नई दिल्ली / देश में कोरोना संक्रमण की गति बेहद तेज गति से बढ़ रही है | रोजाना हजारों की तादाद में मरीज सामने आ रहे है | ऐसे में लोगों की चिंता बढ़ गई है | वही सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े विशेषज्ञों ने कहा है कि छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जो सामुदायिक संक्रमण का संकेत है। इनका कहना है कि ‘पहचान, जांच, आइसोलेट और उपचार’ की रणनीति अब बहुत ज्यादा फायदेमंद नहीं रह गए हैं, क्योंकि संक्रमण कई क्षेत्रों में फैल चुका है। विशेषज्ञों का कहना है कि देश के विभिन्न हिस्सों से मिलने वाली सीरो सर्वे की रिपोर्ट से साफ हो गया है कि ‘पहचान, जांच, आइसोलेट और उपचार’ की मौजूदा रणनीति से सिर्फ पांच फीसद संक्रमितों की ही पहचान हो पा रही है, इसलिए जांच की रणनीति बदलने की जरूरत है।
इन विशेषज्ञों में एम्स और आइसीएमआर टास्क फोर्स के चिकित्सक भी शामिल हैं। विशेषज्ञों ने एक संयुक्त बयान में कहा है कि लगभग सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में बड़ी संख्या में बिना लक्षण वाले मामलों से मरीजों के प्रारंभिक अवस्था में पहचान का काम मुश्किल हो रहा है। जांच की मौजूदा रणनीति में बिना लक्षण वाले व्यक्ति की जांच की अनुमति नहीं है, जब तक कि वो किसी संक्रमित के संपर्क में न आया हो।
विशेषज्ञों ने कहा है कि सीरो सर्वे से पता चलता है कि देश के बड़े भूभाग में कोरोना संक्रमण फैल चुका है। छोटे शहरों से लेकर ग्रामीण इलाकों में संक्रमित मामले मिल रहे हैं। यह बताता है कि देश में सामुदायिक संक्रमण हो गया है।
गौरतलब है कि भारत में कोरोना महामारी आने के बाद से अब तक देश में इसके 4.33 करोड़ सैंपलों की जांच हो चुकी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि इनमें से 1.22 करोड़ सैंपलों की जांच पिछले दो सप्ताह के दौरान हुई है। अब तक की गई कुल कोरोना जांच में तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र का करीब 34 फीसद योगदान है। अब भारत में हर रोज 10 लाख से अधिक सैंपलों की जांच हो रही है। इस कारण प्रति दस लाख पर जांच भी बढ़कर 31,394 हो गई है। 22 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में प्रति दस लाख जांच राष्ट्रीय औसत से बेहतर है। सोमवार को 10,16,920 सैंपलों की जांच हुई और अब कुल जांच संख्या 4,33,24,834 पर पहुंच गई है।