चे, गर्भवती महिलाएं, बुजूर्ग व्यक्ति एवं दिव्यांग ग्रामीण लोग शामिल होने की जानकारी देते हूए । माओवादी अपने सिद्धांत को आदिवासियों के हित की लड़ाई बोलकर निर्दोष आदिवासियों को हत्या करने को लेकर इन पांच सवालों का जवाब देने की बात कही है ।

1.क्या माओवादियो के महासचिव एवं सेन्ट्रल कमेटी के निर्देश पर ही सैकड़ो बेगुनाह आदिवासियों की हत्या की गई?

2.यदि उनकी निर्देश पर ही कर रहे तो किसी भी व्यक्ति का जान लेने का उन्हें कहां से अधिकार प्राप्त हुआ?

3.माओवादी द्वारा हत्या की गई 1769 निर्दोष ग्रामीणों के कारण माओवादियों संगठन को क्या-क्या क्षति हुआ इसका व्यौरा दे सकता है क्या?

4.क्या वर्तमान में जनता द्वारा माओवादी अत्याचार के विरूद्ध में उठाई जा रहे आवाज को कुचलने के लिए उनकी हत्या की जा रही है?

5.माओवादी संगठन की असली चेहरा को पहचानने के बाद संगठन छोड़कर बड़ी संख्या में हो रही आत्मसमर्पण के बौखलाहट ही हिंसात्मक घटनाओं का कारण तो नही है।

पुलिस महानिरीक्षक, बस्तर रेंज सुंदरराज पी. ने कहा कि माओवादी आंदोलन ऐसा पड़ाव में पहुंच गया है जहां से उनकी खात्मा अतिशीघ्र होगा ।