भोपाल / मध्यप्रदेश सरकार ने खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग के दो अधिकारियों की सेवाओं को समाप्त कर दिया। इसके अलावा एक अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है। ये कार्रवाई दो जिलों के आठ राइस मिल के खिलाफ पुलिस में दर्ज कराई गई एफआईआर के तहत की गई है। सरकारी अधिकारियों के अनुसार, केंद्र सरकार की रिपोर्ट में पाया गया कि इन जिलों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से वितरित चावल मानव उपभोग के लिए अयोग्य और पशुधन और मुर्गी पालन के लिए उपयुक्त थे।
कोरोना काल के दौरान केंद्रीय खाद्य मंत्रालय की तरफ से मध्यप्रदेश में जो चावल राशन दुकानों से गरीबों में बांटा गया था वो खाने लायक नहीं थे। मामले के खुलासे के बाद से राज्य सरकार एक्शन में आ गई है। प्रदेश के छिंदवाड़ा और बालाघाट जिले की राशन दुकानों में गरीबों को दिए जाने वाले चावल के 32 नमूनों की जांच की गई थी। केंद्रीय खाद्य मंत्रालय की सीजीएल लैब में जांच के दौरान यह बात सामने आई कि जो चावल गरीबों को दिए गए वे खाने लायक नहीं थे। जांच में यह भी पता चला कि जिन गोदामों में यह चावल रखा हुआ था, उसकी बोरियां दो से तीन साल पुरानी थीं।
प्रमुख सचिव खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण, फैज अहमद किदवई ने कहा, ‘अब तक तीन चावल मिलों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। यदि ऐसे चावल के वितरण के लिए जिम्मेदार अधिक मिलरों की पहचान की जाती है तो हम उनके खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करेंगे।’ राज्य सरकार की आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बालाघाट और मंडला जिलों में कुछ स्थानों पर खराब गुणवत्ता के चावल की आपूर्ति के मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त निर्देश दिए हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से चेतावनी है दी कि अनियमितताओं और राशन, उर्वरक आदि की कालाबाजारी करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा और उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।’