बड़ी खबर : मोदी सरकार का कड़ा फैसला, समय पूर्व रिटायरमेंट पर केंद्र सरकार की ओर से कार्मिक विभाग ने जारी किया आदेश, 50 साल की आयु पूरी होने या तीस वर्ष सेवा के बाद, जो पहले आती हो, विभाग प्रमुख दे सकते है रिटायरमेंट का नोटिस, आईएएस, आईपीएस समेत केंद्र सरकार के 49 लाख कर्मियों पर लागू होगा आदेश, CR और शिकायते खंगाली जाएगी, नौजवानों को अवसर

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दिल्ली / केंद्र सरकार के एक आदेश ने सभी मंत्रालयों और विभागों में हड़कंप मचा दिया है। मोदी सरकार अब सरकारी नौकरी में बोझ बन चुके उन अफसरों की जोर जबरदस्ती छुट्टी करेगी, जिनकी ना केवल CR ख़राब है बल्कि उनके खिलाफ गंभीर शिकायते लंबित है | ऐसे अफसरों की छुट्टी के लिए खांका तैयार कर लिया गया है | खासतौर पर आईएएस, आईपीएस और अखिल भारतीय सेवाओं के अफसरों को इस दायरे में लाया गया है | हालाँकि यह आदेश केंद्र के सभी विभागों में भी लागू होगा | इसके चलते लगभग 49 लाख सरकारी कर्मियों का पसीना छूट रहा है। खासतौर पर ऐसे कर्मचारी और अधिकारी, जिन्होंने अपनी सेवा के तीन दशक पूरे कर लिए हैं, केंद्र सरकार का आदेश जारी होने के बाद वे खुद को असुरक्षित महसूस करने लगे हैं। इस बार सरकार ने यह साफ कर दिया है कि आवधिक समीक्षा को सख्ती से लागू किया जाएगा। सरकार ने यह भी साफ़ कर दिया है कि जनहित में समय पूर्व रिटायरमेंट कोई पेनाल्टी नहीं है।

सरकार ने सभी मंत्रालयों और विभागों को जो पत्र भेजा है, उसमें विस्तार से यह समझाया गया है कि जनहित में, विभागीय कार्यों को गति देने, अर्थव्यवस्था के चलते और प्रशासन में दक्षता लाने के लिए मूल नियमों ‘एफआर’ और सीसीएस (पेंशन) रूल्स-1972 में समय पूर्व रिटायरमेंट देने का प्रावधान है। पत्र में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला भी दिया गया है। इसके साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि समय पूर्व रिटायमेंट का मतलब जबरन सेवानिवृत्ति नहीं है।

डीओपीटी (कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग) के मुताबिक, माकूल अथॉरिटी को यह अधिकार है कि वह किसी भी सरकारी कर्मचारी को एफआर 56(जे)/रूल्स-48 (1) (बी)ऑफ सीसीएस (पेंशन) रूल्स-1972 नियम के तहत रिटायर कर सकता है। बशर्ते वह केस जनहित के लिए आवश्यक हो। इस तरह के मामलों में संबंधित कर्मचारी को तीन माह का अग्रिम वेतन देकर रिटायर कर दिया जाता है। कई मामलों में उन्हें तीन महीने पहले अग्रिम लिखित नोटिस भी देने का नियम है।

ग्रुप ‘ए’ और ‘बी’ में तदर्थ या स्थायी क्षमता में कार्यरत किसी कर्मी ने 35 साल की आयु से पहले सरकारी सेवा में प्रवेश किया है तो उसकी आयु 50 साल पूरी होने पर या तीस वर्ष सेवा के बाद, जो पहले आती हो, रिटायरमेंट का नोटिस दिया जा सकता है। अन्य मामलों में 55 साल की आयु के बाद का नियम है। अगर कोई कर्मी ग्रुप ‘सी’ में है और वह किसी पेंशन नियमों द्वारा शासित नहीं है, तो उसे 30 साल की नौकरी के बाद तीन माह का नोटिस देकर रिटायर किया जा सकता है।

रूल्स-48 (1) (बी) ऑफ सीसीएस (पेंशन) रूल्स-1972 नियम के तहत किसी भी उस कर्मचारी को, जिसने तीस साल की सेवा पूरी कर ली है, उसे भी सेवानिवृत्ति दी जा सकती है। इस श्रेणी में वे कर्मचारी शामिल होते हैं, जो पेंशन के दायरे में आते हैं। ऐसे कर्मियों को रिटायमेंट की तिथि से तीन महीने पहले नोटिस या तीन महीने का अग्रिम वेतन और भत्ते देकर उसे सेवानिवृत्त किया जा सकता है। खास बात है कि इन केसों में भी जनहित के नियम को देखा जाता है।

आदेश के अनुसार हर विभाग के प्रमुख को अब एक रजिस्टर तैयार करना होगा। इसमें उन कर्मचारियों का ब्योरा रहेगा, जो 50/55 साल की आयु पार कर चुके हैं। इनकी तीस साल की सेवा भी पूरी होनी चाहिए। ऐसे कर्मियों के कामकाज की समय-समय पर पहले से ही समीक्षा की जाती है। सरकार ने यह विकल्प अपने पास रखा है कि वह जनहित में किसी भी अधिकारी को सेवा में रख सकती है, जिसे उसकी माकूल अथॉरिटी ने समय पूर्व सेवानिवृत्ति पर भेजने के निर्णय की दोबारा समीक्षा करने के लिए कहा हो।

ऐसे केस में यह बताना होगा कि जिस अधिकारी या कर्मी को सेवा में नियमित रखा गया है, उसने पिछले कार्यकाल में कौन सा विशेष कार्य किया था। केंद्र ने ऐसे मामलों की समीक्षा के लिए प्रतिनिधि समिति गठित की है। इसमें उपभोक्ता मामलों के विभाग की सचिव लीना नंदन और कैबिनेट सचिवालय के जेएस आशुतोष जिंदल को सदस्य बनाया गया है। आवधिक समीक्षा का समय जनवरी से मार्च, अप्रैल से जून, जुलाई से सितंबर और अक्तूबर से दिसंबर तक तय किया गया है।