रिपोर्टर -उपेंद्र डनसेना
रायगढ़ । पूरे विश्व में कोरोना का संक्रमण लगातार जारी है और भारत में इसको लेकर अभी भी आंकड़ो के चलते यह महामारी पूरे विश्व में सबसे ज्यादा दिखाई दे रही है। लेकिन सबसे दुखद पहलू यह भी है कि इस महामारी के दौरान होनें वाली मौतों पर वो परिवार खासा परेशान रहता है, जिनकी रिपोर्ट कभी पॉजिटिव तो कभी निगेटिव आने के नाम पर न तो प्रशासन का सहयोग मिल पाता है और न ही पुलिस का। ऐसे में शव के दाह संस्कार के मामले में परिजनों को दर- दर भटकना पड़ता है और उनकी व्यथा को कोई नही सुनता। ऐसा ही एक नजारा कल रायगढ़ जिले की खरसिया विधानसभा में देखने को मिला जब एक वृद्ध की मौत निजी चिकित्सालय में होनें के बाद उसके दास संस्कार के लिए परिजन खरसिया के एक नही, दो नही, बल्कि चार-चार जगह जाने के बाद भी पुलिस व प्रशासन का सहयोग नही मिलने से जैसे-तैसे दूसरी जगह दास संस्कार किया और इस पूरे विवाद में 9 घंटे लग गए। इस तरह वृद्ध की लाश मानवता को शर्मसार करते हुए एक मजाक बन कर रह गई।
इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार नगर के प्रतिष्ठित फर्म आस्था इलेक्ट्रिकल्स के संचालक श्याम सुन्दर अग्रवाल जो विगत कई माह से अस्वस्थ थे तथा रायगढ़ के एक निजी अस्पताल में उनका ईलाज चल रहा था, 6 सितंबर की दोपहर अस्पताल में ही इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। मृत्यु के बाद अस्पताल प्रबंधन के द्वारा उनका कोरोना जांच कराया गया जिसमें उन्हे कोरोना निगेटिव पाया गया, बाद में अचानक उनकी रिपोर्ट में पाजिटिव बताते हुये वृद्व के शव को दाह संसकार हेतू उनके परिजनों को सौंप दिया गया, परिजनों के द्वारा स्थानीय प्रशासन को इसकी सूचना देकर दाह संसकार की अनुमति चाही गई, किंतु स्थानीय प्रशासन के नकारात्मक रवैये की वजह से वृद्व के परिजन शव को लेकर यहां से वहां घंटो भटकते रहे।
परिवार वालों की मानें तो इस पूरे घटनाक्रम में खरसिया एसड़ीएम गिरीश रामटेके की वजह से नगर का वातावरण द्विपक्षीय होने की कगार पर आ गया और नगर के वरिष्ठ और बुद्विजीवी की समझादारी से नगर में एक बड़ा विवाद होते होते टल गया। देर रात 12 बजे जिला कलेक्टर से चर्चा होने पर उनके द्वारा एसड़ीएम को मौके पर भेजा गया। उसके बाद नागरिकों और परिजनों के साथ वार्तालाप कर खरसिया एसड़ीएम द्वारा देर रात 1 बजे वृद्व के शव को ग्राम बाम्हनपाली के पास अमानवीय तरीके से पेट्रोल ड़ालकर दाह संस्कार करा दिया गया। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि हिंदू रितरिवाजों के मुतबिक शाम 5 बजे के पश्चात किसी भी शव का अंतिम संस्कार नही किया जाता परंतु एसड़ीएम के द्वारा गैर जिम्मेदाराना तरीके सेे मृतक के शव को पेट्रोल ड़ालकर देर रात 1 बजे नगर से दूर ले जाकर उसका अंतिम संस्कार करा दिया गया।
एसडीएम के रवैये से परिवार व समाजसेवी होते रहे परेशान
इस पूरे घटनाक्रम का सबसे दुखद पहलू यह था कि दोपहर को शव को नगर में लाने के बाद उसके अंतिम संस्कार के लिये प्रशासनिक अधिकारीयों को सूचना देने के बाद पुलिस की मौजूदगी में जब मृतक के परिजनों के द्वारा स्थानीय ठाकुरदिया के मुक्तिधाम में उसका अंतिम संस्कार करने का प्रयास किया गया तो स्थानीय लोागें ने उसका विरोध कर वहां अंतिम संस्कार नहीं करने दिया, उसके बाद मौहापाली रोड़ स्थित मुक्तिधाम में भी स्थानीय लोगों के द्वारा विरोध किया गया, इस दौरान खरसिया एसड़ीएम के द्वारा शव के अंतिम संस्कार के लिये कोई प्रयास नही किया गया जबकि उन्ही के आदेश पर पूर्व में भी कोरोना पाजिटीव मृतकों का अंतिम संस्कार ठाकुरदिया स्थित मुक्तिधाम में किया गया था। इस प्रकार एसडीएम की लापरवाही से दोपहर से रात हो गयी लेकिन परिजनों को शव के अंतिम संस्कार के लिये जगह मुहैया नही हो पायी, व्यथित परिजनों के द्वारा उसके बाद नगर के टाउन हाल में अंतिम संस्कार करने का निश्चय करते हुये शव को मैदान में लाया गया, इस दौरान वहां मौजूद पत्रकारों द्वारा एसड़ीएक के द्वारा फोन तक न उठाने पर जिला कलेक्टर भीम सिंह को घटना के संबंध में जानकारी दी गयी जिसके बाद देर रात 12 बजे के बाद एसड़ीएक टाउन हाल मैदान पहुंचे और परिजनों तथा वहां मौजूद नगरवासियों को समझाकर नगर से दूर ग्राम बाम्हनपाली के एक छ़ोर में रात 1 बजे वृद्व को शव को पेट्रोल की मदद से अंतिम संस्कार कर दिया गया। शासन के इस अमानवीय कृत्य की नगर भर में भत्र्सना की जा रही है और खरसिया एसड़ीएम के विरूद्व नगरवासियों का जन आक्रोष भडक़ता जा रहा है। नगरवासियों का कहना है कि अगर दोपहर या शाम को ही एसड़ीएम ठाकुरदिया पहुंच जाते तो वहीं वृद्व का अंतिम संस्कार सम्मानजनक तरीके से किया जा सकता था, किंतु एसड़ीएम ने न तो कोई प्रयास ही किया बल्कि परिजनो के द्वारा कई बार संपर्क करने का प्रयास करने पर उनका फोन तक उठाना उचित नही समझा। खरसिया एसड़एम के इस अमानवीय कृत्य की नगर भर में निंदा की जा रही है, और नगरवासी इस संबंध में जिला कलेक्टर से मिलने का मन बना रहे है।
देर रात तक शव लेकर भटकते रहे परिजन
धर्म नगरी और उच्च शिक्षा मंत्री उमेश नंद कुमार पटेल के विधानसभा क्षेत्र में मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटना घटी और मृतक के परिजन शव को लेकर भटकते रहे किंतु उन्हे अंतिम संस्कार करने तक की जगह नही मिली, रात 11 बजे के बाद हताश होकर परिजनो ंने टाउन हाल मैदान में अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया जहां से फिर शव को देर रात 12 बजे के बाद ब्राम्हनपाली के पास ले जाया गया जहां रात्रि 1 बजे के लगभग उसका दाह संस्कार किया गया।
बाम्हनपाली के लोगों ने किया चक्काजाम
खरसिया एसड़ीएम के द्वारा कोरोना पाजिटीव लोंगों के अंतिम संस्कार के लिये ठाकुरदिया स्थित मुक्तिधाम को अधिकृत किया गया था और पूर्व में कुछ़ लोागें का अंतिम संस्कार वहां किया भी गया था किंतु कल जब पुलिस की टीम मुतक के परिजनों के साथ वहां अंतिम संस्कार के लिये पहुंची तो स्थानीय लोगों ने उसका विरोध किया किंतु एसड़ीएम ने वहां जाकर स्थिति को नियंत्रित करने का कोई प्रयास नही किया जिसके बाद मौहापाली रोड़ स्थित मुक्तिधाम में भी प्रशासन और परिजनों को स्थानीय लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा, एसड़ीएम के द्वारा बिना चर्चा किये देर रात ग्राम बाम्हनपाली में शव का अंतिम संस्कार कराया गया जब ग्रामीणों को पता चला तो ग्रामवासियों ने चौंक में चक्काजाम कर दिया। ग्रामीणों का कहना है कि खरसिया नगर मे मुक्तिधाम होते हुये भी गांव में अंतिम संस्कार करना प्रशासन की कमजोरी है।